सऊदी अरब के लोग क्यों बोल रहे- हमारा गोल्ड ईरान और तुर्की वालों ने चुराया
सऊदी पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचने की कगार पर था. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि गोल्ड सिल्वर मेडल में बदल गया और मुल्क के लोग ईरान और तुर्की को कोसने लगे.
टोक्यो ओलंपिक. कराटे का फ़ाइनल मुक़ाबला. आमने-सामने सऊदी अरब और ईरान के खिलाड़ी. रेफ़री तुर्की के. सऊदी के तारेग हामेदी 4-1 से आगे चल रहे थे.
सऊदी पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचने की कगार पर था. तभी हामेदी ने ईरान के सज्जाद गंजज़ादेह को ऐसी किक मारी कि वो बेहोशी की हालत में गिर गए.
तुर्की के रेफ़री ने इसे नियमों का गंभीर उल्लंघन माना और गोल्ड मेडल ईरान के सज्जाद को देने का फ़ैसला किया. इसके बाद सऊदी के लोग भड़क गए और कहना शुरू किया कि ईरान और तुर्की ने मिलकर उनका गोल्ड चुरा लिया.
ओलंपिक या यह मुक़ाबला तीनों देशों के द्विपक्षीय संबंधो में रही ऐतिहासिक दुश्मनी की कसौटी पर भी देखा जाने लगा.
https://twitter.com/NawafBasaleh/status/1424077586033004545
टोक्यो ओलंपिक में तारेग हामेदी
सात अगस्त को ऐसा लग रहा था कि सऊदी अरब को तारेग ओलंपिक में पहला गोल्ड दिलाने जा रहे हैं. लेकिन कराटे कुमिटे के 75 किलोग्राम में हामेदी के खेल में तकनीकी ख़ामी पकड़ी गई और वे गोल्ड जीतने से चूक गए.
23 साल के हामेदी को फ़ाइनल में आगे होने पर भी सिल्वर पर संतोष करना पड़ा. हामेदी के प्रदर्शन में तकनीकी ख़ामी तब पकड़ी गई जब वे 4-1 से आगे थे.
यह सऊदी अरब के लिए ओलंपिक में दूसरा सिल्वर मेडल है. इससे पहले धावक हादी सावन को सिडनी ओलंपिक 2000 में 400 मीटर की बाधा दौड़ में मेडल मिला था. हामेदी के प्रदर्शन में ग़लती के कारण ही ईरानी खिलाड़ी को रेफ़री ने गोल्ड देने का फ़ैसला किया था.
लेकिन सऊदी अरब में हामेदी अभी किसी हीरो से कम नहीं हैं. इस ओलंपिक में सऊदी के लिए यह इकलौता मेडल है. सऊदी के खेल मंत्री अब्दुल अज़ीज़ बिन तुर्की अल-फ़ैसल ने हामेदी को 13 लाख डॉलर इनाम के तौर पर देने की घोषणा की है.
https://twitter.com/AbdulazizTF/status/1425193460596871174
तकनीकी ग़लती के आधार पर हामेदी को सिल्वर दिया गया तो सोशल मीडिया पर सऊदी अरब के लोगों ने भारी ग़ुस्से का इज़हार किया. सऊदी के लोगों ने टर्किश रेफ़री को निशाना बनाना शुरू कर दिया.
उन्होंने ही तारेग को गोल्ड नहीं देने का फ़ैसला किया था. सऊदी के लोगों ने कहा कि यह पक्षपाती फ़ैसला है. सऊदी के लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया कि तुर्की और ईरान ने तारेग हामेदी का गोल्ड मेडल चुरा लिया. लोगों ने ट्विटर पर हैशटैग लगाना शुरू कर दिया तुर्की और ईरान ने हमारा गोल्ड चुरा लिया है.
तुर्की के रेफ़री उगर कुबास ने तारेग हामेदी को 'हिंसक' होने के लिए मुक़ाबले से निलंबित कर दिया था. ऐसे में 4-1 से आगे होने के बावजूद हामेदी को सिल्वल मेडल मिला और ईरान के सज्जाद को गोल्ड.
https://twitter.com/TareqAlhamdi/status/1424046476167057411
बाद में टर्किश रेफ़री उगर कुबास ने भी ख़ामोशी तोड़ी और उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''सोशल मीडिया पर जितना निशाना मुझे बनाया गया है, ऐसा मेरे जीवन में अब तक नहीं हुआ. मैं अपना अकाउंट बंद कर दूंगा. मैं मिडल रेफ़री हूँ और नियमों से बंधा हूँ. नतीजा दो डॉक्टरों और पाँच रेफ़री के फ़ैसले से लिया गया. मैंने बहुमत के फ़ैसले का पालन किया है.''
