चीनी ड्रैगन की पूरी दुनिया में खुली पोल, करीबी दोस्त ने अरबों के प्रोजेक्ट्स किए रद्द, श्रीलंका बनने का डर
अक्टूबर 2016 में डुटर्टे की बीजिंग यात्रा के दौरान चीन और फिलीपींस के बीच 27 सौदों पर हस्ताक्षर किए गये थे और इन परियोजनाओं के लिए चीन 9 अरब डॉलर का लोन फिलीपींस को देने के लिए तैयार हुआ था।
मनीला, जुलाई 20: फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर को फिलीपींस का राष्ट्रपति बने अभी कुछ ही हफ्ते हुए हैं और उन्होंने अपने पहले ही कदम से बता दिए हैं, कि चीन के साथ फिलीपींस का रिश्ता आने वाले वक्त में कैसा होने वाला है। फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने शासन संभालते ही चीनी प्रोजेक्ट्स को कैंसिल करना शुरू कर दिया है और फिलीपींस परिवहन विभाग ने घोषणा की है, कि उसने पिछले रोड्रिगो दुतेर्ते प्रशासन के तहत चीन के साथ किए गये इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को प्रभावी ढंग से और तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
चीनी प्रोजेक्ट्स किए जा रहे हैं रद्द
फिलीपींस रेलवे के अवर सचिव सीज़र शावेज ने बयान दिया है, कि, पिछले रोड्रिगो दुतेर्ते प्रशासन ने बीजिंग से प्रोजेक्ट्स के लिए बार बार लोन देने का आग्रह किया, लेकिन बीजिंग अपनी शर्तों को पूरा करने में विफल रहा है, जिसने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए उस बैंक पर निर्भरता दिखाई, जो विशालकाय बेल्ड एंड रोड का समर्थन करता है। दरअसल, चीन और फिलीपींस के बीच विशालकाय इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए बातचीत साल 2018 में शुरू हुई थी, जिसे फिलीपींस के नेशनल इकोनॉमिक एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने मंजूरी भी दे दी थी और इन परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण का बड़ा हिस्सा चीन के 'ऑफिसियल डेवलपमेंट असिस्टांस'(ओडीए) ऋण पर आधारित था और जब साल 2016 में देश के पिछले राष्ट्पति रोड्रिगो दुतेर्ते ने बीजिंग की यात्रा की थी, उस वक्त चीन ने उनसे 24 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया था और उसी के तहत चीन ने फिलीपींस में रेल बनाने का ठेका लिया था, जिसे अब फिलीपींस के नये राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है।
2016 में किया गया था सौदा
अक्टूबर 2016 में डुटर्टे की बीजिंग यात्रा के दौरान चीन और फिलीपींस के बीच 27 सौदों पर हस्ताक्षर किए गये थे और इन परियोजनाओं के लिए चीन 9 अरब डॉलर का लोन फिलीपींस को देने के लिए तैयार हुआ था, जिसमें जिसमें बैंक ऑफ चाइना के साथ 3 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन भी शामिल है। इसके साथ ही चीन ने फिलीपींस में 15 अरब डॉलर का निवेश करने के समझौते पर भी साइन किया था, जिसके तहत फिलीपींस में रेलवे, बंदरगाह, ऊर्जा और खनन परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को निवेश करना था। हालांकि, उस समझौते में इस निवेश के लिए कोई समयसीमा का निर्धारन नहीं किया गया था। हालांकि, फिलीपींस उस वक्त भी चीन के साथ निवेश समझौता साइन कर रहा था, जब दोनों देशों के बीच के संबंध अकसर खराब ही रहते हैं और साउथ चायना सी में फिलीपींस के हिस्से पर भी चीन दावा करता रहता है।
चीन की जगह अब जापान का चुनाव
फिलीपींस में अब नई सरकार बनी है और फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर देश के नये राष्ट्रपति बने हैं और उन्होंने 5 अरब डॉलर की पुरानी परियोजनाओं को फिर से सक्रिय करना फिलीपींस की प्रतिबद्धता जताई। लेकिन, इस बार परियोजनाओं का निर्माण चीन से लिए गये कर्ज से नहीं, बल्कि जापान का चुनाव किया गया है। चीन के साथ कई डील को रद्द करते हुए नई सरकार ने कहा कि, चीन ने काफी हाई रेट पर फिलीपींस को लोन दिया था। इसके साथ ही फिलीपींस ने साउथ चायना सी में विवादित ऊर्जा संसाधनों को लेकर चीन के साथ लंबे समय से चल रही बातचीत को भी स्थगित कर दिया है। हालांकि, करार रद्द होने के बाद चीन ने एक बार फिर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की और फिलीपींस से कहा, कि अभी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध अच्छे रास्ते पर चल रहे हैं और नए फिलिपिनो राष्ट्रपति के तहत "चीन-फिलीपीन दोस्ती के एक नए युग" की बात कर रहे हैं। हालांकि, चीन अब यह जान गया है, कि मार्कोस जूनियर के शासन में फिलीपींस और चीन के बीच के संबंध अच्छे नहीं रहने वाले हैं, क्योंकि फिलीपींस ने अब दक्षिण चीन सागर विवादों पर एक सख्त रुख अपना लिया है और चीन की जगह पर दूसरी बड़ी शक्तियों के साथ हाथ मिलाना शुरू कर दिया है।
