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लगातार इनकार के बाद ख़ाशोज्जी पर क्यों झुका सऊदी अरब

सऊदी अरब के सरकारी अभियोजक ने कहा: "सरकारी अभियोजन पक्ष की शुरूआती जांच से पता चला कि इस्तांबुल में देश के वाणिज्य दूतावास में उनकी उपस्थिति के दौरान उनसे वहां मिलने वाले एक व्यक्ति के बीच हुई चर्चा ने झगड़े का रूप ले लिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.

"सरकारी अभियोजन पक्ष पुष्टि करता है कि इस मामले में 18 व्यक्तियों के साथ जांच जारी है जो सभी सऊदी नागरिक हैं 

By BBC News हिन्दी
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जमाल ख़ाशोज्जी
AFP
जमाल ख़ाशोज्जी

सऊदी अरब ने आख़िरकार ये बात मान ली कि पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल स्थित उसके वाणिज्य दूतावास में मारे गए थे.

सऊदी अरब के सरकारी टीवी चैनल ने शुरुआती जांच के हवाले से बताया है कि ख़ाशोज्जी की दूतावास के भीतर बहस हुई थी और उसके बाद एक झगड़े में मारे गए.

ख़ाशोज्जी दो अक्तूबर से ग़ायब थे और सऊदी पिछले 17 दिन से अपने बयान पर कायम था कि वो दो अक्टूबर को दूतावास से चले गए थे.

दूसरी तरफ़ तुर्की के अख़बार स्रोतों के हवाले से लगातार छाप रहे थे कि ख़ाशोज्जी की दूतावास में हत्या हुई है.

तुर्की के सुरक्षा से जुड़े स्रोतों ने स्थानीय अख़बारों को बताया था कि ख़ाशोज्जी को पहले यातनाएं दी गईं और उनके हाथ-पैर काट दिए गए.

लेकिन सऊदी अब भी कह रहा है कि खाशोज्जी की मौत एक झगड़े के बाद हुई. एक तरह से उसका कहना है कि ख़ाशोज्जी की मौत कोई साज़िश नहीं थी.

इस मामले में क्राउन प्रिंस सलमान ने अपने डेप्युटी इंटेलिजेंस चीफ़ अहमद अल असीरी और वरिष्ठ सहयोगी साउद अल क़थानी को बर्खास्त कर दिया है.

आख़िरकार सऊदी अपना मत बदलने पर कैसे तैयार हुआ और अपने प्रमुख सलाहकारों पर कार्रवाई क्यों करनी पड़ी?

क्राउन प्रिंस सलमान
Getty Images
क्राउन प्रिंस सलमान

जमाल ख़ाशोज्जी के मारे जाने पर पूरी दुनिया से सऊदी पर दबाव था, लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैयप अर्दोवान के दबाव को सबसे ज़्यादा और प्रभावी बताया जा रहा है.

तुर्की ने सबसे पहले कहा था कि ख़ाशोज्जी की इस्तांबुल स्थित वाणिज्य दूतावास में सऊदी ने जानबूझकर हत्या करवाई है. तुर्की ने ये तक कहा कि सऊदी इस मामले की जांच में मदद नहीं कर रहा है.

तुर्की ने ख़ाशोज्जी की मौत से जुड़े तथ्यों को जारी किया तो सऊदी के इनकार पर पूरी दुनिया का शक़ बढ़ता गया. नतीजा यह हुआ कि शनिवार को सऊदी ने मारे जाने की बात कबूल ली और 18 लोगों को हिरासत में लिया है.

ये भी कहा जा रहा है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमरीकी दबाव में अपने विश्वसनीय और पसंदीदा जनरल अहमद अल-असीरी को बर्खास्त किया है और ये दोनों देशों के बीच ख़ाशोज्जी के मारे जाने से उपजे तनाव को कम करने की कोशिश है.

असीरी एयरफ़ोर्स के सीनियर अधिकारी थे और वो पिछले एक साल से सऊदी के यमन पर हमले में काफ़ी सक्रिय रहे हैं. ज़ाहिर है असीरी के पास कई संवेदनशील जानकारियां होंगी.

जमाल ख़ाशोज्जी
Reuters
जमाल ख़ाशोज्जी

एक पश्चिमी राजनयिक ने बीबीसी संवाददाता जेम्स लेंसडेल को बताया कि ये सलाहकार प्रिंस मोहम्मद के आंतरिक समूह का हिस्सा नहीं थे, ये ही उनका आंतरिक समूह थे."

