Queen Elizabeth II: जो कभी ताज की रेस में नहीं थी, एक घटना ने बनाया सबसे लंबा राज करने वाली महारानी
लंदन, 9 सितम्बर। पूरी दुनिया में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत का शोक मनाया जा रहा है। वह ब्रिटेन की इतिहास के इतिहास में सबसे ज्यादा लंबे समय तक राज करने वाली शासक रहीं। 1952 में उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद जब गद्दी संभाली तो वह 25 साल की थीं। 8 सितम्बर को 96 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 70 साल तक ब्रिटेन की महारानी के रूप में राज करने वाली एलिजाबेथ द्वितीय बहुत सारे बदलावों की गवाह बनीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली यह महारानी कभी ताज की रेस में प्रमुख दावेदारों में शामिल नहीं थी। राज परिवार में हुई एक घटना ने ऐसी उथलपुथल मचाई जिसने उन्हें महारानी बना दिया।
एक घटना ने बदल दी जिंदगी
1936 में घटी इस घटना ने छोटी लिलीबेट की किस्मत को सदा के लिए बदलकर रख दिया। एलिजाबेथ के दादा किंग जार्ज पंचम थे। जार्ज पंचम के दो बेटे थे और एलिजाबेथ उनके छोटे बेटे की पुत्री थी। ब्रिटिश क्राउन का हकदार बड़ा बेटा होता था इस तरह से एलिजाबेथ के पिता ताज के दावेदार नहीं थे। 1936 में जार्ज पंजम की मौत हुई तो नियमानुसार एलिजाबेथ के पिता किंग जार्ज छठवें (उस समय राजकुमार) के बड़े भाई एडवर्ड अष्टम को राजा बनाया गया।
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राजा की शादी बन गई थी मसला
किंग एडवर्ड राजा बन चुके थे लेकिन अभी तक उनका घर नहीं बसा था। राजमहल में इस बात की चर्चा होने लगी कि जल्द ही महाराज शादी करके संतान पैदा करें जो उनके बाद ताज का वारिस बन सकें। यहां तक सब ठीक था। गड़बड़ तब हुई जब एडवर्ड ने राजा बनने के बाद बताया कि वह वालिस सिम्पसन नाम की महिला से विवाह करना चाहते हैं। राजा के मन की बात सामने आने पर हाहाकार मच गया। आप सोच रहे होंगे कि शादी की बात से हाहाकार क्यों मच गया। दरअसल वालिस सिम्पसन एक तलाकशुदा महिला थीं और उनके पूर्व पति अभी जीवित थे।
तलाकशुदा से राजा की शादी पर नहीं माना चर्च
ब्रिटिश क्राउन के नियम के मुताबिक राजा को कुंवारी लड़की से ही शादी करनी होती है। अगर राजा यह शर्त पूरी न करे तो उसे गद्दी का हकदार नहीं माना जाता था। चर्च ऑफ इंग्लैंड और ब्रिटिश गवर्नमेंट ने जब एडवर्ड की मांग अनसुनी कर दी तो उन्होंने प्यार की खातिर राजपाट छोड़ दिया। ब्रिटिश राजघराने की इस घटना से आगे बहुत कुछ बदल चुका था। इसके बाद गद्दी की रेस में एडवर्ड के बाद दूसरे नंबर के दावेदार अलबर्ट को ताज पहनाया गया। अलबर्ट को किंग जार्ज षष्ठम के नाम से जाना गया जो कि एलिजाबेथ के पिता थे।
एलिजाबेथ बनी ताज की दावेदार नंबर-1
राज परिवार में हुई इस आश्चर्यजनक उथल-पुथल के बाद राजकुमारी एलिजाबेथ क्राउन के दावेदारों में, जिन्हें कभी किंग एडवर्ड के बच्चों के बाद में होना था, पहले नंबर पर आ गई। एलिजाबेथ अपने पिता की बड़ी बेटी थी और राजा की बड़ी संतान ही क्राउन की वारिस होती थी। एलिजाबेथ अपनी दो बहनों में बड़ी थी। हालांकि अगर उनके पिता चाहते तो और बच्चे पैदा कर सकते थे और अगर वह बेटा होता स्वाभाविक रूप से उत्तराधिकारी होने के चलते एलिजाबेथ को लाइन से हटना पड़ता। लेकिन न किंग जार्ज षष्ठम ने दो बच्चों के बाद तीसरा बच्चा किया और इस तरह एलिजाबेथ क्राउन की उत्तराधिकारी बनीं।
दूसरे देश में ही घोषित किया गया महारानी
6 फरवरी 1952 को किंग जार्ज की मौत के बाद एलिजाबेथ को ब्रिटेन की महारानी घोषित किया गया। इसका भी दिलचस्प किस्सा है। जब किंग जार्ज की मृत्यु हुई उस समय एलिजाबेथ केन्या के आधिकारिक दौरे पर थीं। ब्रिटेन में राजगद्दी कभी खाली नहीं रह सकती इसलिए राजा की मौत के बाद एलिजाबेथ को केन्या में ही महारानी घोषित कर दिया गया। बाद में उनके लंदन पहुंचने पर आधिकारिक तौर पर उनका राज्याभिषेक किया गया जिसे लाखों लोगों ने टीवी पर देखा था।
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