चीन के लिए होगा बहुत बड़ा झटका
फिलीपींस में जब राष्ट्रपति चुनाव चल रहे थे, उससे पहले चीन लगातार नई सरकार के प्रति आशावान बना रहा, लेकिन अब उसे बहुत बड़ा झटका दिया गया है। हालांकि, मार्कोस जुनियर का परिवार लंबे अर्से से चीन के साथ अच्छे संबंध ही बनाते हुए आया है। फिलीपींस के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के मालिक माने जाने वाले मार्कोस परिवार ने पूरे दशकों में चीन के साथ राजनयिक रूप से सौहार्दपूर्ण और व्यावसायिक रूप से फलदायी संबंध बनाए रखा है। पूर्व फिलिपिनो राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस (1965-1986) ने उस वक्त चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, जब उन्हें अमेरिका का काफी करीबी माना जाता था। वहीं, इस साल की शुरूआत में फिलीपींस की राजधानी मनीला में चीन के राजदूत हुआंग ज़िलियन ने फिलीपींस को लुभाने की काफी कोशिश की थी और इस बात पर जोर दिया था, कि किस तरह से चीन के साथ आकर फिलीपींस फायदा उठा सकता है और कैसे रोजगार के नये अवसर पैदा कर सकता है।
चीन-फिलीपींस व्यापारिक संबंध
फिलीपींस और चीन के बीच साल 2020 में द्विपक्षीय व्यापार 61.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया और चीन फिलीपींस के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य के तौर पर उभरा। फिलीपींस में चीन का प्रत्यक्ष गैर-वित्तीय निवेश उस वर्ष 140 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। चीनी राजदूत ने फिलीपींस के दूरसंचार, विनिर्माण और इस्पात उद्योग में कई अरब डॉलर के निवेश की बात की थी, जो द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। वहीं, अपनी चुनावी जीत के बाद, मार्कोस जूनियर ने चीन को फिलीपींस का "सबसे मजबूत साथी" बताते हुए बीजिंग के साथ मजबूत संबंध बनाने की बात का समर्थन किया था। वहीं, 2023 से 2028 के बीच, मार्कोस प्रशासन का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिस्से के रूप में 5-6% के बीच बुनियादी ढांचे के लिए खर्च को बनाए रखना है। लेकिन, अब फिलीपींस के लोक निर्माण विभाग ने कहा कि, चीन ने 'बिल्ड बिल्ड बिल्ड' परियोजना के तहत 119 प्रमुख परियोजनाओं में से सिर्फ 12 को ही पूरा किया है और चीन ने बाकी पैसा देने में आनाकानी करनी शुरू कर दी है। वहीं, स्थिति अब ये हो चुकी है, कि फिलीपिंस पर चीन का कर्ज 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया और महामारी से उबरने के खर्च के बीच बजट घाटे का विस्तार हो रहा है, मार्कोस प्रशासन को अपने महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे के लिए अब बाहरी वित्तपोषण की सख्त जरूरत है।
चीन का 'वादा जाल'
अब फिलीपींस को अहसास हो रहा है, कि चीन उसके लिए एक अविश्वसनीय दोस्त साबित हुआ है। जबकि ग्लोरिया मैकापगल अरोयो (2001-2010) सरकार के दौरान चीन की प्रमुख बुनियादी ढांचा निवेश परियोजनाएं भ्रष्टाचार के घोटालों में फंस गईं और डुटर्टे प्रशासन (2016-2022) किसी भी महत्वपूर्ण चीनी निवेश को आकर्षित करने में काफी हद तक विफल रहा। वहीं, जो चीन दूसरे देशों को कर्ज जाल में फंसाता है, उस चीन ने फिलीपींस को अपने वादे के जाल में फंसा दिया। और अब फिलीपींस को पता चल रहा है, कि असल में चीन ने उससे झूठे वादे कर साउथ चायना सी में उसकी आक्रामकता को काफी कमजोर कर दिया है। वहीं, फिलीपींस के वर्तमान वित्तमंत्री बेंजामिन डायकोनो, जो पूर्ववर्ती सरकार में बजट सचिव और केन्द्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर काम किया था, उन्होंने कहा कि, चीन ने वादे तो बहुत सारे किए, लेकिन वादों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया'।
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