जमात उद दावा पर पाकिस्तान ने क्यों की कार्रवाई?
पढ़िए, बीबीसी से खास बातचीत में पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख़ुर्रम दस्तगीर ख़ान ने क्या कहा.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़ुर्रम दस्तगीर ख़ान ने कहा है कि देश में जमात उद दावा के ख़िलाफ़ हालिया कार्रवाइयों का ताल्लुक़ अमरीका से नहीं बल्कि ये 'ऑपरेशन रद्द-उल-फ़साद' का हिस्सा है.
लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफ़िज़ सईद जमात उद दावा के प्रमुख हैं.
बीबीसी उर्दू को दिए गए इंटरव्यू में ख़ुर्रम दस्तगीर ख़ान का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई संगठनों पर पाबंदी लगाई गई, इस संबंध में पाकिस्तान सोच समझकर कदम उठा रहा है.
रक्षा मंत्री का कहना था, "ऐसा नहीं है कि हम बंदूकें लेकर अपने ही देश पर चढ़ दौड़ेंगे बल्कि वह वक़्त गुज़र गया, अब हम नपे तुले और सोच समझकर फैसले करेंगे."
उन्होंने कहा, "जमात उद दावा के ख़िलाफ़ कार्रवाई सोच समझकर की जा रही है ताकि पाकिस्तान का भविष्य महफ़ूज़ हो सके और आगे से दहशतगर्द किसी स्कूल में बच्चों को गोलियां न मार सकें."
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ख़ुर्रम दस्तगीर ख़ान ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ट्वीट और अमरीकी अधिकारियों की ओर से हालिया बयानों को 'प्वाइंट ऑफ व्यू' क़रार दिया. उन्होंने कहा कि बीते कुछ महीने में अमरीकी नेतृत्व से सकारात्मक बातचीत होती रही लेकिन 'सार्वजनिक स्तर पर नकारात्मक धारणा बनाई गई.'
रक्षा मंत्री ने कहा कि मौजूदा पाकिस्तानी ऑपरेशन 'ज़रबे-अज़ब' के बाद का पाकिस्तान है, जो शहरियों, जवानों और अफ़सरों की कुर्बानियों और कामयाब ऑपरेशनों के बाद हासिल हुआ है.
उन्होंने कहा, "अमरीका हमसे दहशतगर्दी कैसी रोकी जाए, यह सीखने के बजाय ऐसी बातें कर रहा है."
रक्षा मंत्री ख़ुर्रम दस्तगीर ख़ान ने दोनों देशों के संबंध ख़राब होने में भारत की 'अप्रत्यक्ष भूमिका' और क्षेत्र में मज़बूत होती चीन और पाकिस्तान की दोस्ती को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि 'भारत पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन भी इस्तेमाल कर रहा है."
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान और अमरीका के संबंध अब 'दोस्ती और दुश्मनी के संबंधों से ऊपर उठ चुका है', उनके मुताबिक़ पाकिस्तान ने खुलकर और बिना लाग लपेट के अमरीका को बता दिया है कि वह अफ़ग़ानिस्तान में नाकामी के बाद पाकिस्तान पर आरोप न लगाए.
'अमरीका ने नहीं दी कोई डेडलाइन'
रक्षा मंत्री ने अमरीका की तरफ़ से पाकिस्तान को हक़्क़ानी नेटवर्क के ख़िलाफ़ कार्रवाई की डेडलाइन दिए जाने से जुड़ी ख़बरों का सख़्ती से इनकार किया और कहा कि पाकिस्तान एक 'स्वतंत्र' परमाणु शक्ति है, जिसे इस तरह की डेडलाइन नहीं दी जा सकती.
उनका कहना था कि अमरीका और पाकिस्तान के बीच उच्च स्तर पर बातचीत होती रही है लेकिन दोनों देशों के बीच रणनीतिक बातचीत अब भी निलंबित है.
ख़ुर्रम दस्तगीर ने कहा कि सहयोगपूर्ण बातचीत होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "नकारात्मक और ख़तरनाक भाषा इस्तेमाल की गई तो पाकिस्तान की जनता, निर्वाचित सरकार और सेना सबसे संवेदनशील है."
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने हफ़्ते की शुरुआत में सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर पाकिस्तान पर इल्ज़ाम लगाया था कि बीते सालों में अरबों डॉलर की मदद लेने के बावजूद पाकिस्तान ने अमरीका को सिवाए झूठ और धोखे के कुछ नहीं दिया है.
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