दुनिया बचाने के लिए चल रही थी विश्व की सबसे बड़ी बैठक, सो गये राष्ट्रपति जो बाइडेन!
ग्लासको में जलवायु परिवर्तन पर सीओपी-26 सम्मेलन के दौरान यूएस राष्ट्रपति झपकियां लेते नजर आए।
ग्लासको, नवंबर 02: दुनिया बचाने के लिए स्कॉटलैंड के ग्लासको शहर में विश्व की सबसे बड़ी बैठक चल रही है, जिसमें जलवायु परिवर्तन को कैसे रोका जाए, इस पर सख्त नीति बनाने के लिए विश्व भर के बड़े बड़े नेता जुटे हुए हैं। लेकिन, इस बैठक के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद पलक झपकाते नजर आए, जबकि जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका ही लगातार दुनिया का अगुआ बनने की कोशिश में रहा है।
क्या सो गये थे जो बाइडेन?
ग्लासको में जलवायु परिवर्तन को लेकर हो रही अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम सीओपी-26 की बैठक के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन झपपियां लेते नजर आएं। उन्होंने कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं, जिसका वीडियो सोशल मीडया पर जमकर वायरल हो रहा है। वहीं, चीन ने भी राष्ट्रपति जो बाइडेन की झपकी का मजाक उड़ाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्कॉटलैंड में सीओपी-26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में उद्घाटन टिप्पणी के दौरान बार बार सोते हुए दिखाई दिए। एक जगह, जब उनका एक सहयोगी उनके पास जगाने के लिए पहुंचता है, उससे पहले वो करीब 22 सेकंड के लिए सोते दिखाई दिए।
दो बार सोते नजर आए
कार्यक्रम के दौरान जो बाइडेन के ऊपर कैमरा बना हुआ था और वो काफी नींद में दिखाई दे रहे थे। पहली बार वो सात सेकंड के लिए सोते दिखाई दिए, जबकि दूसरी बार उनकी आंखें 22 सेकंड तक सोते दिखाई दिए। उसके बाद वो फिर जगे औऱ अपना सिर हिलाया, ताकि नींद खुल जाए। जिस वक्त जो बाइडेन झपकियां ले रहे थे, उस वक्त विकलांग अधिकार कार्यकर्ता एडी नडोपू कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे और उस दौरान वो चेतावनी दे रहे थे कि, ग्लोबल वार्मिंग ने "भोजन विकसित करने और यहां तक कि जीवित रहने की हमारी क्षमता" पर खतरा पैदा कर दिया है। जब जो बाइडेन झपकियां ले रहे थे, उस वक्क नदोपू, जो अश्वेत और समलैंगिक भी हैं, उन्होंने कहा कि, ''मैं आपसे इस शानदार ग्रह के विनाश को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करने का आह्वान करता हूं।''
''इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण सम्मेलन''
जब जो बाइडेन झपकियां ले रहे थे, उस वक्त नदोपू ने कहा कि, "यह सम्मेलन इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक है"। उन्होंने कहा कि, ''आपके पास निर्णय लेने और समझौतों तक पहुंचने का मौका है जो आने वाली पीढ़ियों के जीवन को प्रभावित करेगा। आप असाधारण शक्ति की स्थिति में हैं। हम जिस पथ पर चल रहे हैं, उसे आप हमेशा के लिए बदल सकते हैं। आप एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जो एक बार फिर से आशा से भरी हो, डर से नहीं।" नदोपू के इस भाषण के बाद वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजानी शुरू कर दी और तालियों की की गड़गड़ाहट के साथ ही जो बाइडेन की नींद फिर से खुल गई और वो अपनी आंखों को रगड़ने लगे। वाशिंगटन पोस्ट के रिपोर्टर जैच ब्राउन ने एक ट्वीट में एक वीडियो क्लिप साझा किया, जो वायरल हो गया है।
कहीं मजाक, कहीं आलोचना
जो बाइडेन की झपकियां लेते वक्त का वीडियो क्लिप पूरी दुनिया में जमकर वायरल हो रहा है और कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, तो कई लोग उनका मजाक बना रहे हैं और कई लोग उनका बचाव भी कर रहे हैं। एनबीसी न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार केली ओ'डोनेल ने घटना के तुरंत बाद एमएसएनबीसी पर कहा कि, "ऐसा प्रतीत हो रहा है, कि शायद वह सो रहे थे।" उन्होंने आगे कहा कि, "ये शर्मनाक स्थिति है, क्योंकि आपके पास इन मुद्दों के समाधान की शक्ति है और इस ऐतिहासिक क्षण में आप सो रहे हैं''। आपको बता दें कि, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अब काफी उम्रदराज भी हो गये हैं और उनकी उम्र अब 79 साल हो चुकी है। हालांकि, कई लोगों ने राष्ट्रपति बाइडेन का बचाव भी किया है और कहा है कि, झपकियां आना कुदरती है और इसके लिए आप किसी की आलोचना नहीं कर सकते हैं।
चीनी मीडिया में उड़ा मजाक
जो बाइडेन की झपकियों का चीन की मीडिया में मजाक उड़ाया जा रहा है। चीन का सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, ''फिर से सो गये? वॉशिंगटन पोस्ट के रिपोर्टर ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन करीब 20 सेकंड तक सोते हुए नजर आ रहे हैं।'' जिसपर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ ट्विटर यूजर्स ने कहा है कि, ''उनके कुछ सेकंड सो जाने से कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ा है, हमेशा पॉजिटिव पक्ष को देखना चाहिए''। वहीं, एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि, ''उन्हें डर है कि, कहीं चीन में सरकार का तख्तापलट ना हो जाए''।
बाइडेन ने दिया भाषण
बाद में सोमवार को जो बाइडेन ने ग्लासगो कार्यक्रम में लगभग 12 मिनट का भाषण दिया और दुनिया के देशों से जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने का आग्रह किया। लेकिन, उन्होंने सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले चीन का जिक्र नहीं किया। बाइडेन ने कहा कि, "हम में से जो अधिकांश वनों की कटाई और अब तक की सभी समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं, उन राष्ट्रों के ऊपर भारी दायित्व हैं जो वास्तव में वहां नहीं हैं, उन्होंने ऐसा नहीं किया है।"
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