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रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी क्षेत्र में जनमत संग्रह शुरू, 4 दिनों में यूक्रेन के चार टुकड़े, जानिए पूरा प्रोसेस

मतदान वो अंतिम प्रक्रिया है, जिसके बाद रूस इन चारों क्षेत्रों को रूस में विलय करने की घोषणा राष्ट्रपति पुतिन करेंगे। और जल्दबाजी में मतदान इसलिए भी करवाया जा रहा है, ताकि राष्ट्रपति पुतिन जीत का ऐलान कर सकें।

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डोनबास, सितंबर 23: रूसी कब्जे वाले यूक्रेन के चार क्षेत्रों में जनमत संग्रह शुरू हो गया है और इस जनमत संग्रह के द्वारा फैसला किया जाएगा, कि यूक्रेन के ये चार क्षेत्र रूस में मिलाए जाएंगे या नहीं। हालांकि, यूक्रेन ने इस जनमत संग्रह को खारिज कर दिया है और उसे नाजायज बताकर नकार दिया है, लेकिन अगर मॉस्को को इस जनमत संग्रह में जीत मिलती है, तो यूक्रेन के हिस्से की 15 प्रतिशत क्षेत्र पर रूस कब्जा कर लेगा और उन क्षेत्रों को रूस अपने देश में विलय कर लेगा।

किन क्षेत्रों में हो रहे हैं जनमत संग्रह

किन क्षेत्रों में हो रहे हैं जनमत संग्रह

इससे पहले रूस ने 2014 में भी यूक्रेन पर हमला किया था और जनमत संग्रह के बाद उसके क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, जिसपर आज भी रूस का ही नियंत्रण है और अब 2014 के बाद से मास्को समर्थित अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित लुहान्स्क और डोनेट्स्क, दक्षिणी खेरसॉन और जापोरिजिया प्रांत में मतदान किए जा रहे हैं और ये मतदान 27 सितंबर तक जारी रहेगा। लुहान्स्क और डोनेट्स्क को पहले ही रूस स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता दे चुका है और इन्हीं दोनों क्षेत्रों को बचाने के नाम पर रूस ने यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू किया था। इन दोनों क्षेत्रों पर पहले से ही रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण था, जिनकी लगातार यूक्रेनी सैनिकों के साथ संघर्ष चलती रहती थी और इस साल 24 फरवरी को पुतिन ने जब यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने का आदेश दिया था, तो उन्होंने कहा था, कि लुहान्स्क और डोनेट्स्क की तरफ स्वतंत्र राज्य हैं और उन्होंने रूस से सैन्य मदद मांगी है, लिहाजा यूएन के कानून के तहत रूस लुहान्स्क और डोनेट्स्क की सैन्य मदद कर रहा है, जिसका उद्येश्य यूक्रेन का विसैन्यीकरण करना है।

किस तरह से होगी मतदान प्रक्रिया?

किस तरह से होगी मतदान प्रक्रिया?

रूसी समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि, इन चार क्षेत्रों में मतदान प्रक्रिया अपरंपरागत होगी। यानि, समाचार एजेंसी के मुताबिक "छोटी समय सीमा और तकनीकी उपकरणों की कमी को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से चुनाव नहीं करवाने का फैसला लिया गया है और मशीन की जगह पर बैलेट पेपर के जरिए ही वोटिंग होगी''। रूसी समाचार एजेंसी के मुताबिक, वोट लेने के लिए पहले चार दिनों के लिए अधिकारी घर-घर जाएंगे और मतदान केंद्र अंतिम दिन ही खुलेंगे, जहां निवासियों को वोट डालने का मौका मिलेगा। चार क्षेत्रों के रूसी-स्थापित नेताओं ने मंगलवार को अचानक मतदान शुरू करने की घोषणा की, जब यूक्रेन ने उत्तरपूर्वी खार्किव में रूसी सैनिकों पर जवाबी हमला शुरू कर दिया था।

