सीरिया: आजादी के एक साल बाद रक़्क़ा किस स्थिति में और चिंताएं कैसी-कैसी?
अमरीकी सेना के विशेष दल हमें वो स्कूल ले गए जहां बच्चों को संघर्ष के शारीरिक और मानसिक डर से निकलने में मदद की जा रही है.
उन बच्चों में एक लड़की भी शामिल थी जिसकी शादी जबरन आईएस के लड़ाके से करा दी गई थी. उसकी शादी उस समय कराई गई थी जब वो 11 साल की थी. संघर्ष में जख्मी होने के बाद उसे 13 साल की उम्र मे तलाक दे दिया गया.
इस्लामिक स्टेट के चंगुल से सीरियाई शहर रक़्क़ा के आज़ाद हुए एक साल हो गया है. पिछले साल अक्टूबर में अमरीका समर्थित सीरियाई कुर्द और अरब लड़ाकों ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था.
इस शहर पर आईएस का तीन साल तक कब्ज़ा रहा था और वो इसे अपनी राजधानी मानते थे.
दोनों पक्षों के बीच हुए क्रूर संघर्ष के निशान आज भी शहर में हर जगह दिखाई देते हैं. शहर मलबे मे तब्दील हो चुका है.
पूरी तरह तहस-नहस हो चुके इस शहर में लौट रहे लोगों को अब इसे बसाने की चिंता है.
मुख्य रूप से इस शहर की बर्बादी के लिए आईएस को जिम्मेदार ठहराया जाता है पर अमरीका और ब्रिटेन का भी हाथ इसमें कम नहीं था.
शहर को चरमपंथियों से मुक्त कराने के लिए यहां के घर-मकानों पर पांच महीने तक हवाई बमबारी की गई थी. ये बमबारी मुख्य रूप से अमरीका और ब्रिटेन ने की थी.
अब ये देश इसे दोबारा बसाने की जिम्मेदारी लेते नहीं दिख रहे हैं.
संघर्ष के दौरान यहां से भाग चुके परिवार अब लौट रहे हैं. कुछ दुकाने फिर से खुल गई हैं. सड़कों पर गाड़ियां फिर से नज़र आने लगी हैं.
शहर की भीरती इलाक़ों और सड़कों पर मलबे बिखरे हैं. यहां लौट चुके लोग अब पूछ रहे हैं कि इस शहर को पहले जैसा अब कौन बनाएगा?
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जो बर्बाद हुए, वो उसी स्थिति में
हम अमरीका के विशेष सैन्य दल के साथ बख्तरबंद वाहन में रक़्क़ा के चक्कर लगा रहे थे.
हमारी गाड़ियो को गुजरता देख वहां कुछ बच्चों ने हमें हाथ हिलाकर अभिवादन किया. पहली सीट पर बैठे एक अमरीकी कमांडर ने मुझसे कहा, "लोगों को दिलों में सद्भावना है और यह सद्भावना अगर ज़्यादा वक़्त के लिए रहता है इसकी ज़रूरत बेकार हो जाती है."
हमलोग सैन्य दल के साथ रक़्क़ा के सिविल काउंसिल से मिलने पहुंचे थे, जहां उनके पास उनकी मांगों की लंबी सूची थी.
शहर के अधिकांश हिस्सों में मूलभूत सुविधाएं, जैसे पानी, बिजली की कमी है. संघर्ष के दौरान रक़्क़ा के किसी भी पुलों की मरम्मती अब तक नहीं हो पाई है.
ये पुल परिवहन तंत्र के लिए ज़रूरी हैं. जिस अस्पताल में आईएस के लड़कों ने अंतिम शरण ली थी, वो भी बर्बाद स्थिति में है. इसकी भी मरम्मती नहीं की जा सकी है.
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अभी तक कितना खर्च किया है अमरीका ने
रक़्क़ा के सिविल काउंसिल के सदस्य लैला मुस्तफ़ा ने कहती हैं कि जो-जो इस शहर की बर्बादी के लिए जिम्मेदार रहे हैं, उन्हें इसकी मरम्मती करनी चाहिए.
