Jabalpur news: ठंड में अग्निपथ पर अग्निवीर , जबलपुर के तीन सेंटर में हो रहे ट्रेंड, ड्रिल और फायरिंग भी
MP के जबलपुर में अग्निवीरों का प्रशिक्षण चल रहा है। दिल में राष्ट्र सेवा का जज्बा है और हौसले बुलंद है, तो कड़ाके की सर्दी को भी ये मात दे रहे है। सेना के तीन सेंटर में ट्रेनिंग दी जा रही है।
Agniveer on agnipath of cold training in jabalpur: सुनहरे बेहतर कल का सपना और राष्ट्र सेवा का जज्बा लिए अग्निवीरों का अग्निपथ पर चलना शुरू हो गया है। जबलपुर में हाड़कंपा देने वाली ठंड में भी उत्साहित नौजवान पसीने में तर बतर हो रहे है। यहां सेना के तीन सेंटर में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। परंपरागत ढांचे के सांचे में ढलते हुए ये युवक अत्याधुनिक स्वरुप से गुजरते हुए अग्निवीर बन जाएंगे। क्योकि ट्रेनिंग ले रहे युवाओं को यही अपना भविष्य सुरक्षित लगा।
Recommended Video
जबलपुर के 3 सेंटर्स में ट्रेनिंग
जबलपुर में तीन ट्रेनिंग सेंटरों में अग्निवीरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये सेंटर हैं, जैक राइफल्स, 1-एसटीसी और जीआरसी। इन सभी प्रशिक्षण केंद्रों में दो हजार से ज्यादा अग्निवीर ट्रेनिंग ले रहे हैं। यहां देश के अनेक भर्ती मुख्यालयों से चुनकर आए अग्निवीर शामिल हैं। अग्निवीरों का प्रशिक्षण सुबह छह बजे से कसरत और पीटी के साथ शुरू हो जाता है। इस दौरान उनसे दौड़, वर्टिकल रोप, सर्किट ट्रेनिंग, सिटअप क्रंच, पुशअप क्रंच जैसे अभ्यास कराए जा रहे हैं। सुबह पांच बजे से अग्निवीर की दिनचर्या प्रारंभ हो जाती है। रात साढ़े नौ बजे सभी बैरकों की लाइटें बंद हो जाती हैं।
जैक का ड्रिल-स्क्वेयर
जैक का हुंजा परेड ग्राउंड को ड्रिल-स्क्वेयर कहा जाता है। इसके बारे में सेना के अफसरों का कहना है कि यह उनके लिए प्रार्थना स्थल की तरह है। यहां रिकरूट से लेकर बड़े से बड़े सैन्य अफसर को अनुशासन और आस्था के साथ रहना पड़ता है। इसी स्केवयर से जैक ने एक से बढ़कर एक बहादुर जवान भारतीय सेना को दिए।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी युवा
सेना के अफसरों का कहना है कि सैनिकों की पुरानी भर्ती प्रक्रिया के दौरान जो जवान यहां आते थे, उनकी शैक्षणिक योग्यता प्राय: न्यूनतम के आसपास ही होती थी। उनके अकादमिक प्रशिक्षण में प्रशिक्षकों को काफी प्रयास करना होते थे। लेकिन अग्निवीरों के रूप में जो युवा आए हैं वो प्रतिभावान तो हैं, साथ ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। अनेक ऐसे हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग, पालीटेक्नीक और डिप्लोमा धारी हैं। ऐसे ही अनेक ऐसे भी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद स्पर्धाओं में पदक हासिल किए हैं। ये जवान बहुत जल्दी तैयार होकर सेना का हिस्सा बनेंगे।
कम्प्यूटराइज ट्रेनिंग भी दी जा रही
जैक स्थित द्रोणा समिलिेटर रूम में अग्निवीरों को कम्प्यूटर के माध्यम से लक्ष्य भेदने की ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां अग्निवीर के जवान इंस्ट्रक्टर के निर्देश पर कम्प्यूटर के माध्यम से लक्ष्य भेदने के गुर सीख रहे हैं। जैक-कमांडेंट राजेश शर्मा का कहना है कि अग्निवीरों के रूप में आए युवा बेहद प्रतिभावान और जागरूक हैं। विश्वास है कि ये प्रशिक्षण के उपरांत बेहतर सैनिक बनकर ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलेंगे।
फायरिंग का ऑनलाइन डेटा
फ्रास (फायरिंग रेंज आटोमैटकि स्कोरिंग सिस्टम) के माध्यम से प्रशिक्षण के दाैरान प्रत्येक अग्निवीर को 170 राउंड फायर करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। ये फायर-राउंड उसे 10 हफ्तों के लिए मिलेंगे। खास बात यह है कि यहां प्रशिक्षण लेने वाले अग्निवीरों को फायर डिस्प्ले यूनिट उपलब्ध कराई जाती है। यह टैब के आकार का होता है, जिसमें फायर की सटीकता का लाइव रिजल्ट 250 मीटर दूर से अग्निवीर खुद देख लेता है। प्रत्येक अग्निवीर की प्रवीणता का फायर डेटा यहां आनलाइन तरीके से तैयार होता है।