मतदान को यूक्रेन से मान्यता नहीं

मतदान को यूक्रेन से मान्यता नहीं

मतदान वो अंतिम प्रक्रिया है, जिसके बाद रूस इन चारों क्षेत्रों को रूस में विलय करने की घोषणा राष्ट्रपति पुतिन करेंगे। और जल्दबाजी में मतदान इसलिए भी करवाया जा रहा है, ताकि राष्ट्रपति पुतिन अपने देश को बता सकें, कि रूस ने यूक्रेन में जीत हासिल की है। हालांकि, यूक्रेन और उसके सहयोगियों ने साफ कर दिया है, कि वो इस मतदान प्रक्रिया को मान्यता नहीं देते हैं। इससे पहले 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से काटकर अलग किया था, उस वक्त भी जनमत संग्रह किया गया था और रूसी सैनिकों की नजदीकी निगरानी में मतदान करवाया गया था और आश्चर्यजनक रूप से 97 प्रतिशत लोगों ने रूस के समर्थन में मतदान किया था। हालांकि, अंतराष्ट्रीय समुदाय ने उस जनमत संग्रह को भी मान्यता प्राप्त नहीं दी थी, लेकिन क्रीमिया पर अब रूस का कब्जा है और पश्चिमी देशों ने कहा है, कि ये जनमत संग्रह सिर्फ एक ढोंग है और इसके नतीजे पहले से ही सभी को पता है, क्योंकि मतदान की प्रक्रिया की निष्पक्षता की कोई उम्मीद ही नहीं है और बंदूक के सामने निष्पक्ष चुनाव नहीं होते हैं।

रूस की प्लानिंग असल में है क्या?

रूस की प्लानिंग असल में है क्या?

लुहांस्क के क्षेत्रीय गवर्नर सेरही हैदाई ने यूक्रेन के टीवी को बताया कि, "अगर यह सब रूस का घोषित क्षेत्र है, तो वे घोषणा कर सकते हैं कि यह रूस पर सीधा हमला है।' जानकारों का कहना है कि, ये जनमत संग्रह इसलिए करवाए जा रहे हैं, क्योंकि जनमत संग्रह करवाने के बाद इन चारों क्षेत्रों की रूस में विलय की घोषणा की जाएगी और उन क्षेत्रों से यूक्रेनी सैनिकों को बाहर निकाला जाएगा और अगर यूक्रेनी सैनिक रूसी सैनिकों पर वार करते हैं, तो रूस इसे अपने क्षेत्र पर यूक्रेन का आक्रमण बतााएगा और रूस इस दलील के साथ आधिकारिक तौर पर यह कहकर यूक्रेन से युद्ध का ऐलान कर देगा, कि यूक्रेन ने रूसी क्षेत्र पर हमला किया है और रूस उस हमले के खिलाफ सिर्फ प्रतिक्रिया दे रहा है। वहीं, OSCE, जो चुनावों की निगरानी करता है, उसने कहा कि, परिणामों का कोई कानूनी बल नहीं होगा क्योंकि वे यूक्रेन के कानून या अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं और उन क्षेत्रों में लड़ाई जारी है जहां वोट हो रहे हैं।

'यह सब एक दिखावा है'

'यह सब एक दिखावा है'

