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Sea level rise:तेजी से खिसकते ग्लेशियर के बारे में रिसर्च में मिले सकारात्मक नतीजे क्या हैं ? जानिए

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Sea level rise: समुद्र के जल स्तर में वृद्धि को लेकर अबतक ग्लेशियर पिघलने के बारे में जो कुछ कहा जाता रहा था और उसे वातावरण में बढ़ती गर्मी से जोड़ा जा रहा था, वह गलत भी हो सकता है। एक नई रिसर्च में यह संकेत मिला है। वैज्ञानिकों के नए शोध में जो कुछ पता चला है, उससे भविष्य में ग्रीनलैंड और अंटार्टिक से बर्फ की चादरें टूटने की वजह से समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के अनुमान लगाने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, अभी शुरुआती तथ्य ही सामने आए हैं और इसपर और ज्यादा काम किए जाने की आवश्यकता बताई जा रही है।

ग्लेशियर से बर्फ की चादरें फिसलने की स्पीड पर रिसर्च

ग्लेशियर से बर्फ की चादरें फिसलने की स्पीड पर रिसर्च

जलवायु परिवर्तन की वजह से धरती पर मौजूद बर्फ पिघल रहा है, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, और इसके परिणाम स्वरूप महासागरों का विस्तार हो रहा है। अबतक यही तथ्य सामने आते रहे हैं। निकट भविष्य में समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी ग्लेशियर के पिघलने की गति पर निर्भर है। यह भी जानकारी मौजूद है। जब ग्लेशियर से बर्फ का विशाल टुकड़ा अलग होकर समुद्र में गिरता है तो धीरे-धीरे वह समुद्र के पानी में मिल जाता है। जितनी तेजी से ग्लेशियर का हिस्सा समुद्र में मिलता जाएगा, उसके बर्फ से समुद्र का जल स्तर बढ़ता रहेगा। अत्यधिक गर्मी के मौसम में ग्लेशियर पिघलने की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं। लेकिन, एक नई रिसर्च ने पहले के इस नजरिए पर फिर से विचार करने को मजबूर किया है।

जीपीएस के इस्तेमाल से रिसर्च

जीपीएस के इस्तेमाल से रिसर्च

नए शोध से पता चला है कि ग्रीनलैंड में बर्फ की चादरों का जमीन के साथ घर्षण की स्थिति ज्यादा नहीं रहती, जिसके चलते कुछ दिनों तक ही यह तेजी से फिसलती है। अभी तक इसके बारे में ज्यादा सटीक जानकारी नहीं थी कि बर्फ की चादरों के झीलों के रास्ते फिसलने की गति क्या हो सकती है। इस प्रक्रिया की पड़ताल के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पृथ्वी विज्ञान विभाग, इसी यूनिवर्सिटी के मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने रिसर्च किया है। उन्होंने इसके लिए ग्रीनलैंड में समुद्र के जल स्तर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार सबसे विशाल हेलहेम ग्लेशियर की फ्लो की जांच के लिए जीपीएस का इस्तेमाल किया है।

ग्लेशियर फिसलने की गति बहुत ज्यादा नहीं मिली-रिसर्च

ग्लेशियर फिसलने की गति बहुत ज्यादा नहीं मिली-रिसर्च

जीपीएस के जरिए उन्हें ग्लेशियर के बर्फ फिसलने की सटीक जानकारी मिली है। इस रिसर्च में पाया गया है कि झील से ड्रेनेज के दौरान हेलमेन ग्लेशियर ने बर्फ शीट को लेकर बहुत ही अलग व्यवहार किया। इसमें पाया गया कि हेलमेन ग्लेशियर बहुत थोड़े समय के लिए काफी तेजी से खिसका और फिर उसकी स्पीड काफी कम हो गई। कुल मिलाकर इसकी गति में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई।

शोध का परिणाम फिलहाल सकारात्मक लग रहा है

शोध का परिणाम फिलहाल सकारात्मक लग रहा है

जहां तक ग्लेशियर पिघलने से समुद्र के जल स्तर बढ़ने की आशंका की बात है तो इस शोध का परिणाम फिलहाल काफी सकारात्मक लग रहा है। लेकिन, शोधकर्ताओं को आशंका है जलवायु परिवर्तन की वजह से भविष्य में यह स्थिति पलट सकती है। फिर उन्होंने गणितीय मॉडल के आधार पर भी आकलन की कोशिश की। इसमें संकेत मिला कि इन परिस्थितियों में ग्लेशियर की गति में वृद्धि हुई। इस शोध की लीड ऑथर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पृथ्वी विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर लॉरा स्टीवेंस ने कहा,'हेलहेम में हमने जो पाया वह ये कि लेक ड्रेनेज इवेंट के दौरान ड्रेनेज सिस्टम में पिघले हुए पानी की मात्रा काफी ज्यादा हो सकती है, लेकिन जब आप जल निकासी घटना का सप्ताह में औसत करते हैं तो उस पिघले हुए इनपुट की वजह ग्लेशियर की गति में खास परिवर्तन नहीं पाते हैं।'

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पुख्ता निष्कर्ष के लिए और शोध की आवश्यकता

पुख्ता निष्कर्ष के लिए और शोध की आवश्यकता

स्टीवेंस का कहना है कि अभी इस पिघले हुए जल के निकासी के तरीके को समझने के लिए काफी कुछ अध्ययन किया जाना है। ताकि, भविष्य में वायुमंडलीय और महासागरों के गर्म होने की घटना की वजह से ग्लेशियर के पिघल कर समुद्र में मिलने की स्पीड के बारे में पूरी विश्वसनीयता के साथ कुछ कहा जा सके। क्योंकि, अभी जो इसकी स्पीड का सैटेलाइट डेटा उपलब्ध है,वह मोटे तौर पर एक हफ्ते का है, जिसे आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। (इनपुट-एएनआई)

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English summary
Sea level rise:The results of a new research have been found positive regarding the breaking of glaciers, melting parts of the ice and meeting them in the sea, due to which the water level rises
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