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मिस्र के पिरामिड का बहुत बड़ा रहस्य खुला, 4,500 वर्ष पहले क्या हुआ था ? जानिए

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काहिरा, 5 सितंबर: गीजा का पिरामिड हमेशा से जिज्ञासा का विषय रहा है। हजारों साल पहले उसका निर्माण कैसे किया गया होगा, इसकी गुत्थी कोई नहीं सुलझा पाता है। लेकिन, आधुनिक विज्ञान को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है, जिससे इसका एक बहुत बड़ा रहस्य तो खुला ही, भविष्य में इससे जुड़े और भी सवालों के जवाब मिलने की उम्मीदें जग गई हैं। इस शोध से यह भी पता चलता है कि कैसे पर्यावरण में उलटफेर होते रहते हैं और हो सकता है कि आज जहां नदियां बह रही हों, कुछ हजार वर्षों में उसका निशान खोजना भी असंभव बन जाए।

गीजा के पिरामिड को लेकर आजतक बने रहे कई रहस्य

गीजा के पिरामिड को लेकर आजतक बने रहे कई रहस्य

पुराने मिस्र साम्राज्य के गीजा का पिरामिड आज भी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इसने मजबूती के साथ हजारों साल में अपने सामने खड़ी हुई चुनौतियों का मुकाबला किया है। लेकिन, दुनिया भर के पुरातत्वविद यह गुत्थी पूरी तरह कभी नहीं सुलझा सके कि इतना विशाल और भव्य निर्माण उस जमाने में कैसे किया गया होगा, जब आधुनिक तकनीक का दूर-दूर तक कहीं नाम भी नहीं था। आखिर उस समय के लोगों ने इसे बनाने के लिए कौन सी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की होगी। इतने बड़े-बड़े चूना पत्थर और ग्रेनाइट के ब्लॉक से कैसे रेत में पहाड़ खड़ा किया होगा? कैसे इतने भारी पत्थर जुटाए गए होंगे! लेकिन, आधुनिक रिसर्च ने इन रहस्यों से पर्दा उठा दिया है।

 4,500 वर्ष पहले क्या हुआ था ?

4,500 वर्ष पहले क्या हुआ था ?

एक नए शोध में इस बात की जानकारी मिली है कि ग्रेनाइट और चूना पत्थर के विशाल ब्लॉक इस स्थान पर कैसे लाए गए होंगे। दरअसल, मिस्र की नील नदी से तब एक धारा निकलती थी, जो पिरामिड के पास तक पहुंचती थी, जिससे 4,500 साल पहले करीब 23 लाख ग्रेनाइट और लाइमस्टोन के ब्लॉक लाने में आसानी में रही होगी। यह ब्लॉक औसतन 2 टन वजनी थे। नील नदी की वह धारा आज अस्तित्व में नहीं है। क्योंकि, आज नील नदी पिरामिड से काफी दूर है।

मिस्र के पिरामिड का बहुत बड़ा रहस्य खुला

मिस्र के पिरामिड का बहुत बड़ा रहस्य खुला

प्रोसीडिंग्स ऑफ दि नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज में एक शोध छपा है, जिसमें उस पुरानी जलधारा के बारे में बताया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा है, 'अब यह बात स्वीकार की जाती है कि प्राचीन मिस्र के इंजीनियरों ने गीजा पठार के लिए निर्माण सामग्री और बाकी चीजों के परिवहन के लिए नील नदी के एक पूर्व चैनल का इस्तेमाल किया था।' कॉलेज डे फ्रांस के शोधकर्ताओं की एक टीम की अगुवाई में, टीम को खुफु ब्रांच का प्रमाण मिला है, जो नदी से जुड़ी एक धारा थी, जिसने पिरामिड परिसर तक नौकायन को सक्षम बनाया।

कभी उस क्षेत्र में हरियाली रही होगी-रिसर्च

कभी उस क्षेत्र में हरियाली रही होगी-रिसर्च

इस शोध के लिए शोधार्थियों ने गीजा के 8,000 साल पुरानी बाढ़ वाली जमीन में पराग से उत्पन्न वनस्पति के पैटर्न को पानी की धारा के आधार पर उसे रिकंस्ट्रक्ट करके यह रिसर्च किया है। इसके लिए टीम ने गीजा के पास मरुस्थल में 30 फीट गहराई में ड्रिलिंग की। उन्होंने उस जमाने में वहां मौजूद पौधों के जीवन के बारे में जानने के लिए पराग कणों का विश्लेषण किया और पाया कि जो स्थान आज मरुस्थल बन चुका है, वहां कभी पौधों और फर्न की 61 प्रजातियां मौजूद थीं। निष्कर्षों से यह जानकारी मिली है कि कैसे इस क्षेत्र में पारिस्थितिक परिवर्तन हुए हैं।

पिरामिड वाली भूमि कभी जलमग्न थी-शोध

पिरामिड वाली भूमि कभी जलमग्न थी-शोध

पराग के आंकड़ों का इस्तेमाल करके शोधार्थियों ने यहां तक अनुमान लगाया है कि वहां का जल स्तर पहले कितना था और इसमें यह बात सामने आई है कि जिस इलाके में साढ़े चार हजार साल पहले पिरामिड खड़ा किया गया था, वह करीब 8,000 साल पहले पानी के नीचे था। अगले कुछ हजार वर्षों में यह पूरी तरह सूख गया। टीम ने जिस जल धारा के सबूत जुटाए हैं, वह इतनी गहरी थी कि उसमें परिवहन मुमकिन था।

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तो मरुस्थल बनने से पहले तैयार हो चुका था पिरामिड

तो मरुस्थल बनने से पहले तैयार हो चुका था पिरामिड

शोधकर्ताओं ने पाया है कि मिस्र सूख गया, नील का वह चैनल विलुप्त हो गया और वह इस्तेमाल के लायक नहीं रह गया, लेकिन तब तक पिरामिड खड़ा किया जा चुका था। पहले के शोधकर्ताओं ने यह अनुमान जाहिर किया था कि मिस्र के प्राचीन इंजीनियरों ने मरुस्थल में परिवहन को आसान बनाने के लिए शायद नदी की कृत्रिम जलधारा निर्मित की होगी। हालांकि, उनके दावों के पक्ष में साक्ष्य नहीं के बराबर थे। हालांकि, नई रिसर्च में भी टीम ने इस बात की ओर इशारा किया है कि चीजें कब और कैसे बदलीं और मौजूदा लैंडस्केप कैसे तैयार हुआ, इसका पर्यावरण आधारित पूरी टाइमलाइन के साथ साक्ष्य अभी भी मौजूद नहीं हैं।

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English summary
The pyramid site of Giza in Egypt previously had a channel through which pieces of limestone and granite were transported
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