जब हमने पूछा कौन-कौन जिम्मेदार हैं, उन्होंने कहा, "मैं अमरीका और ब्रिटेन को इस खूबसूरत शहर को फिर से बसाने की मांग कर रही हूं."
शहर की बर्बादी में अमरीका और ब्रिटेन की भी भूमिका रही है. लेकिन दोनों देशों का कहना है कि वो तब तक इसे बसाने में सीधे तौर पर मदद नहीं करेंगे जब तक संयुक्त राष्ट्र इसके लिए आगे नहीं आएगा.
फिलहाल देश में संयुक्त राष्ट्र की शांति प्रक्रिया की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. अमरीका और अन्य देशों का कहना है कि वो इलाक़े में "स्थिति सामान्य" करने पर अपना ध्यान दे रहा है.
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यहां आए अमरीकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पैट्रिक कॉनेल ने कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अभी भी शहर में आईएस के लड़ाके छिपे हैं और इलाक़े में अपना मिशन चोरी छिपे चला रहे हैं.
अमरीका का कहना है कि वो मानवीय सहायता के नाम पर सीरिया में आठ बिलियन डॉलर से अधिक खर्च कर चुका है.
वहीं ब्रिटेन इस पर 2.7 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका है.
रक़्क़ा में इनमें से कुछ पैसे उन हथियारों के खत्म करने में खर्च किए गए, जो आईएस के लड़ाके यहां छोड़ कर गए थे. कुछ लोगों के खाने-पीने, शिक्षा और इलाज पर खर्च किए गए हैं. इन सभी प्रयासों की वजह से मरम्मती का काम रुक गया है.
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रक़्क़ा के लोगों का डर
अब रक़्क़ा को यह डर है कि दुनिया कहीं उन्हें उनके दर्द में भूल न जाए. यह डर डोनल्ड ट्रंप प्रशासन के उस फ़ैसले के बाद पनपा है जिसमें उसने सीरिया की मदद के लिए दी जाने वाली राशि में 200 मिलियन डॉलर के अधिक की कटौती की है.
अमरीकी अधिकारियो का कहना है ऐसा इसलिए किया गया है ताकि दूसरे देश मदद के लिए आगे आए. अमरीकी अधिकारी पैट्रिक कॉनेल ने कहा कि यह राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ओर से इशारा है कि "जिम्मेदारी बांटे जाने की ज़रूरत है."
अमरीका का कहना है कि दूसरे सहयोगी देशों ने मदद का वादा किया है, जिससे आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
लेकिन रक़्क़ा को और मदद की ज़रूरत है ताकि यहां के बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके.
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बच्चों के भविष्य पर सवाल
अमरीकी सेना के विशेष दल हमें वो स्कूल ले गए जहां बच्चों को संघर्ष के शारीरिक और मानसिक डर से निकलने में मदद की जा रही है.
उन बच्चों में एक लड़की भी शामिल थी जिसकी शादी जबरन आईएस के लड़ाके से करा दी गई थी. उसकी शादी उस समय कराई गई थी जब वो 11 साल की थी. संघर्ष में जख्मी होने के बाद उसे 13 साल की उम्र मे तलाक दे दिया गया.
एक क्लासरूम में बैठे दो बच्चे अक्षरों को पहचानना सीख रहे हैं. दोनों बच्चों ने संर्घष के दौरान अपना पैर खो दिया था.
ये दोनों बच्चे उन हजारों पीड़ितों में से हैं जो उन हथियारों और विस्फोटकों के शिकार हुए, जिन्हें आईएस अपने पीछे छोड़ गए थे.
सीरियाई अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को पढ़ने और आगे बढ़ने में मदद की जा रही है लेकिन अमरीकी मदद में कटौती के बाद यह मुश्किल में पड़ जाएगा.
उनका कहना है कि अमरीका की ओर से दी गई मदद इस साल के अंत तक खत्म हो जाएगी.
सीरिया में अभी भी दो हज़ार अमरीकी सैनिक तैनात हैं, जो सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स की मदद कर रहे हैं. अमरीका का कहना है कि वो तब तक मदद करेगा जब तक "आईएस का पूरी तरह खात्म" इलाक़े से नहीं हो जाता है.
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