Covid Vaccine में ऐसा क्या है जिससे डर रहे हैं कैथोलिक ईसाई ? Pope को आना पड़ा सामने
वेटिकन। Covid Vaccine For Catholis: कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ही कई देशों में शुरू हो गया है। लेकिन इस टीके के आने के साथ ही ईसाइयों के बड़े तबके रोमन कैथोलिक में डर बना हुआ है। कैथोलिक समुदाय में वैक्सीन को लेकर धर्म और विज्ञान की लड़ाई चल रही है। कैथोलिक समुदाय (Catholics) से लोगों ने अपने सर्वोच्च धार्मिक केंद्र वेटिकन से इस बारे में सलाह मांगी थी। जिसके बाद कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस (Pope Francis) को खुद आकर कोरोना वैक्सीन को लेकर अनुयायियों को निर्देश देने पड़े हैं।
कैथोलिक समुदाय में वैक्सीन को लेकर डर
कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु और वेटिकन के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने सोमवार को कोविड वैक्सीन को लेकर एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि कैथोलिक ईसाइयों के लिए कोरोना वैक्सीन इस समय नैतिक तौर पर स्वीकार्य है। पोप का ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ही लैटिन अमेरिका से ऐसी खबरें आ रही थीं कि कैथोलिक समुदाय के लोग वैक्सीन लेने से पीछे हट रहे हैं। यही नहीं कई पश्चिमी नेताओं ने वेटिकन ने लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करने की अपील भी की गई थी। वेटिकन का वॉचडॉग ऑफिस कैथोलिक समुदाय के रूढ़िवादी मान्यताओं और विचारों की रक्षा के लिए दुनिया भर में हो रही घटनाओं का निरीक्षण करता है और ईसाई समुदाय को धर्म की रक्षा के लिए सलाह देता है।
अबॉर्शन को लेकर कैथोलिक चर्च बेहद सख्त
वॉचडॉग ऑफिस के सामने काफी समय पहले ये सवाल आया था कि कैथोलिक मान्यताओं के हिसाब से क्या ये वैक्सीन लेना सही होगा या इससे धर्म पर खतरा होगा। कोरोना वैक्सीन के विकास के दौरान में इसमें अबॉर्शन से प्राप्त टिस्यू का इस्तेमाल किया गया है। दरअसल कोरोना वैक्सीन के विकास के लिए उन लोगों से सेल लाइन ली जा रही है जो इससे संक्रमित हो चुके हैं। इसमें गर्भ धारण करने वाली महिलाएं भी हैं। इन महिलाओं के साथ ही उनके गर्भस्थ शिशुओं से भी सेल ली गई थी। इसे लेकर विभिन्न देशों में कॉर्डिनलों और बिशप ने अलग-अलग बयान दिए थे। वेटिकन ने पाया कि कई जगहों पर बिशप, कैथोलिक समूहों और विशेषज्ञों ने अलग-अलग और परस्पर विरोधी विचार रखे हैं जिसके चलते वेटिकन को इस पर अनुयायियों के लिए स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इसके बाद सोमवार को पोप का बयान जारी किया गया।
वेटिकन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि "पिछले कई वर्षों से गर्भस्थ भ्रूणों से प्राप्त कोशिकाओं से टीका विकसित करने के बारे में अपनी राय को देखते हुए पोप ने हाल की घटना का अध्ययन किया है जिसके बाद इस निर्देश को जारी किया जा रहा है। कैथोलिक चर्च ये मानता है कि गर्भपात एक गंभीर पाप है।"
वैक्सीन को बताया नैतिक रूप से स्वीकार्य
इसमें आगे कहा गया है कि "वर्तमान समय में अबॉर्शन से प्राप्त टिस्यू से तैयार की गई कोविड-19 वैक्सीन की डोज लेना नैतिक रूप से स्वीकार्य है। खासतौर पर जब तक नैतिक तरीके से तैयार टीका वैज्ञानिक विकसित नहीं कर लेते।" इसके साथ ही ईसाइयों को ये वैक्सीन जरूरू लेने के कहा गया है।
इसके साथ ही बयान में ये कहा गया है कि इसका ये मतलब कतई नहीं है न ही लिया जाना चाहिए कि चर्च गर्भस्थ भ्रूण से प्राप्त कोशिकाओं से किसी भी प्रकार का टीका बनाने का नैतिक समर्थन करता है। वेटिकन ने कहा है इस तरह से टीके को बनाना एक नैतिक असमंजस है लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है।
पोप को कब दिया जाएगा टीका ?
वेटिकन ने अपने अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा "COVID-19 वैक्सीन लगवाने से कैथोलिक धार्मिक सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं होगा। वेटिकन ने यह भी उल्लेख किया कि एक देश में विभिन्न टीके वितरित किए जा रहे हैं इसलिए 'स्वास्थ्य अधिकारियों को नागरिकों को ये चयन करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए कि वे कौन सा टीका लगवाएं।" वेटिकन ने कहा कि कोविड-19 के टीके प्राप्त करना नैतिक रूप से स्वीकार्य है, जिसमें गर्भस्थ भ्रूणों से प्राप्त सेल लाइन का उपयोग किया जाता है।
हालांकि वेटिकन ने ये नहीं बताया कि क्या पोप फ्रांसिस को टीका लगाया जाएगा या फिर वह कौन सा टीका प्राप्त करेंगे।
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