जानिए उस आईसीजे के बारे में जिसने कुलभुषण जाधव की मौत की सजा पर लगाई है रोक
अतंराष्ट्रीय न्यायिक अदालत (आईसीजे) का संस्थापक सदस्य है भारत और पाकिस्तान वर्ष 1960 में बना था हिस्सा। आठ मई को भारत ने आईसीजी में कुलभुषण जाधव की सजा पर रोक के लिए दायर की गई थी एप्लीकेशन।
हेग। नीदरलैंडस की राजधानी हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत यानी आईसीजे में इस समय कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई चल रही है। यह सुनवाई ऐसे समय हो रही है जब 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। मामले की सुनवाई चार दिन तक चलेगी। आपको बता दें कि पाकिस्तान ने इंडियन नेवी के पूर्व ऑफिसर कुलभुषण जाधव को जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। जानिए क्या है आईसीजे और क्या है इसका रोल।
भारत और पाकिस्तान दोनों ही सदस्य
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश यूएन के सदस्य हैं और ऐसे में दोनों ही देश आईसीजे के भी सदस्य हैं। भारत जहां आईसीजे का फाउंडिंग मेंबर यानी संस्थापक सदस्य है तो पाकिस्तान 30 सितंबर 1960 को इसका सदस्य बना था। आठ मई को भारत आईसीजे में पाकिस्तान के खिलाफ पहुंचा था।
पाक ने तोड़ी विएना संधि
भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसने कुलभुषण जाधव को काउंसलर से मिलने न देकर विएना संधि को तोड़ा है। पाकिस्तान ने जाधव पर जासूसी और भारत की इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ का एजेंट होने का आरोप लगाया है। वहीं भारत ने पाकिस्तान के इन सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है। साथ ही भारत ने पाक को जाधव से जुड़ा सही ट्रायल न करने के लिए लताड़ भी लगाई है।
15 जजों वाली आईसीजे करेगी फैसला
अब आईसीजे के 15 जज इस बात का फैसला करेंगे कि क्या वाकई पाकिस्तान ने जाधव को उसके अधिकारों से वंचित रखा है। यह भी माना जा रहा है कि इस मामले में यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कोई फैसला आ सकता है।
पाक ने तोड़ा आर्टिकल 36
भारत का पहला दावा है कि पाकिस्तान ने विएना संधि के आर्टिकल 36 को तोड़ा है जिसके तहत विदेश नागरिकों को काउंसलर मुहैया कराया जाता है। आर्टिकल 36 के तहत कुलभुषण जाधव को उनके उस अधिकार के बारे में जानकारी देनी चाहिए तिसके तहत उन्हें भारतीय दूतावास के अधिकारियों से मिलने की मंजूरी थी। इसके साथ ही भारतीय राजदूत को जाधव से मिलने और उनसे बातचीत करने की मंजूरी दी जानी चाहिए।
पाक ने नहीं पूरे किए नियम
आईसीजे में भारत का नेतृत्व हरीश साल्वे करेंगे और भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने इनमें से किसी भी कार्य को पूरा नहीं किया है।
आईसीजे के अधिकार
नीदरलैंड के हेग में आईसीजे है और आईसीजे के पास यह अधिकार है कि वह यूएन के सदस्यों के बीच जारी विवादों में फैसला दे सकती है। भारत ने वर्ष 1974 से और पाकिस्तान ने वर्ष 1960 से आईसीजे के न्यायाधिकार को कुछ मामलों को छोड़कर बाकी सारे मामलों में स्वीकार किया हुआ है।
आईसीजे के अधिकार को मानेगा पाक
पाकिस्तान का कहना है कि आईसीजे के अधिकार क्षेत्र उन अंतराष्ट्रीय कानूनों पर सवाल नहीं उठा सकता और न ही उन पर लागू होगा जो पाकिस्तान के घरेलू अधिकार में आते हैं। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्ताान ने कहा हुआ है कि जाधव पर जासूसी का मामला है और ऐसे में वह उसके कानून के तहत है। इन हालातों में भारत को काउंसलर एक्सेस की मंजूरी नहीं होगी।
लेकिन प्रोटोकॉल होगी मजबूरी
भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही विएना संधि को उस ऑप्शनल प्रोटोकॉल को साइन किया हुआ जो कि किसी विवाद के अनिवार्य और स्थायी समाधान से जुड़ा है। इस प्रोटोकॉल के तहत सभी विवाद चाहे वह किसी व्याख्या से जुड़े हों या फिर विएना संधि की किसी एप्लीकेशन से जुड़े हों, सभी आईसीजे के 'अनिवार्य अधिकार क्षेत्र' में आते हैं।
क्या आईसीजे के फैसले बाध्यकारी हैं
आईसीजे की वेबसाइट के मुताबिक इसके सभी फैसले बाध्यकारी हैं और यह काफी कम ही होता है कि इसके फैसलों को लागू न किया जाए क्योंकि यूएन के सभी सदस्य जो फैसले का हिस्सा हैं उन्हें उसके फैसले को मानना पड़ता है। हालांकि कोर्ट के पास इसके फैसलों को लागू करने क लिए कोई सीधी ताकत नहीं है।
यूएनएससी का रोल
जिन देशों को लगता है कि आईसीजे के फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा है वे यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की शरण ले सकते हैं। सिक्योरिटी काउंसिल इसके बाद फैसले को लागू करने के लिए मजबूर कर सकती है। हालांकि ऐसी धारणा है कि यूएनएससी इन स्थितियों में काम करने में असफल रहती है।
चीन डाल सकता है अड़ंगा
भारत के केस में ऐसा हो सकता है कि सिक्योरिटी काउंसिल पाकिस्तान से कुलभुषण जाधव के मामले में फैसले को लागू करने के लिए कहे लेकिन यहां पर चीन जिसके पास वीटो पावर है वह अड़ंगा डाल सकता है और हो सकता है कि सिक्योरिटी काउंसिल कोई एक्शन न लें।
अब शुरू होगी आईसीजे में कार्रवाई
अब जबकि आईसीजे ने जाधव की सजा पर रोक लगा दी है दोनों देशों की ओर से लिखित बयान जमा किए जाएंगे जिन्हें तभी सार्वजनिक किया जाएगा जब भारत और पाक इसके लिए रजामंदी देंगे। लिखित में कुछ उसी समय सार्वजनिक किया जाएगा जब मौखिक रूप से सुनवाई शुरू होगी। यह जाधव मामले की दिशा में बढ़ाया गया अगल कदम होगा।
अपील नहीं कर सकते भारत पाक
एक बार मौखिक बहस हो जाने के बाद आईसीजे निजी तौर पर भारत के दावे पर सलाह लेगा। आईसीजे का फैसले की घोषणा सार्वजनिक तौर पर की जाएगी। भारत और पाकिस्तान दोनों ही अंतिम फैसले के पर कोई भी अपील नहीं कर सकते हैं क्योंकि आईसीजे सिर्फ संशोधन या फिर विवेचना के लिए बना है।