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अब सांस लेना भी घातक! जिंदा इंसान के लंग्स में मिले माइक्रोप्लास्टिक, टेंशन में वैज्ञानिक

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वॉशिंगटन, 07 अप्रैल: प्लास्टिक शुरू से ही पर्यावरण के साथ-साथ इंसानों के लिए घातक साबित हो रहा है। इसको जानने के बाद भी रोजाना भारी मात्रा में प्लास्टिक वेस्ट निकलता है। इन सब के बीच वैज्ञानिकों की शोध ने नई टेंशन दे दी है। क्योंकि वैज्ञानिकों ने पहली बार एक बड़े अध्ययन में जीवित लोगों के फेफड़ों में फंसे माइक्रोप्लास्टिक की खोज की है, जो यह बताता है कि धरती की हवा अब किस हद तक प्रदूषित हो चुकी है।

जिंदा इंसान के लंग्स में मिला माइक्रोप्लास्टिक

जिंदा इंसान के लंग्स में मिला माइक्रोप्लास्टिक

वैज्ञानिको की खोज हमेशा अचम्भित और आश्चर्यचकित करने वाली होती है, इस बार भी वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला अध्ययन किया है, जिसमें उन्होंने जीवित लोगों के फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक के फंसे होने का दावा किया है। इस खोज से ये अंदाजा लगाया जा सकता है, कि हम कितने खतरनाक पदार्थों को बिना जाने ही अंदर ले रहे हैं। जो ना सिर्फ श्वासन प्रणाली पर खतरनाक प्रभाव डाल सकता है, बल्कि कई गंभीर समस्याओं से भी सामना करा सकता है।

फेफड़े के सबसे गहरे हिस्से में मिला प्लास्टिक

फेफड़े के सबसे गहरे हिस्से में मिला प्लास्टिक

यूनिवर्सिटी ऑफ हल एंड हल यॉर्क मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने फेफड़े के सबसे गहरे हिस्से में प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े खोजे हैं। एक टीम को टेस्ट में 13 फेफड़ों के ऊतकों के नमूनों ( lung tissue samples) में से 11 में 39 माइक्रोप्लास्टिक पाए, जो पिछले किसी भी लेबोरेटरी टेस्ट से ज्यादा है। इस स्टडी को साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट जर्नल की ओर से पब्लिश के लिए स्वीकार कर लिया गया है।

वैज्ञानिक बोले- 'किसी ने नहीं सोचा होगा ऐसा'

वैज्ञानिक बोले- 'किसी ने नहीं सोचा होगा ऐसा'

हल यॉर्क मेडिकल स्कूल में रेस्पिरेटरी मेडिसिन केसीनियर लेक्चरर और पेपर के प्रमुख लेखक डॉ. लौरा सैडोफस्की ने बताया कि माइक्रोप्लास्टिक्स पहले मानव शव की ऑटोप्सी में मिल चुके हैं, लेकिन जीवित लोगों के फेफड़ों में माइक्रोप्लास्टिक दिखाने के लिए यह पहला मजबूत अध्ययन है। इस स्टडी से पता चलता है कि वे फेफड़ों के निचले हिस्सों में हैं। उन्होंने आगे कहा कि फेफड़े के वायुमार्ग बहुत संकीर्ण हैं, इसलिए किसी ने नहीं सोचा था कि वे वहां पहुंच सकते हैं।

बड़े टुकड़े की लंबाई 5 मिलीमीटर

बड़े टुकड़े की लंबाई 5 मिलीमीटर

जानकारी के मुताबिक फेफड़े के सबसे गहरे हिस्से में प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों में सबसे बड़े टुकड़े की लंबाई 5 मिलीमीटर तक मापी गई है। हालांकि वैज्ञानिक अब इस पर फोकस कर रहे है कि यह इंसान की हेल्थ पर किस तरह से नुकसान पहुंचाएगा। अध्ययन में फेफड़े के ऊपरी हिस्से में 11 माइक्रोप्लास्टिक, मध्य भाग में सात और फेफड़े के निचले हिस्से में 21 माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी का पता चला "जो एक अप्रत्याशित खोज थी।"

महिलाओं की तुलना में पुरुष रोगियों में ज्यादा

महिलाओं की तुलना में पुरुष रोगियों में ज्यादा

वैज्ञानिकों ने 12 विभिन्न प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक्स की खोज की है, जिनके कई उपयोग हैं और आमतौर पर पैकेजिंग, बोतल, कपड़े, रस्सी / सुतली और कई निर्माण प्रक्रियाओं में पाए जाते हैं। टीम ने कहा कि उन्होंने महिलाओं की तुलना में पुरुष रोगियों में माइक्रोप्लास्टिक का स्तर काफी अधिक पाया है।

क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक?

क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक?

माइक्रोप्लास्टिक छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं, जो पांच मिलीमीटर से कम लंबे होते हैं, और समुद्रों, पहाड़ों और हवा में फैले होते हैं। ये बड़े प्लास्टिक मलबे से उत्पन्न होते हैं, जो छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं । छोटे कण होने की वजह से ये आसानी से वॉटर फिल्टरेशन सिस्टम से गुजरते हैं, और समुद्र में समा जाते हैं, जिससे जलीय जीवनों के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

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English summary
Scientists have for first time discovered microplastics stuck in lungs of living people
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