तारेग हामेदी ने ट्विटर पर लिखा, ''लक्ष्य तो गोल्ड था, लेकिन फिर भी अल्लाह का शुक्रिया. मैं इस उपलब्धि को किंग सलमान, क्राउन प्रिंस और खेल मंत्री को समर्पित करता हूँ.''
https://twitter.com/naif4002/status/1424054130499375110
सऊदी अरब के खेल मंत्री ने ट्विटर पर हामेदी को 13 लाख डॉलर देने की घोषणा करते हुए लिखा, ''तारेग हामेदी हमारे हीरो हैं. हामेदी को 50 लाख रियाल का इनाम दिया जाएगा.''
दरअसल, हामेदी की एक किक ईरानी खिलाड़ी पर बहुत भारी पड़ी थी. सज्जाद बेहोशी की हालत में गिर गए थे. तत्काल डॉक्टरों की एक टीम आई और ऑक्सीज़न मास्क लगाया था. उन्हें स्ट्रेचर से वहाँ से ले जाया गया.
इसी के बाद गोल्ड मेडल सज्जाद को देने का फ़ैसला किया गया था. सज्जाद जब मेडल लेने आए तो बिल्कुल सामान्य थे. मेडल लेने के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, ''मैं गोल्ड मेडल लेकर ख़ुश हूँ, लेकिन मुझे जिस तरह से गोल्ड मिला है, उसे लेकर निराश हूँ.'' वहीं हामेदी ने कहा कि वे जज के फ़ैसले से नाख़ुश हैं, लेकिन जिस तरह से वो लड़े उससे ख़ुश हैं.
https://twitter.com/monther72/status/1424076382800203777
सऊदी अरब से तुर्की और ईरान के संबंध ऐतिहासिक रूप से ठीक नहीं है. ओलंपिक में सऊदी अरब और ईरान के खिलाड़ी जिस तरह से भिड़े और जो विवाद हुआ, उसे इस कसौटी पर भी देखा जाने लगा.
सऊदी अरब में इन दिनों 23 साल के तारेग हामेदी छाए हुए हैं. मंगलवार को तारेग से सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान ने मुलाक़ात की. क्राउन प्रिंस ने हामेदी को बधाई दी. इस मुलाक़ात में सऊदी अरब के खेल मंत्री प्रिंस अब्दुलाज़िज़ बिन तुर्की अल-फ़ैसल भी शामिल थे.
https://twitter.com/AbtTrend/status/1424024747873030153
सऊदी अरब और ओलंपिक
सऊदी अरब के लिए ओलंपिक में मेडल जीतना किसी सपने सरीखा रहा है. 1894 में इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी यानी आईओसी का गठन किया गया. महज़ दो साल बाद ही एथेंस में ओलंपिक का आयोजन हुआ.
उसके बाद से विश्व युद्ध को छोड़ दें तो ओलंपिक खेलों का आयोजन हर चार साल के अंतराल पर होता रहा. 1896 में जब पहला ओलंपिक खेल हुआ तब आधुनिक सऊदी अरब की स्थापना 36 साल दूर थी. 1932 में आधुनिक सऊदी अरब की स्थापना हुई थी.
सऊदी अरब 1945 में संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ, लेकिन खेल की दुनिया से संपर्क दूर ही रहा. ओलंपिक में भागीदारी एक दूर का सपना रहा. फ़ुटबॉल की वैश्विक लोकप्रियता के कारण बीसवीं सदी के पहले 50 साल में उसकी सऊदी में दस्तक हो चुकी थी. लेकिन ओलंपिक के बाक़ी खेल जैसे- ट्रैक एंड फील़्ड के अलावा घुड़सवारी और तलवारबाज़ी को आने में लंबा वक़्त लगा.
1956 में सऊदी अरब फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन बनाया गया और सऊदी अरब तत्काल फ़ीफ़ा का सदस्य बन गया. लेकिन इससे पहले से ही यहाँ क्लब मौजूद थे. लेकिन इसके बावजूद सऊदी नेशनल ओलंपिक कमिटी 1965 से पहले नहीं बनी थी. सऊदी के एथलिट म्यूनिख गेम्स 1972 से पहले तक प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सके.
https://twitter.com/Columbuos/status/1424072545414877186
इसके बाद से सऊदी अरब ने 12 में 11 समर गेम्स में अपने एथलिट्स भेजे. 1980 में मॉस्को गेम्स का अमेरिका ने बहिष्कार किया था और सऊदी अरब अमेरिकी ख़ेमे में ही शामिल था. सोवियत संघ ने छह महीने पहले ही अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था.
सऊदी अरब को ओलंपिक में सफलता सिडनी में साल 2000 में मिली. हादी सोउआन अल-सोमाइली ने 110 मीटर की बाधा दौड़ में सिल्वर जीता और ख़ालिद अल-ईद को जंपिंग में कांस्य पदक मिला.
लंदन 2012 ओलंपिक सऊदी के लिए अहम रहा. इसमें सऊदी की एक महिला एथलिट शामिल हुई. इसके लिए सऊदी अरब को काफ़ी लंबा इंतज़ार करना पड़ा. 2016 के रियो ओलंपिक में सऊदी अरब से सात पुरुष और चार महिलाएं शामिल हुईं.
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