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तालिबान शासन के एक साल: दुनिया का सबसे बड़ा नर्क कैसे बन गया अफगानिस्तान?

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आज एक साल पूरे हो गए हैं। अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से जाने के बाद तालिबान ने एक बार फिर से देश पर कब्जा कर लिया था।इस घटना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां मिली थी।

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काबुल, 15 अगस्तः अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आज एक साल पूरे हो गए हैं। अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से जाने के बाद तालिबान ने एक बार फिर से देश पर कब्जा कर लिया था। एक झटके में लाखों जिंदगियां बदल गयीं। लोग अपनी जान पर खेलकर देश से भागने को मजबूर हो गए। लोगों में तालिबान को लेकर इतना खौफ था कि कई लोग जहाज पर लटककर अमेरिका निकल गए। इस घटना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां मिली थी। आज तालिबानी शासन के एक साल बीत जाने के बाद देखना मौजू है कि अभी अफगानिस्तान की क्या स्थिति है?

तस्वीर- पीटीआई

बद से बदतर हुए अफगानिस्तान के हालात

बद से बदतर हुए अफगानिस्तान के हालात

ताबिलान के अफगानिस्तान पर दुबारा कब्जा करने से पहले देश की नागरिक सरकार को अमेरिका समेत कई देशों से भारी मात्रा में पैसा दिया जाता था। 2001 के बाद से अफगानिस्तान में हुए अधिकांश विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण का खर्च दूसरे देश वहन करते थे। अमेरिका समेत कई बड़े देशों ने पिछले 20 साल के दौरान सरकार के गैर-सैन्य खर्च का लगभग 75 फीसदी हिस्सा खुद चुकाया। लेकिन अब तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अपने देश के बैंकों में जमा अफगानिस्तान सरकार के सभी फंड को प्रतिबंधित कर दिया है। इससे तालिबान के हालात और बदतर हो गए हैं।

तालिबान ने नहीं निभाया अपना वायदा

तालिबान ने नहीं निभाया अपना वायदा

तालिबान के दोबारा सत्ता में आने से पहले भी अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक था ऐसे में अभी की स्थिति की तो बस कल्पना ही की जा सकती है। तालिबानी शासन में जिसकी जिंदगी पर सबसे अधिक असर पड़ा है वो अफगानिस्तान की आधी आबादी वाली महिलाएं हैं। तालिबान जब दूसरी बार सत्ता में लौटा था तो उसने पिछले शासन के मुकाबले ज्यादा नरम शासन का वायदा किया था। लेकिन तालिबान अपने वायदे पर कायम नहीं रहा और तालिबानी सरकार ने धीरे-धीरे अफगान लोगों के अधिकारों पर अंकुश बढ़ाता चला गया और लोगों की जिंदगियों को मुश्किल हो गयी।

महिलाओं पर लगाए गए कई प्रतिबंध

महिलाओं पर लगाए गए कई प्रतिबंध

बीते एक साल में अफगानिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई बंद करा दी गई, महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिए गए। देशभर में महिलाओं और युवतियों पर अकेले यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके अलावा अफगानिस्तान में लंबी दूरी के सफर के लिए पुरुष का साथ होना जरूरी है। महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस देने पर पाबंदी लगा दी गई है। हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। अफगानिस्तान में महिलाओं को लेकर सोच इस स्तर की है कि दुकानों के बाहर लगे महिलाओं की तस्वीर वाले बोर्ड तक को हटा दिया गया है।

घोर गरीबी में जी रही आधी आबादी

घोर गरीबी में जी रही आधी आबादी

पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। मोटे तौर पर 25 मिलियन अफगान अब गरीबी में जी रहे हैं जो कि देश की आधी से अधिक आबादी है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस साल 900,000 तक नौकरियां जा सकती हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था ठप हो गई है। इसके अलावा महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से वोमेन-सेंट्रिक अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है। वर्ल्ड बैंक के एक सर्वे के मुताबिक पुरुषों के 26 फीसदी के मुकाबले महिलाओं के स्वामित्व वाले 42 फीसदी बिजनेस बंद हो गए हैं। अस्पतालों में महिला डॉक्टरों न के बराबर रह गई हैं जिससे महिलाओं से जुड़ी समस्याओं का ठीक तरीके से निदान नहीं हो पा रहा है। बच्चों की डिलिवरी में संकट का सामना करना पड़ रहा है।

महिलाओं के लिए नर्क बना अफगानिस्तान

महिलाओं के लिए नर्क बना अफगानिस्तान

महिलाओं के खिलाफ प्रतिबंधों की सूची लगातार बढ़ती जा रही है। मीडिया में काम करने वाली महिलाओं के लिए भी हिजाब को अनिवार्य कर दिया गया है। कुछ समय पहले एक एंकर के हिजाब पहनकर खबर पढ़ने की तस्वीर की दुनिया भर में निंदा की गई है। तालिबान के प्रतिबंधों से न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी परेशान हैं। अफगानिस्तान में सरकारी फील्ड में काम करने वाले पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना अनिवार्य कर दिया गया है।

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English summary
One year of Taliban rule, see how the situation of Afghans changed in a year
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