कौन है सऊदी अरब की रहने वाली महिला सलमा, जिसे सुनाई गई है 34 सालों की सजा, बस इतनी थी गलती
रियाद, 17 अगस्तः सऊदी अरब की एक महिला को ट्विटर पर एक ट्वीट को रिट्वीट करने के कारण 34 साल की सजा सुनाई गई है। लीड्स यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली सऊदी स्टूडेंट सलमा अल-शहाब बीते साल 15 जनवरी को छुट्टी पर घर आई थी, इसी दौरान उसे 34 साल की जेल की सजा सुना दी। महिला को सऊदी अरब की स्पेशल टेररिस्ट कोर्ट ने सजा सुनाई है। महिला पर आरोप है कि उसने ट्विटर पर असंतुष्टों और एक्टिविस्ट लोगों को फॉलो कर रखा था। ट्विटर चलाने के दौरान महिला ने उनके ट्विट्स को रिट्वीट किया।
तस्वीर- ट्विटर
पहले मिली थी तीन साल की सजा
यह सऊदी अरब में किसी महिला को दी गई सबसे लंबी सजा में से एक है। सलमा अल शहाब को शुरू में एक विशेष आतंकवादी अदालत ने तीन साल जेल की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि शहाब ने सार्वजनिक अशांति पैदा करने और नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने के लिए एक इंटरनेट वेबसाइट का इस्तेमाल किया। हालांकि कुछ दिन बाद ही एक अपील अदालत ने इस सजा को बढ़ाकर 34 साल कर दिया। 34 साल की सलमा 2 बच्चों की मां है।
एक्टिविस्ट के ट्वीट को किया था रिट्वीट
सलमा ने निर्वासन में रह रहे सऊदी एक्टिविस्टों के ट्वीट्स को रीट्वीट किया था। ट्विटर पर वह एक प्रमुख सऊदी महिला एक्टिविस्ट लौजैन अल-हथलौल के मामले का समर्थन करती दिखती हैं। इसके बाद शहाब को कैद किया गया था और महिलाओं के लिए ड्राइविंग अधिकारों का समर्थन करने के लिए प्रताड़ित किया गया। बताया जाता है कि सलमा के साथ जेल के अंदर दुर्व्यवहार किया गया है और उसे जजों को उसके साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में बताने की अनुमति नहीं दी गई।
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मानवाधिकार संगठनों ने की निंदा
माना जा रहा है कि शहाब मामले में नई अपील की मांग कर सकती है। ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन, द फ्रीडम इनिशिएटिव, यूरोपियन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स सहित किई मानवाधिकार संगठनों ने कोर्ट के इस फैसले की निंदा की है। इन संगठनों ने शहाब की रिहाई की अपील की है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने दमन के अभियान में ट्विटर यूजर्स को निशाना बनाया है।
शिया होने की मिली सजा
सलमा अल शहाब ने इंस्टाग्राम पर उन्होंने खुद को डेंटल हाईजीनिस्ट, मेडिकल एजुकेटर, पीएडी स्टूडेंट बताया है। वह प्रिंसेस नूरा बिन्त अब्दुलरहमान यूनिवर्सिटी में लेक्चरर हैं। शहाब के इंस्टाग्राम पर 200 से कम और ट्विटर पर लगभग 2600 फॉलोअर्स हैं। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग ने कहा कि शहाब शिया मुस्लिम हैं। उनकी इतनी लंबी और कठोर सजा की यही सबसे बड़ी वजह है।