अचानक लुढ़क क्यों गई चीन की अर्थव्यवस्था? जिनपिंग की नीतियों से जीडीपी का पतन शुरू
बीजिंग, अक्टूबर 18: ये तीसरी तिमाही है, जब चीन की वृद्धि दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है और सोमवार को चीन की सरकार की तरफ से जारी किए गये आधिकारिक आंकड़ों में से पता चल रहा है कि, चीन प्रॉपर्टी सेक्टर में भारी संघर्ष चल रहा है। इसके साथ ही चीन बुरी तरह से ऊर्जा संकट में घिर गया है। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं, कि आखिर चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार अचानक लुढ़कने क्यों लगी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि, चीन में पिछले कुछ समय से ऐसे नीतिगत फैसले लिए जा रहे हैं, जिसने चीन के विकास दर को भारी प्रभावित किया है।

चीन में विकास दर पर ब्रेक
चीन की नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (एनबीएस) ने देश में वर्तमान आर्थिक हालात को "अस्थिर और असमान" कहा है, लेकिन इसके पीछे घरेलू वजहों का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि चीन में कोरोना वायरस की वापसी ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को ठेस पहुंचाया है और चीन की जीडीपी में विकास की दर इस साल 4.9 प्रतिशत रहेगी। एएफबी द्वारा किए गये ताजा सर्वेक्षण में विश्लेषकों ने निराशा जताते हुए कहा कि, चीन की सरकार ने विकास दर की रफ्तार इस तिमाही काफी कम कर 5 प्रतिशत रखा था, जिसे पूरा करने में भी निराशा हाथ लगी है और इस साल अप्रैल से जून की अवधि में देश का विकास दर प्रतिशत 7.9 प्रतिशत से गिरकर 4.9 प्रतिशत तक पहुंच गया है और तीन प्रतिशत की ये गिरावट काफी चिंताजनक है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितताएं
चीन की नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के प्रवक्ता फू लिंगहुई ने सोमवार को कहा कि, "हमें ध्यान देना चाहिए कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वातावरण में अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं और घरेलू आर्थिक सुधार अभी भी अस्थिर और असमान है।" हालांकि, चीनी अधिकारियों ने कहा कि, विकास दर में भले ही गिरावट दर्ज की गई हो, लेकिन उससे पहले के तीन महीने के दौरान देश की जीडीपी में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, सितंबर में चीन में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि और धीमी होकर 3.1 प्रतिशत हो गई है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के एशिया इकोनॉमिक्स के प्रमुख लुई कुइज ने कहा कि, "रियल एस्टेट में मंदी से विकास दर में कमी आई है और हाल ही में एवरग्रांडे के ट्रैवेल्स से स्पिलओवर द्वारा बढ़ाया गया।"

रियल स्टेट ने लगाया गोता
चीन में रियल स्टेट व्यापार लगातार मंदा होता जा रहा है और चीन की दिग्गज रियल स्टेट कंपनी 'एवरग्रांडे' के ऊपर 300 अरब डॉलर के कर्ज का पहाड़ खड़ा हो गया है, जिसकी वजह से रियल स्टेट सेक्टर की एक बड़ी चेन ही टूटने के कगार पर पहुंच चुकी है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के एशिया इकोनॉमिक्स के प्रमुख लुई कुइज ने कहा कि, ''चीन की प्रांतीय सरकारों ने पिछले दिनों जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए और सुरक्षा लक्ष्यों पर नजर रखते हुए नीतियों में सख्त परिवर्तन किए हैं, जिसका सीधा असर बिजली उत्पादन और रियल स्टेट सेक्टर पर पड़ा है। सितंबर महीने में देश में बिजली उत्पादन की दर औंधे मुंह गिर गई थी।

औद्योगिक उत्पादन में नुकसान का असर
लुई कुइज ने कहा कि, औद्योगिक उत्पादन में इस मंदी का साफ-साफ असर दिख रहा है और कच्चे माल की बढ़ती लागत और सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन को लेकर बनाए गये नये और सख्त नियम ने देश में हफ्तों से बिजली संकट पैदा कर रखा है और देश में माइनिंग सेक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में गतिविधियों को कम कर दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि, औद्योगित उत्पादन में आई कमी के बाद भी चीन में खुदरा बिक्री की दर 4.4 प्रतिशत तक बढ़ गई है और अगस्त महीने में खुदरा बिक्री दर में 25. प्रतिशत का सुधार दर्ज किया गया है। चीन के कुछ हिस्सों में कोरोना वाययर संक्रमण के मामले सामने आने के बाद सख्त लॉकडाउन लगाया गया थास जिसका कारोबार पर नकारात्मक असर पड़ा।