UAE ने पर्सनल लॉ में किया सुधार, शराब पीना अब अपराध नहीं और लिव-इन संबंधों पर रोक हटी
नई दिल्ली- संयुक्त अरब अमीरात ने इस्लामिक कानूनों में बहुत ही क्रांतिकारी सुधार किए हैं। इस देश ने ऑनर किलिंग के मामलों में मामूली सजा देने के प्रावधान को खत्म कर दिया है और बिना विवाह के साथ रहने वाले युगल दंपति पर लगी पाबंदी भी हटा ली है। यही नहीं उसने शराब पीने को भी अपराध की श्रेणी से हटा लिया है। इस खाड़ी देश ने वहां रहने वाले विदेशी नागरिकों को भी तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में उनके अपने देशों के कानूनों के पालन करने की छूट दे दी है, न कि उन्हें इस्लामिक कानूनों के तहत यूएई के कानूनों के पालन की जरूरत है। यह जानकारी वहां की सरकार से जुड़ी मीडिया के हवाले से सामने आई है।
संयुक्त अरब एक ऐसा मुस्लिम देश है जहां प्रवासियों की संख्या नागरिकों के मुकाबले 9 के बदल 1 रह गई है। दुनिया में इसने अपनी पहचान एक ऐसे प्रगतिशील अत्याधुनिक बिजनेस हब और टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर कायम की है, जो अपने कानूनों के पालन करवाने में हमेशा बहुत सख्त नहीं रहता। हालांकि, फिर भी ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं, जिससे दुनिया में उसकी छवि खराब हुई है। जैसे कि एक महिला ने बलात्कार की शिकायत की तो उसे जेल में डाल दिया गया। दि गार्जियन ने वहां की सरकारी न्यूज एजेंसी डब्ल्यूएएम के हवाले से बताया है कि वहां किए गए कानूनी सुधार का लक्ष्य 'संयुक्त अरब अमीरात के सहिष्णुता के सिद्धांतों को मजबूत करना है।' इसकी वजह ये है कि वह अगले वर्ष वर्ल्ड एक्सपो की मेजबानी करने के लिए खुद के नियमों में बदलाव कर रहा है। इस एक्सपो में कोरोना वायरस की वजह से एक साल की देरी हो गई, जिसमें करीब 2.5 करोड़ लोगों के जुटने की संभावना है।
यूएई के फिल्मकार अब्दुल्ला अल काबी का कहना है कि 'मैं इन नए कानूनों के लिए खुश नहीं हो सकता जो प्रगतिशील और अधिक सक्रिय हैं।' इनकी कला ने समलैंगिक प्रेम और लैंगिक पहचान जैसे वर्जित विषयों का सामना किया है। उन्होंने बताया है कि '2020 संयुक्त अरब अमीरात के लिए एक कठिन और परिवर्तकारी वर्ष रहा है।' वहां के जजों को अभी तक यह अनुमति थी कि जब किसी महिला पर कोई रिश्तेदार हमला करता है या उसकी हत्या कर देता है तो उसे हल्की सजा दें। क्योंकि, उसके पुरुष रिश्तेदार ने माना होगा कि उसकी वजह से परिवार के सम्मान या 'ऑनर' को ठेस पहुंचा है। इन मामलों में किसी गैर-रिश्तेदार पुरुषों के साथ भाग जाना या दोस्ती करने जैसे मामले शामिल हो सकते थे।
ह्युमैन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केनिथ रोद ने यूएई कानूनों में हुए बदलावों के बारे में कहा है, कि यह 'महिला अधिकारों के लिए सकारात्मक कदम है' लेकिन उन्होंने दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम की बेटियों को लेकर चिंता भी जाहिर की है। यूनाइटेड किंग्डम की एक फैमिली कोर्ट ने इस साल पाया कि उन्होंने अपनी सबसे छोटी पत्नी को 'डराने'की मुहिम में अपनी दो संतानों को अगवा करने की साजिश रची, जिनमें से एक को कैंब्रिज की सड़क से उठाया गया था।
नए कानून में महिलाओं का किसी तरह से उत्पीड़न करने वाले पुरुष को कड़ी सजा देने की बात करता है। हालांकि, रिपोर्ट में वहां के उन कानूनों का जिक्र नहीं है, जो पहले विदेशियों की परेशानियों का कारण बन चुके हैं, जैसे कि समलैंगिकता, क्रॉस-ड्रेसिंग और प्यार का सार्वजनिक इजहार करना।
यूएई में शराब पहले भी रेस्टोरेंट और बार में बेची जाती थी, लेकिन उन्हें खरीदने और पीने के लिए लोगों को लाइसेंस रखना होता था। नए कानून के तहत मुसलमानों को भी बेझिझक शराब पीने का अधिकार दिया गया है, जिन्हें पहले लाइसेंस नहीं दिया जाता था।
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