अब हिंद महासागर पर है चीन की 'बुरी' नजर, पाकिस्तान के रास्ते भारत के खिलाफ बड़ी 'साजिश'
लंदन, 10 अप्रैल: चीन ने अब हिंद महासागर में भारत को घेरने की बड़ी साजिश रची है। एक विदेशी मीडिया रिपोर्ट में इस बात की ओर इशारा किया गया है। वैसे तो चीन इस इलाके में अफ्रीका तक अपना जाल बिछाता जा रहा है, लेकिन भारत के नजरिए से पाकिस्तान के साथ मिलकर वह जिस तरह से रणनीतिक गुल खिला रहा है, वह बहुत ही खतरनाक है और भविष्य में हिंद महासागर क्षेत्र में भारत पर अपना दबदबा कायम करने की कोशिश में जुटा हुआ है। एक समय पाकिस्तान इस मामले में अमेरिका का पिछलग्गू बना हुआ था, लेकिन आज चीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ अपना मंसूबा कामयाब करना चाह रहा है।
अब हिंद महासागर पर है चीन की 'बुरी' नजर
चीन की विदेश नीति एक संशोधनवादी मार्क्सवादी और बदला लेने वाले देश की रही है। अब उसने अपनी नजरें हिंद महासागर क्षेत्र पर अटका दी हैं, जिनमें पूर्वी अफ्रीकी देश भी शामिल हैं। पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन अब उन देशों में भी मिलिट्री बेस बनाने की कोशिशों में है, जिनके साथ उसके लंबे वक्त से अच्छे ताल्लुकात हैं और रणनीतिक तौर पर उनके हित भी सामान्य तरह के हैं। लेकिन, भारत के लिहाज से बड़ी बात ये है कि इसमें एशियाई देशों में पाकिस्तान भी हो सकता है। डेली सिख की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र के देशों में चीन के पसंदीदा ठिकानों में केन्या, मोजांबिक और तंजानिया भी शामिल हैं।
पाकिस्तान क्यों दे रहा है चीन का साथ ?
पाकिस्तान के रणनीतिक विचारक मूलरूप से चीन के भरोसे ही पाकिस्तानी नौसेना के आधुनिकीकरण की उम्मीद करते आए हैं। इसके अलावा भारत के मुकाबले अपने सैन्य सामर्थ्य को पुख्ता रखने के लिए वे भी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की आर्थिक और राजनीतिक मंसूबों की हिफाजत करने की रणनीति को भी अपनी नीति का हिस्सा बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए पाकिस्तानी नौसेना की भविष्य की भूमिका भी हिंद महासागर क्षेत्र में 'चीन-भारत को बराबरी के मुकाबले' को प्राप्त कराने पर आधारित है। डेली सिख की रिपोर्ट के मुताबिक यह पाकिस्तान के बाहरी रणनीतिक लाभार्थियों को खुश कर के अल्पकालिक फायदा उठाने वाली परंपरा पर आधारित है। पहले उसके साथ अमेरिका था और अब चीन है।
पाकिस्तानी नौसेना को मजबूत कर रहा है ड्रैगन
चीन के रक्षा मंत्री वी फेंघे ने पाकिस्तानी नौसेना के चीफ अब्बास रजा के साथ मुलाकात (अप्रैल, 2019) में चीन-पाकिस्तान रक्षा और सुरक्षा सहयोग को द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण स्तंभ करार दिया था। गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग बीते वर्षों में काफी बढ़ा है। अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी नौसेना की ताकत बढ़ी है और चीन से एडवांस जंगी जहाजों की डिलिवरी हो जाने के बाद इसमें और भी इजाफा हो जाएगा। चीन की राजनीतिक और आर्थिक सहायता के दम पर पाकिस्तानी नौसेना का विस्तार हो रहा है और यह बाबर जैसे क्रूज मिसाइल हासिल कर रहा है, जो कि चीन के सी 862 मिसाइल का नमूना है। 'हड़प्पा' और 'जराबू' जैसी एंटी-शिप क्रूज मिसाइलें भी हैं, जो की चीनी डिजाइन पर ही आधारित हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना को मिलेगा फायदा
समंदर में पाकिस्तान को प्राप्त चीनी सहयोग में 8 टाइप-एस 20 पारंपरिक पनडुब्बियां भी शामिल हैं। डेली सिख की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में चीन पाकिस्तानी नेवी के फास्ट अटैक जहाजों में सी 602 लंबी दूरी का एंटी-शिप मिसाइल भी लगा चुका है। उधर ग्वादर बंदरगाह को 'गेम चेंजर' के रूप में अलग देखा जा रहा है है, जिसके जरिए इस्लामाबाद हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के 'समुद्री पुनर्जागरण' को चुनौती देने का मंसूबा पाल रहा है। ग्वादर और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की सेना की मौजूदगी बढ़ने से फारस की खाड़ी में संतुलन बिगड़ेगा और उत्तरी हिंद महासागर के मुख्य बिंदुओं पर चीनी सेना को फायदा मिलेगा।
चीन और पाकिस्तान दोनों के हित जुड़े हैं
ग्वादर बंदरगाह की वजह से चीन को हिंद महासागर के अलावा एक बायपास और मिल जाएगा। इसके और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की शुरुआत होते ही चीन के पश्चिमी शिंजियांग प्रांत का अरब सागर से कनेक्शन जुड़ जाएगा। शुरू में चीन इस रास्ते का इस्तेमाल व्यापारिक ढुलाई के लिए करेगा, लेकिन भविष्य में वह सीधे दक्षिण चीन सागर से फारस की खाड़ी तक को जोड़कर अपने दक्षिण-पूर्वी तटीय इलाकों को नया विकल्प देने में सक्षम होगा। रिपोर्ट में इसलिए पाकिस्तानी नौसेना के आधुनिकीकरण में चीन के हित जुड़े होने की बात कही गई है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भी अपना दबदबा बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है।
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पाकिस्तान के रास्ते भारत के खिलाफ बड़ी 'साजिश'
पाकिस्तानी नौसेना को चीन की मदद के विश्लेषण से ड्रैगन का जो इरादा जाहिर हो रहा है, उसमें कई महत्वपूर्ण चीजें हैं। उसके वैश्विक व्यापार के लिए समुद्री कनेक्टिविटी, साउथ चाइना सी के लिए बायपास तैयार करना, अफ्रीकी महादेश तक पहुंचने के लिए छोटा रास्ता मिलना, ताकि मलक्का जल संधि का उसका झंझट हमेशा के लिए दूर हो जाए आदि शामिल हैं। यही नहीं सीपीईसी के चालू होने के बाद वह पाकिस्तानी नौसेना का इस्तेमाल हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हितों के लिए करना चाहता है, जिसके जरिए वह इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना के प्रभाव को कंट्रोल कर सके। (तस्वीरें-प्रतीकात्मक, इनपुट-एएनआई)