वैज्ञानिक ने बनाई बैग में रखने वाली चिप जो दिल का दौरा पड़ने से पहले कर देगी अलर्ट
ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने एक चिप विकसित की है, जो हार्ट अटैक आने से पहले व्यक्ति को खतरे की जानकारी दे देगी।
सिडनी, 27 जूनः हृदय शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह रक्त को पंप करता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व वितरित करता है। हाल के दिनों में हृदय रोग आम बात होती जा रही है। दिल के दौरे और स्ट्रोक के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की पिछले साल प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हृदय रोग वैश्विक स्तर पर मौत का प्रमुख कारण है। लेकिन इसी बीच ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने एक चिप विकसित की है, जो हार्ट अटैक आने से पहले व्यक्ति को खतरे की जानकारी दे देगी।
बैग में भी रख सकते हैं चिप
ऑस्ट्रेलिया स्थित Hospitalhealth.com की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने एक चिप विकसित करने में सफलता हासिल की है, जो दिल और के रोगियों को हर्ट अटैक के जोखिम से आगाह करेगी। इस चिप की खास बात ये है कि इसे पहनने के अलावा अपने बैग में भी रखा जा सकता है। यह उन लोगों की मदद कर सकता है जिन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा है।
बड़ी संख्या में हृद्यरोग से जूझ रहे लोग
ऑस्ट्रेलिया में हर साल लगभग 55,000 लोगों को दिल का दौरा पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इतनी ही संख्या में लोग स्ट्रोक से पीड़ित हैं। कई दिल के दौरे और स्ट्रोक रक्त के थक्कों के कारण होते हैं। रक्त के थक्कों की स्थिति में हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। यह अक्सर बिना किसी शारीरिक चेतावनी के जोखिम वाले व्यक्तियों में होता है।
रक्त का थक्का बनना है अटैक का कारण
चिकित्सा विज्ञान में तकनीकी प्रगति डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों को प्रारंभिक अवस्था में रोग का निदान करने और जोखिमों को कम करने में मदद करती है। विशेषज्ञों के मुताबिक दिल का दौरा तब पड़ता है जब रक्त का थक्का हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनी को पूरी तरह से बाधित कर देता है और हृदय की मांसपेशी मर जाती हैं। रक्त का थक्का जो दिल के दौरे का कारण बनता है, आमतौर पर कोरोनरी धमनी की भीतरी दीवार पर एथेरोस्क्लोरोटिक, कोलेस्ट्रॉल पट्टिका के टूटने की जगह पर बनता है।
हृदय रोक के खतरे को करेगा कम
सिडनी विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल इंजीनियर डॉ अर्नोल्ड लाइनिंग जू ने यह बायोमेडिकल माइक्रो-डिवाइस विकसित किया है, जो दिल का दौरा या स्ट्रोक होने से पहले इन सूक्ष्म प्लेटलेट परिवर्तनों का पता लगा लेता है। डॉ अर्नोल्ड के अनुसार, यह छोटा उपकरण ऑस्ट्रेलिया और दुनिया भर में दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम वाले लोगों के जीवन को बदल सकता है।
कैसे काम करेगा चिप
माइक्रो-डिवाइस पिन-प्रिक टेस्ट का उपयोग करके किसी व्यक्ति की उंगली से रक्त का नमूना लेगा। फिर प्लेटलेट क्लॉटिंग और सफेद कोशिका सूजन प्रतिक्रियाओं के लिए नमूने का विश्लेषण किया जाएगा। जिसके बाद इस सूचना को तुरंत बाहरी ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा संसाधित किया जाएगा। यदि कोई परिवर्तन पाया गया, तो उन्हें अस्पताल में अधिक निगरानी के लिए उपस्थित होने की आवश्यकता होगी।
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