स्थानीय अधिकारियों ने आरआईए समाचार एजेंसी को बताया कि, कोई भी स्वतंत्र पर्यवेक्षक नहीं चुनाव के दौरान मौजूद नहीं होगा और जापोरिज्जिया में मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा रहेगी। वहीं, जापोरिज्जिया में कई निवासियों ने मतदान से पहले ही अपने घरों को छोड़ना शुरू कर दिया है। यूलिया नाम की एक महिला, जो जापोरिज्जिया से भागकर मेलिटोपोल पहुंची है, उसने अलजजीरा को बताया कि, उसके माता पिता अभी भी जापोरिज्जिया में ही हैं, क्योंकि जापोरिज्जिया के साथ उनकी यादें जुड़ी हैं और वे एक पुरानी पीढ़ी का हिस्सा थे जो सोवियत संघ के जमाने से ही हैं, जो 90 के दशक में टूट गया था और इसमें यूक्रेन भी शामिल था। रूस ने 1994 के बुडापेस्ट ज्ञापन के तहत यूक्रेन की सोवियत-बाद की सीमाओं को मान्यता दी थी। उन्होंने अलजजीरा को बताया कि, कि अब उसके लिए वापस अपने घर जापोरिज्जिया लौटना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि एक बार चुनाव खत्म होने के बाद जापोरिज्जिया जाने के लिए स्पेशल परमिट रूस के अधिकारियों से लेनी होगी। वहीं, इन चारों क्षेत्रों के निवासियों को इस बात की जानकारी देनी होगी, कि वो 'इन क्षेत्रों के रूसी गणराज्य में प्रवेश का समर्थन करते हैं।'

मतपत्रों पर क्या लिखा होगा?

मतपत्रों पर क्या लिखा होगा?

रूसी समाचार एजेंसी TASS के मुताबिक, खेरसॉन और जापोरिज्जिया में मतपत्रों पर सवाल अलग-अलग तरीके से लिखे गये हैं और निवासियों से पूछा गया है, कि "क्या आप यूक्रेन से अलग होने के पक्ष में हैं? क्या आप इस क्षेत्र के अलग राज्य बनाने के समर्थन में हैं? क्या आप इस क्षेत्र के रूसी संघ के एक विषय के रूप में रूसी संघ में शामिल होने के पक्ष में हैं?" कर्ट वोल्कर, जो 2017 से 2019 तक यूक्रेन वार्ता के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थे और अब सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस में एक साथी हैं, उन्होंने अलजजीरा को बताया कि, 'यह सब सिर्फ एक दिखावा है और यह सब पुतिन द्वारा ऑर्केस्ट्रेटेड किया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि, "मुझे नहीं लगता कि इसका जमीन पर स्थिति पर कोई प्रभाव पड़ता है और क्षेत्रों को पुनर्प्राप्त करने और पुनः कब्जा करने के लिए यूक्रेनी दृढ़ संकल्प को नहीं बदलेगा। न ही यह यूक्रेन को रूसी आक्रमण से खुद को बचाने में मदद करने के लिए पश्चिम में दृढ़ संकल्प को नुकसान पहुंचाएगा।"

क्या रूस वास्तव में जीत रहा है?

क्या रूस वास्तव में जीत रहा है?

यूक्रेन ने कहा है कि जनमत संग्रह ताकत के बजाय रूस की कमजोरी का संकेत है। वहीं, अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, लुहान्स्क और खेरसॉन के अधिकांश हिस्से पर रूस का नियंत्रण है और जापोरिज्जिया का लगभग 80 प्रतिशत और डोनेट्स्क के 60 प्रतिशत हिस्से पर रूस का नियंत्रण है। जनमत संग्रह की घोषणा के एक दिन बाद, पुतिन ने यूक्रेन में रूसी सेना को मजबूत करने के लिए रिजर्व सैनिकों को जुटाने का आदेश दिया था और घोषणा की थी, कि वह रूसी क्षेत्र पर किसी भी हमले को रोकने के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने गुरुवार को कहा कि, "रूसी नेतृत्व का कोई भी फैसला यूक्रेन के फैसले को नहीं बदल सकता है।'' आपको बता दें कि, रूस ने अपने रिजर्व सैनिकों में से 3 लाख सैनिकों को यूक्रेन में भेजना शुरू कर दिया है, वहीं रूस में पुतिन के इस फैसले के खिलाफ भारी प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

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English summary
Russia has started a referendum in the four occupied parts of Ukraine, know how Putin will occupy 15 percent of Ukrainian territory?
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