इन सलाहकारों का हटाया जाना ऐसा संकेत दे सकता है कि क्राउन प्रिंस को ख़ाशोज्जी की हत्या के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

सवाल ये उठता है कि क्या सऊदी के सहयोगी पश्चिमी देश सऊदी की बात पर यक़ीन कर लेंगे और उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करेंगे?

सवाल ये भी है कि क्या ये बचाव की कोशिश टिक पाएगी. कुछ पश्चिमी राजदूतों को उम्मीद है कि क्राउन प्रिंस के पर भी थोड़े कतर दिए जाएंगे, शायद किसी और प्रिंस को डेप्युटी क्राउन प्रिंस बनाकर ताकि एक और सत्ता केंद्र बनाया जा सके.

जमाल ख़ाशोज्जी
Getty Images
जमाल ख़ाशोज्जी

जमाल ख़ाशोज्जी के साथ क्या हुआ?

पत्रकार जमाल 2017 में सऊदी अरब छोड़कर अमरीका चले गए थे.

यहां सितंबर में उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार के लिए लिखना शुरू किया. अपने पहले ही लेख में उन्होंने कहा कि मुझे और कई दूसरे लोगों को गिरफ़्तारी के डर से देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.

उन्हें आख़िरी बार दो अक्टूबक को इस्तांबुल के सऊदी दूतावास में देखा गया था, जहां वो अपनी शादी के लिए कागज़ात लेने गए थे.

तुर्की के अधिकारियों का मानना है कि खाशोज्जी को सऊदी एजेंटों ने दूतावास के अंदर मार दिया और शव को छुपा दिया.

सऊदी अरब इन आरोपों से इनकार करता रहा है और शुरुआत में सऊदी ने कहा था कि ख़ाशोज्जी दूतावास से चले गए थे.

इस्ताबुंल में सऊदी का वाणिज्यिक दूतावास
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इस्ताबुंल में सऊदी का वाणिज्यिक दूतावास

कहीं ये मध्य एशिया की राजनीति तो नहीं?

तुर्की का कहना है कि उसके पास ऑडियो और वीडियो क्लिप है जिससे पता चलता है कि ख़ाशोज्जी की हत्या की गई है.

तुर्की के अख़बारों ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ऑडियो क्लिप भयावह है, जिसमें खाशोज्जी की चीखें सुनाई दे रही हैं और उन्हें यातनाएं दी जा रही हैं.

तुर्की मीडिया ने कहा है कि उन्होंने 15 सऊदी एजेंटों की पहचान की है जो ख़ाशोज्जी के ग़ायब होने के दिन इस्तांबुल में आए-गए हैं.

तुर्की के विदेश मंत्रालय ने यहां तक कह दिया कि वो अपनी जांच रिपोर्ट को पूरी दुनिया के सामने सार्वजनिक करेगा.

विश्लेषकों का कहना है कि मध्य-पूर्व में दोनों देश प्रतिद्वंद्वी हैं और ऐसे में तुर्की के लिए यह एक मौक़ा भी था. क़तर के ख़िलाफ़ सऊदी, यूएई, बहरीन और मिस्र की नाकेबंदी में तुर्की क़तर का साथ दे रहा है.

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोवान और सऊदी के क्राउन प्रिंस सलमान के बीच कभी अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. तुर्की का क़तर के साथ ईरान से भी अच्छा संबंध है और सऊदी की दोनों देशों से शत्रुता है.

वॉशिंगटन पोस्ट से सऊदी के कुछ अधिकारियों ने कहा है कि तुर्की ने इस घटना को क्राउन प्रिंस सलमान की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने के लिए एक मौक़े की तरह इस्तेमाल किया. तुर्की के राष्ट्रपति ने ख़ाशोज्जी को दोस्त भी बताया था.

क्या कहा सऊदी अरब ने?

सऊदी अरब के सरकारी अभियोजक ने कहा: "सरकारी अभियोजन पक्ष की शुरूआती जांच से पता चला कि इस्तांबुल में देश के वाणिज्य दूतावास में उनकी उपस्थिति के दौरान उनसे वहां मिलने वाले एक व्यक्ति के बीच हुई चर्चा ने झगड़े का रूप ले लिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.

"सरकारी अभियोजन पक्ष पुष्टि करता है कि इस मामले में 18 व्यक्तियों के साथ जांच जारी है जो सभी सऊदी नागरिक हैं और सभी तथ्यों तक पहुंचने और उन्हें घोषित करने के साथ-साथ इस मामले में शामिल सभी की ज़िम्मेदारी तय करने और न्याय तक पहुंचाने के लिए तैयार है.

BBC Hindi
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English summary
Why bending on Khashojji after persistent denials Saudi Arabia
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