क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ब्रिटेन आर्थिक संकट: भारत के साथ एक डील कैसे ऋषि सुनक सरकार को बड़ी उम्मीदें दे रहा है?

यूक्रेन संकट की वजह से उत्पन्न ऊर्जा संकट ने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे ब्रिटेन के घरेलू उपभोक्ता के सामने जीवन-यापन का संकट तक पैदा हो गया है।

Google Oneindia News

UK economy: प्रधानमंत्री बनने के बाद से अभी तक ऋषि सुनक सरकार के लिए राहें कुछ आसान नहीं रही हैं और इस हफ्ते जारी लेटेस्ट ऑफिसियल आंकड़ों में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने और कम से कम दो साल लंबी आर्थिक मंदी रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं, भारतीय मूल के पूर्व ब्रिटिश वित्तमंत्री ऋषि सुनक, जिन्होंने लिज ट्रस के विनाशकारी मिनी-बजट के बाद देश की सत्ता संभाला था, उन्होंने बढ़ती महंगाई दर को कम करने को लेकर चेतावनी दी थी, कि आगे सरकार अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कठिन टैक्स और खर्च को लेकर फैसले करेगी। लेकिन, ऋषि सुनक भारत की तरफ बहुत बड़ी उम्मीदों के साथ देख रहे है। आखिर ब्रिटेन के लिए भारत क्यों उम्मीद भरी रोशनी की तरह है, आइये जानते हैं।

ब्रिटेन के सामने है बड़ा संकट

ब्रिटेन के सामने है बड़ा संकट

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों की माने तो ब्रिटेन सरकार के सामने अपार संकटे हैं, लिहाजा वे भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को बहुत बड़ी संभावना के साथ आवश्यक आर्थिक विकास के लिए जरूरी तत्व के तौर पर देखते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) सेंटर फॉर इकोनॉमिक परफॉर्मेंस में सीनियर पॉलिसी फेलो डॉ अन्ना वैलेरो ने कहा है, कि "यूके में आर्थिक संकट कुछ नए और कुछ पुराने कारकों के कारण आया है।" उन्होंने कहा कि, "उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें और वित्तीय नीति को काफी कठिन उस वक्त किया गया, जब यूनाइटेड किंगडम काफी खराब प्रोडक्टिविटी से गुजर रहा था, इसकी वजह से असल में कड़ा करना वित्तीय संकट के बाद से यूके में विशेष रूप से खराब उत्पादकता वृद्धि की पृष्ठभूमि के खिलाफ होता है, जिसकी वजह से वर्किंग क्लास के भीतर काफी ज्यादा प्रेशर बनता चला गया।"

ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की समस्याएं

ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की समस्याएं

डॉ अन्ना वैलेरो के मुताबिक, ब्रिटिश अर्थव्यवस्था बड़ी और लगातार असमानताओं के बीच फंसा हुआ है और खराब विकास के बीच खराब असमानताओं ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के विकास को स्थिर कर दिया और ब्रिटेन एक 'ठहराव राष्ट्र' बना दिया"। उन्होंने कहा कि, "अगर ब्रिटेन को एक मजबूत, निष्पक्ष और ज्यादा टिकाऊ विकास के रास्ते पर ले जाना है, तो फिर एक नई आर्थिक रणनीति बनाने की तत्काल आवश्यकता है।" वहीं, यह पूछे जाने पर, कि भारत-यूके एफटीए ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है, तो उन्होंने इस ट्रेड डील का स्वागत किया और उन्होंने कहा कि, ऋषि सुनक भारत के साथ ट्रेड डील करने के लिए काफी उत्सुक और प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि, "इस तरह का सौदा यूके के लिए विकास के अवसर पैदा कर सकता है, खासकर अगर एक्सपोर्ट सर्विस को ब्रिटेन ने मौके की तरफ भुनाया और भारत को निर्यात किया। एक्सपोर्ट सेक्टर ब्रिटेन के लिए तुलनात्मक तौर पर लाभ का सेक्टर रहा है"।

ब्रिटेन के लिए भारत क्यों है जरूरी?

ब्रिटेन के लिए भारत क्यों है जरूरी?

यूक्रेन संकट की वजह से उत्पन्न ऊर्जा संकट ने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे ब्रिटेन के घरेलू उपभोक्ता के सामने जीवन-यापन का संकट तक पैदा हो गया। इसके साथ ही कोविड संकट और ब्रेक्सिट ने ब्रिटेन की समस्याओं में इजाफा ही किया, जब साल 2016 में यूरोपीय संघ से ब्रिटेन बाहर आ गया था (जिसे ब्रेक्सिट कहा जाता है), लिहाजा अब ब्रिटेन को एक ऐसे बाजार की तलाश है, जहां वो एक्सपोर्ट बढ़ा सके और जिसके लिए अपने दरवाजे खोल सके। इकोनॉमिक एक्सपर्ट के मुताबिक, आर्थिक संकट में फंसने के बाद सामान्य ब्रिटिश परिवारों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जो किसी भी समृद्ध अर्थव्यवस्था का निर्माण करते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि, ब्रिटिश सरकार के लिए जरूरी है, कि वो एक ऐसी योजना के साथ आगे बढ़े, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आए और ऋषि सुनक इस अगले महीने बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं, लिहाजा उनके पास अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने का मौका होगा।

भारत के साथ डील अहम क्यों?

भारत के साथ डील अहम क्यों?

डॉ अन्ना वैलेरो ने कहा कि, वो भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को पॉजिटिव मानती हैं, जिसको लेकर बातचीत फिर तेज हो गई है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत,इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के केंद्र में स्थित है जो इस तरह के एक फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट के आकर्षण को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि, "भारत के साथ एफटीए से ब्रिटेन के निर्यात में तेजी से इजाफा होगा, जिससे यूके व्यापार की स्थिति मजबूत कर पाएगा। इसके साथ ही व्यापार मार्गों में विविधता आएगी, जिससे सप्लाई चेन और ज्यादा लचीला बनेगा, लिहाजा देश के पॉलिटिकल सिस्टम के लिए चीजें कम असुरक्षित होंगी। उनका मानना है, कि देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को पुनर्जीवित करने की जरूरत है और भारत के साथ ट्रेड डील इसके लिए काफी अहम होगा।

भारत-ब्रिटेन, दोनों को एक दूजे की जरूरत

भारत-ब्रिटेन, दोनों को एक दूजे की जरूरत

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जो भारत के साथ ट्रेड डील को लेकर काफी ज्यादा उत्सुक थे और उन्होंने दिवाली से पहले डील फाइनल करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, बीच में ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन, उनका अभी भी मानना है, कि भारत और ब्रिटेन, दोनों को पहले के मुकालबे कहीं ज्यादा, एक दूसरे की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि, दोनों देशों को अब पहले से कहीं ज्यादा एक दूसरे की जरूरत है क्योंकि "हम खतरनाक और अशांत समय में रह रहे हैं।" जॉनसन ने दोनों देशों से मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का आह्वान करते हुए कहा कि, वह इसके लिए अगली दिवाली तक इंतजार नहीं कर सकते।

G20 Summit: विश्वशक्ति बनकर इंडोनेशिया जाएगा भारत, पीएम मोदी से मिलने के लिए क्यों बेताब हैं बाइडेन?G20 Summit: विश्वशक्ति बनकर इंडोनेशिया जाएगा भारत, पीएम मोदी से मिलने के लिए क्यों बेताब हैं बाइडेन?

Comments
English summary
Is India a big hope before Britain to escape the economic crisis?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X