जब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के डैड की वजह से आया था रोनाल्ड रीगन को गुस्सा
कनाडा के क्यूबेक में हाल ही में जी-7 समिट का आयोजन हुआ और इस बार यह समिट पूरी तरह से विवादों से भरी रही है। रविवार को खत्म हुए इस सम्मेलन में साथी देशों ने समिट की असफलता के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया।
वॉशिंगटन। कनाडा के क्यूबेक में हाल ही में जी-7 समिट का आयोजन हुआ और इस बार यह समिट पूरी तरह से विवादों से भरी रही है। रविवार को खत्म हुए इस सम्मेलन में साथी देशों ने समिट की असफलता के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सारे विवादों के लिए जिम्मेदार बताया है। यह पहला मौका नहीं है जब किसी कनैडियन पीएम ने अमेरिकी राष्ट्रपति को इस कदर नाराज किया है। इससे पहले भी ऐसा हो चुका है। दिलचस्प बात है कि उस समय भी जस्टिन के पिता पिएरे ट्रूडो की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच गया था। पिएर की वजह से भी कनाडा और अमेरिका के रिश्तों में खासी कड़वाहट आ चुकी है। वैसे आपको बता दें कि नाराजगी के बाद भी कनाडा वह ऐसा देश था जहां पर राष्ट्रपति रहते हुए रीगन आखिरी बार आधिकारिक विदेशी दौरे पर गए थे।
क्या है सारा विवाद
शनिवार को कनाडा के शहर क्यूबेक में जी7 की एक शासकीय सूचना जारी की गई। इसके बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से कनाडा के पीएम ट्रूडो के खिलाफ ट्विटर पर हमला बोल दिया गया। ट्रंप ने तो ट्रूडो को एक 'कमजोर' व्यक्ति तक करार दे डाला। ट्रूडो ने अमेरिकी प्रतिनिधि को ज्वाइंट शासकीय सूचना की अनुमति नहीं दी थी। ट्रंप और जस्टिन ट्रूडो टैरिफ के मुद्दों पर एक-दूसरे के सामने हैं। जी-7 में साझा बयान को राष्ट्राध्यक्षों द्वारा मंजूर किए जाने के कुछ देर बाद ही ट्रंप ने ट्वीट कर इससे खुद को अलग कर लिया और इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। यहीं से जी-7 में सारे विवाद की शुरुआत हो गई और इन सारे विवादों के बीच ट्रंप सिंगापुर रवाना हो गए।
पहले पंसद फिर नापसंद आने लगे थे रीगन को ट्रूडो
साल 1981 में जब जस्टिन ट्रूडो के पिता पिएरे ट्रूडो कनाडा के पीएम थे और अमेरिका में रोनाल्ड रीगन का शासन था, उस समय पहली बार दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। रीगन शुरुआत में पिएरे को पसंद नहीं करते थे। लेकिन पहली मुलाकात के बाद उन्होंने अपनी डायरी में लिखा था, 'मैं अब पिएरे को पसंद करने लगा हूं।' दोनों नेता कई बार मिले लेकिन कई मीटिंग्स अच्छी नहीं रही थीं। साल 1983 में विलियम्सबर्ग इकोनॉमिक समिट में दोनों के बीच मतभेद सामने आ गए। यहां पर ट्रूडो ने उस समय के फ्रेंच राष्ट्रपति फ्रैंकोइस मिट्टरैंड दोनों उन देशों के साथ आ गए थे जिन्होंने एक खास तरह के परमाणु हथियारों की तैनाती के समर्थन वाले ज्वॉइन्ट स्टेटमेंट का विरोध किया था।
साल 1984 में ट्रूडो के बर्ताव से नाराज रीगन
इसके बाद साल 1984 में लंदन इकोनॉमिक समिट में रीगन और ट्रूडो के संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। दोनों के बीच कई नीतियों को लेकर मतभेद था। रीगन को इस बात से भी खासी तकलीफ थी कि पिएरे ट्रूडो हमेशा भाषण देने के अंदाज में ही पेश आते हैं। समिट में एक पल ऐसा आया जब ट्रूडो का बर्ताव तत्कालीन ब्रिटिश पीएम मारग्रेट थैचर के साथ काफी अभद्र था जो कि उस समय इस समिट का आधिकारिक मेजबान थीं। उस समय तो रीगन ने थैचर से यह तक कहा डाला था कि 'मारग्रेट, उसे आपसे इस तरह से बात करने का कोई अधिकार नहीं है।' इस पर उन्होंने जवाब दिया था, 'महिलाओं को मालूम होता है जब पुरुष बच्चे की तरह बर्ताव करते हैं।' रीगन ने उस समय अपनी भावनाओं को सार्वजनिक तौर पर जाहिर नहीं किया लेकिन उन्होंने अपनी डायरी में इस बारे में लिखा।