Ukraine War: FATF ने रूस की सदस्यता निलंबित की, सजा के क्या कारण गिनाए? जानिए
यूक्रेन में एक साल से अधिक समय तक रूसी सेना की कार्रवाई के कारण मानवीय संकट जैसे हालात है। इसी बीच FATF ने सख्त कार्रवाई कर रूस की सदस्यता निलंबित कर दी है।
Ukraine War FATF की सख्ती की बुनियाद बना। पश्चिमी देशों की तरफ से प्रतिबंध की मार झेल रहे रूस को उस समय तगड़ा झटका लगा जब युद्ध के एक साल पूरे होने पर एक अहम फैसले में FATF ने रूस की सदस्यता खत्म करने की घोषणा की। वित्तीय अपराध निगरानी संस्था (FATF) ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की सदस्यता निलंबित की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एफएटीएफ ने शुक्रवार को यूक्रेन के "अवैध, अकारण और अनुचित" और पूर्ण पैमाने पर सैन्य आक्रमण के कारण रूस की सदस्यता को निलंबित कर दिया।
पेरिस में आयोजित एफएटीएफ प्लेनरी के बाद जारी बयान में कहा गया, रूस की कार्रवाई एफएटीएफ के मूल सिद्धांतों के खिलाफ "अस्वीकार्य रूप से चल रही" थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा, सुरक्षा और अखंडता को बढ़ावा देना है।
बयान में कहा गया, रूस के यूक्रेन पर अवैध, अकारण और अनुचित पूर्ण पैमाने पर सैन्य आक्रमण के एक साल बाद, एफएटीएफ ने कहा कि संगठन यूक्रेन के लोगों के लिए अपनी गहरी सहानुभूति दोहराता है। यूक्रेन पर रूस के "क्रूर हमले" के कारण भारी हानि और दुर्भावनापूर्ण विनाश जारी हैं।
बयान में कहा गया है कि यूक्रेन के खिलाफ पिछले एक साल में रूस ने "अपने अमानवीय और क्रूर हमलों को तेज कर दिया है। "आक्रामकता और युद्ध" की "कड़ी निंदा" करते हुए, एफएटीएफ ने कहा रूस और संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत अधिकार क्षेत्रों के बीच हथियारों के व्यापार की रिपोर्ट और रूस से निकलने वाली दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों से FATF बहुत चिंतित है।
रूसी कार्रवाई अस्वीकार्य रूप से एफएटीएफ के मुख्य सिद्धांतों के खिलाफ है, जिसका उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा, सुरक्षा और अखंडता को बढ़ावा देना है। वे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आपसी सम्मान के प्रति प्रतिबद्धता के घोर उल्लंघन का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। इस कारण एफएटीएफ सदस्य रूस पर प्रतिबंध लागू करने के लिए सहमत हुए हैं।
रूस की कार्रवाई को मद्देनजर रखते हुए, एफएटीएफ ने रूसी संघ की सदस्यता को निलंबित करने का फैसला किया है। रूसी संघ एफएटीएफ मानकों को लागू करने के अपने दायित्व के लिए जवाबदेह है।
दरअसल, रूस ने आज से ठीक एक साल पहले, 24-25 फरवरी को ही यूक्रेन की सरजमीं पर सैनिकों को भेजा था। शुरुआती मीडिया रिपोर्ट्स में इसे स्पेशल मिलिट्री एक्शन का नाम दिया गया। बाद में राष्ट्रपति पुतिन की इस सैन्य कार्रवाई को रूस यूक्रेन युद्ध के रूप में देखा गया। सेना की कार्रवाई गत एक साल से चल रही है।
दोनों देशों के नागरिकों को युद्ध की विभीषिका के कारण संघर्ष करना पड़ रहा है, लेकिन रूस को अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मामले में इसका अधिक खामियाजा भुगतना पड़ा है। सबसे ताजा फैसले में FATF ने रूस की सदस्यता रद्द करने का फैसला लिया है। कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था, रूस के राष्ट्रपति पुतिन अमेरिका के फौलादी इरादों से टकराए हैं।
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