कौन हैं उस्मान कवला, जिनकी रिहाई की मांग से भड़का तुर्की, 10 देशों के राजदूतों को देश से निष्कासित किया
अंकारा, अक्टूबर 24: एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद तुर्की बौखलाया हुआ है और उसने अमेरिका समेत 10 देशों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। तुर्की ने अमेरिकी समेत 10 देशों के राजदूतों को तुर्की से निष्कासित करने का आदेश दिया है। हालांकि, तुर्की ने इसके पीछे की वजह दूसरी बताई है।

राजदूतों को निष्काषित किया
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तईप एर्दोगन ने शनिवार को तुर्की के विदेश मंत्रालय से मानवाधिकार कार्यकर्ता उस्मान कवाला को रिहा करने की मांग के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और नौ अन्य पश्चिमी देशों के राजदूतों को निष्कासित करने के लिए कहा है। रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने बताया कि, मंगलवार को कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और अमेरिका के राजदूतों को देश से निष्कासित करने के लिए कहा है। तुर्की की तरफ से कहा गया है कि, इन सभी देशों के दूतावासों की तरफ से मानवाधिकार कार्यक्रता उस्मान कवाला की रिहाई की संयुक्त अपील की गई थी, इसीलिए राष्ट्रपति ने सभी राजदूतों को निष्कासित करने का आदेश दिया है।

विएना कन्वेंशन का उल्लंघन
स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के आदेश के बाद तुर्की के विदेश मंत्रालय ने सभी 10 देशों के राजदूतों को समन किया था और विदेश मंत्रालय में बुलाया था और फिर उनके उपर विएना कन्वेंशन के उल्लंघन का आरोप लगाकर देश से निष्कासित करने की धमकी दी। आपको बता दें कि, विदेश मामलों को लेकर विएन कन्वेंशन के तहत देश के आंतरिक मामलों में विदेशी राजदूत हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं और तुर्की का कहना है कि, इन राजदूतों ने तुर्की के आंतरिक मामलों में दखल दिया है। और अब इन राजदूतों को अगले 72 घंटे के अंदर तुर्की की सीमा से बाहर जाना होगा। हालांकि, आमतौर पर देखा जाता है कि, विवादों की स्थिति में कोई देश किसी दूसरे देश के राजनयिक को देश से बाहर निकालता है, लेकिन तुर्की ने राजदूतों को ही देश से बाहर निकाल दिया है।

क्यों भड़क गया है तुर्की
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें कहा गया है कि, कि वो इन देशों के के राजदूतों को 'परसोना नॉन ग्राटा' घोषित करते हैं, जिसका मतलब ये हुआ कि, कि ये लोग तुर्की के लिए किसी काम के नहीं रह गये हैं और इन्हें अगले 48 घंटे से 72 घंटे के अंदर तुर्की की सीमा से बाहर जाना होगा। माना जा रहा है कि, तुर्की कई मुद्दों को लेकर पश्चिमी देशों से भड़का हुआ है। इसी हफ्ते एफएटीएफ ने तुर्की को ग्रे लिस्ट में डाल दिया है, जो तुर्की के लिए बहुत बड़ा झटका है और इसके पीछे तुर्की का कहना है कि, चुंकी वो रूस से एस-400 मिसाइस डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है, इसीलिए अमेरिका उससे बदला ले रहा है।

क्या है उस्मान कवला की रिहाई की मांग?
उस्मान कवला तुर्की के एक प्रसिद्ध कारोबारी और मानवाधिकार कार्यक्रता हैं, जिन्होंने अनादोलु कल्टूर फाउंडेशन की स्थापना की थी और ये संगठन जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए काम करता है और उनसे जुड़ी योजनाओं को बढ़ावा देता है। ये संगठन खास तौर पर तुर्की और अर्मेनियाई आबाजी के बीच सुलह और कुर्द मुद्दे पर शांतिपूर्वक समाधान चाहता है। फरवरी 2020 में तुर्की की एक अदालत ने उस्मान कवला को 2013 में सरकार विरोधी गीजी पार्क विरोध प्रदर्शनों के आरोपों से बरी कर दिया और सरकार को उन्हें जेल से बाहर करने का आदेश दिया। लेकिन, उसी दिन तुर्की की सरकार ने एक नया वारंट जारी करते हुए कवला को 2016 में सरकार का तख्तापलट करने के आरोप में फिर गिरफ्तार कर लिया और तब से वो तुर्की की जेल में ही बंद हैं। जिनकी रिहाई की अपील इन 10 देशों के राजदूतों की तरफ से की गई थी।
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