कैंसर के ख़िलाफ़ जंग जिताएंगे ये दोनों वैज्ञानिक
टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एलिसन और क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हॉन्ज़ो नोबेल पुरस्कार से मिलने वाली राशि को साझा करेंगे, जो नौ मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानि लगभग 1.01 मिलियन डॉलर या लगभग 7.40 करोड़ रुपये है.
पुरस्कार स्वीकार करते हुए तासुकू हॉन्ज़ो ने संवाददाताओं से कहा, "मैं अपना शोध जारी रखना चाहता हूं... ताकि ये इम्यून थेरेपी अधिक से अधिक कैंसर के मरीजों को बचा सके."
मानव शरीर के इम्यून सिस्टम का इस्तेमाल कर कैंसर को निष्प्रभावी बनाने के लिए एक नया इलाज निकाला है दो वैज्ञानिकों ने.
इन दोनों को इसके लिए इस साल का फ़िज़ियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला है.
अमरीका के प्रोफ़ेसर जेम्स पी एलिसन और जापान के प्रोफ़ेसर तासुकू हॉन्ज़ो ने ये काम किया है. उनके इस इलाज को 'चेक प्वाइंट थेरेपी' कहा जा रहा है.
पुरस्कार देने वाले स्वीडिश अकेडमी ने बताया कि इम्यून चेक प्वाइंट थेरेपी कैंसर के उपचार में काफ़ी क्रांतिकारी बदलाव किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये "काफ़ी प्रभावी" साबित हुआ है.
टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एलिसन और क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हॉन्ज़ो नोबेल पुरस्कार से मिलने वाली राशि को साझा करेंगे, जो नौ मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानि लगभग 1.01 मिलियन डॉलर या लगभग 7.40 करोड़ रुपये है.
पुरस्कार स्वीकार करते हुए तासुकू हॉन्ज़ो ने संवाददाताओं से कहा, "मैं अपना शोध जारी रखना चाहता हूं... ताकि ये इम्यून थेरेपी अधिक से अधिक कैंसर के मरीजों को बचा सके."
प्रोफ़ेसर एलिसन ने कहा, "ये काफ़ी अच्छा है, इम्यून चेक प्वाइंट ब्लॉकेड से पूरी तरह सही होने वाले मरीजों से मिलने का भी मौका है. वे मूलभूत विज्ञान की शक्ति साबित करने के लिए हैं ताकि चीज़ें कैसे काम करती है, ये हम सीख और समझ सकें और उन्हें बता सकें."
लाइलाज बीमारी का इलाज
हमारा इम्यून सिस्टम हमें कई बीमरियों से बचाता है लेकिन अंदर ये अपने ही ऊतकों के हमले से बचने के लिए एक सेफ़गार्ड भी बनाता है.
कुछ कैंसर उन "ब्रेक्स" का फ़ायदा उठा सकते हैं और हमले से बच सकते हैं.
70 के दशक में एलिसन और हॉन्ज़ो ने ब्रेक लगाने वाले प्रोटीन को बंद करके ट्यूमर पर हमला करने वाले हमारे इम्यून सिस्टम को हटाने के लिए एक रास्ता ढूंढ़ निकाला है.
जिस बीमारी का पहले इलाज होना नामुमकिन था उसके लिए नई दवाईयां लाई गई, जो मरीजों को इस बीमारी से लड़ने के लिए एक नई उम्मीद देगा.
इम्यून थेरेपी चेक प्वाइंट का उपयोग एनएचएस द्वारा किया गया है. जिसका इस्तेमाल गंभीर मेलानोमा (त्वचा कैंसर) के इलाज के लिए किया जा रहा है.
ये सबके लिए प्रभावी नहीं है लेकिन कुछ मरीज़ों में बहुत ही अच्छी तरह काम कर रहा है जिसके परिणाम अविश्वसनीय है. पूरी तरह से ट्यूमर से छुटकारा मिल रहा है चाहे वो शरीर में पूरी तरह ही क्यों न फैल गया हो.
ऐसे मरीज़ों में इतने अच्छे परिणाम पहले कभी नहीं देखे गए हैं. एडवांस लंग्स कैंसर में भी कई डॉक्टर इस ट्रीटमेंट का उपयोग कर रहे हैं.
कैंसर रिसर्च यूके के प्रोफेसर चार्ल्स स्वांटन ने पुरस्कार विजेताओं का बधाई दी और कहा, ''इतने अच्छे काम के लिए धन्यवाद, हमारा अपने इम्यून सिस्टम ने कैंसर के प्रतिकूल स्वभाविक शक्ति महसूस की और मरीज़ों के जीवन रक्षक वाले उपचार का इस्तेमाल किया. त्वचा (मेलानोमा), फेफड़े (लंग) और किडनी जैसे एडवांस कैंसर के लिए इन इम्यून बढ़ाने वाली दवाइयों ने कई मरीज़ों का जीवन बदल दिया है.''
"इम्यूनोथेरेपी से एक नया रास्ता निकला है जो अभी अपने शुरुआती दौर में हैं इसलिए भविष्य में इस दिशा में होने वाली प्रगति और नये अवसरों की कल्पना करना ही काफ़ी रोमांचक है."
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