UNGA में तुर्की के राष्ट्रपति ने फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा, पिछले हफ्ते ही पीएम मोदी से मिले थे अर्दोआन
तुर्की पाकिस्तान का एक करीबी सहयोगी है। अर्दोआन के कश्मीर पर दिए गये जहरीले बयानों के चलते नई दिल्ली और अंकारा के बीच संबंधों में कई बार तनाव पैदा हो चुका है।
न्यूयॉर्क, सितंबर 21: भारत के खिलाफ अकसर जहर उगलने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया है। अर्दोआन ने कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र में उस वक्त बात की है, जब उन्होंने पिछले हफ्ते ही उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तईप अर्दोआन ने मंगलवार को एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए कहा कि, "भारत और पाकिस्तान के बीच अभी तक शांति स्थापित नहीं की है।"
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अर्दोआन ने यूएनजीए में क्या कहा?
तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए कहा कि, "भारत और पाकिस्तान ने 75 साल पहले अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता स्थापित करने के बाद भी एक दूसरे के बीच शांति और एकजुटता स्थापित नहीं की है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम आशा और प्रार्थना करते हैं कि कश्मीर में एक निष्पक्ष और स्थायी शांति और समृद्धि स्थापित हो''। अर्दोआन की टिप्पणी लगभग एक सप्ताह बाद आई है, जब उन्होंने शुक्रवार को उजबेक शहर समरकंद में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। SCO शिखर सम्मेलन में, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की पूरी श्रृंखला की समीक्षा की थी और विविध क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की थी।
कश्मीर पर बोलते रहे हैं अर्दोआन
यह पहली बार नहीं है जब तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर के बारे में बात की है। इससे पहले 2020 में भी पाकिस्तान की संसद में एक संबोधन में अर्दोआन ने "प्रथम विश्व युद्ध के दौरान विदेशी वर्चस्व के खिलाफ तुर्की लोगों द्वारा लड़ाई के साथ कश्मीरी लोगों के संघर्ष की तुलना कर डाली थी।" जिसके बाद भारत ने उनकी टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताया था और अर्दोआन की आलोचना की थी और उन्हें भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के लिए कहा था। तत्कालीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कौमार ने कहा था कि, भारत ने जम्मू -कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा किए गए सभी संदर्भों को अस्वीकार कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि यह क्षेत्र भारत का एक अभिन्न और अयोग्य हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि, "हम तुर्की के नेतृत्व को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने और तथ्यों की उचित समझ विकसित करने के लिए कहते हैं, जिसमें पाकिस्तान से भारत और क्षेत्र में आने वाले आतंकवाद से उत्पन्न गंभीर खतरा भी शामिल है।"
पाकिस्तान को खुश करता है तुर्की
आपको बता दें कि, तुर्की पाकिस्तान का एक करीबी सहयोगी है। अर्दोआन के कश्मीर पर दिए गये जहरीले बयानों के चलते नई दिल्ली और अंकारा के बीच संबंधों में कई बार तनाव पैदा हो चुका है और भारत ने कश्मीर पर तुर्की की पिछली टिप्पणियों को "अस्वीकार्य" कहा है। पिछले साल, अर्दोआन ने UNGA बैठक के दौरान कश्मीर पर अमेरिकी संकल्पों का उल्लेख किया था, विशेष रूप से, पाकिस्तान के बाद, तुर्की ही एकमात्र देश था, जिसने 193 सदस्यीय UNGA में कश्मीर का मु्द्दा उठाया था। इस बीच, 2020 में, तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर स्थिति को "जलता हुआ मुद्दा" कहा था। उन्होंने कश्मीर के लिए विशेष स्थिति को समाप्त करने के लिए भारत के कदम की भी आलोचना की थी।
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