भारतीय मूल के अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन कौन हैं, जिन्होंने भारत को बदनाम करने वाली रिपोर्ट बनाई?
भारत पिछले साल भी इस रिपोर्ट को सिरे से खारज कर चुका है। भारत ने कहा था, कि इस तरह की रिपोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रसित, राजनीति से प्रेरित और वोट बैंक के लिए बनाई गई होती हैं।
US religious freedom report 2023: अमेरिका ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता के हवाले से भारत की निंदा की गई है।
लेकिन क्या आप जानते हैं, कि इस रिपोर्ट को बनाने वाले अधिकारी कौन हैं। इस रिपोर्ट को बनाने वाले अधिकारी का नाम है रशद हुसैन, जिन्होंने भारत में कई धार्मिक समुदायों के साथ हो रहे सलूक पर गहरी चिंता जताई है।
पिछले साल भी रशद हुसैन ने ही धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट तैयार की थी और कहा था, कि इन चुनौतियों को दूर करने के लिए वॉशिंगटन लगातार भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है। ऐसे में आईये जानते हैं, कि अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन कौन हैं, उनका भारत से क्या रिश्ता है और क्या वो भारत के खिलाफ राजनीतिक उद्येश्य से पूर्वाग्रह भरा रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं?
भारत के खिलाफ पूर्वाग्रह भरा रिपोर्ट
पिछले साल जब अमेरिका की तरफ से धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत की आलोचना की गई थी, तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था, कि " वोट बैंक की राजनीति के लिए इस तरह की रिपोर्ट जारी की जाती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।" लेकिन, इस साल भी ऐसी ही रिपोर्ट जारी की गई है और जारी करने वाले अधिकारी भी वही हैं, जो पिछसे साल थे।
पिछले साल भारतीय बयान में बिना रशद हुसैन नाम लिए कहा गया था, कि "ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है, कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति का इस्तेमाल किया जाता है।" इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी रिपोर्ट को पूर्वाग्रह पर आधारित और एकतरफा विचारों से बनाया गया बताया था।
वहीं, पिछले साल की रिपोर्ट में हिन्दुओं के खिलाफ होने वाली हिंसक वारदातों को एक लाइन में लिखकर खाना पूर्ति कर ली गई थी, जिसमें उदयपुर में एक दर्जी की गला काटकर मुस्लिम शख्स ने हत्या कर दी थी, लिहाजा अमेरिकी अधिकारी की मंशा पर सवाल उठते हैं।
कौन हैं अमेरिकी अधिकारी रशद हुसैन?
पिछले साल वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (आईआरएफ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा था, कि उनके पिता 1969 में भारत से अमेरिका आए थे।
रशद हुसैन ने बताया था कि 'इस देश ने (अमेरिका) मेरे पिता को सबकुछ दिया, लेकिन वो भारत से प्यार करते हैं और भारत में जो कुछ हो रहा होता है, उसे फॉलो करते हैं। मेरे पिता के साथ भारत के मुद्दों पर और भारत की स्थिति पर चर्चा होती रहती है, जैसा आम तौर पर लोग करते हैं, जो रिपोर्ट्स हमारे पास पहुंचती हैं, उस आधार पर, और हम देखते हैं, कि भारत में क्या हो रहा है और हम भारत से प्यार करते हैं और हम चाहते हैं, कि भारत एक ऐसा देश बने, जो अपने वैल्यू के आधार पर आगे बढ़े।'
रशद हुसैन ने पिछले साल कहा था कि, अमेरिका भारत में कई धार्मिक समुदायों के बारे में "चिंतित" है और चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारतीय अधिकारियों के साथ "सीधे डील" कर रहा है।
पिछले साल भी उगला था 'जहर'
भारतीय-अमेरिकी राजनयिक रशद हुसैन ने पिछले साल कहा था कि, 'भारत में अब एक नागरिकता कानून है जो बन चुका है। हमारे पास रिपोर्ट है, कि भारत में नरसंहार के लिए आह्वान किया गया। हमने चर्चों पर हमले किए हैं। हमने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। हमने घरों को तोड़ा है'।
रशद हुसैन ने स्पष्ट रूप से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा था, कि, 'हमारे पास बयानबाजी है, जिसका खुले तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है जो लोगों के प्रति अमानवीय है, इस हद तक कि एक मंत्री ने मुसलमानों को दीमक के रूप में संदर्भित किया है।" अपने एक भाषण में उन्होंने बांग्लादेशी प्रवासियों को "दीमक" कहा था।
रशद हुसैन ने सम्मेलन में बोलते हुए कहा था, कि यूएस होलोकॉस्ट म्यूजियम की प्रारंभिक चेतावनी परियोजना ने "भारत को सामूहिक हत्याओं के जोखिम में दुनिया में नंबर दो देश के रूप में नामित किया था।" जाहिर है, ये रिपोर्ट्स भारत के खिलाफ लंबे समय से चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा का हिस्सा रहे हैं, जैसे की सबसे खुशहाल देशों की लिस्ट में पाकिस्तान से नीचे भारत को रखा जाता है, जहां कुछ सालों में हिन्दुओं का नामोनिशान मिट जाएगा।