किम जोंग उन ने साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जे को गिफ्ट में दिए 10 करोड़ की लागत वाले खास मशरूम
सियोल। पिछले दिनों नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में तीन दिनों तक कोरियन समिट का आयोजन हुआ। इस समिट के साथ ही साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन प्योंगयांग पहुंचे। ऐसे में उनका स्वागत और उन्हें दिया जाने वाला गिफ्ट भी खास ही था। नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन ने मून जे को जो आलीशान गिफ्ट दिया है उसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। किम जोंग ने गिफ्ट में साउथ कोरिया के राष्ट्रपति को दिए हैं। आपको सुनकर थोड़ा आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन मशरूम भी कोई ऐसे वैसे मशरूम नहीं हैं बल्कि काफी खास क्वालिटी के मशरूम हैं।
मून जे पहले मशरूम पहुंचे सियोल
किम जोंग उन ने अपने साउथ कोरियाई समकक्ष को गिफ्ट में पाइन मशरूम दिए थे। इन मशरूम की कीमत करीब 10 करोड़ रुपए बताई जा रही है। किम जोंग की ओर से भेजा गया तोहफा गुरुवार तड़के सियोल एयर बेस पर पहुंचा है। करीब दो टन की मात्रा वाले यह मशरूम तो साउथ कोरिया पहुंच गए हैं जबकि राष्ट्रपति मून जे इन अपनी पत्नी के साथ नॉर्थ कोरिया में ही थे। मून जे के प्रेस सेक्रेटरी यून योंग चान ने रूटीन मीडिया ब्रीफिंग में इस बात की जानकारी दी। साउथ कोरिया की न्यूज एजेंसी योनहाप ने इस बाबत जानकारी दी। नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच हाल ही में पांचवीं अंतर-कोरियाई शांति वार्ता हुई है जबकि इस वर्ष दोनों देशों के बीच यह तीसरी वार्ता थी।
पहले भी गिफ्ट में दिए गए हैं मशरूम
मून जे इन इन मशरूम का ऑर्डर दिया था और इसके बाद इन मशरूम को उन लोगों में बांटा जाएगा जो अपनों से बिछड़ गए हैं और उनका कोई अपना नॉर्थ कोरिया में रहता है। करीब साउथ कोरिया के 4,000 वृद्धों को करीब 500 ग्राम प्रति व्यक्ति के हिसाब से ये मशरूम अगले हफ्ते चुसेओक हॉलीडे के दौरान बांटे जाएंगे। प्योंगयांग की तरफ से साल 2000 और फिर साल 2007 में भी इसी तरह से मशरूम गिफ्ट में भेजे गए थे। साल 2000 में साउथ कोरिया के राष्ट्रपति किम डेई जंग और फिर साल 2007 में रो मून-ह्यून ने उत्तर कोरिया का दौरा किया था। रो मून को जो गिफ्ट दिया गया था उसकी कीमत करीब 2.6 मिलियन डॉलर थी। उस समय मशरूम की कीमत करीब 650 डॉलर प्रति किलोग्राम थी।
काफी मशक्कत के बाद तलाश पाते हैं शिकारी
पाइन मशरूम को कोरिया को सोंगई और जापान में मातसुताके कहा जाता है। दोनों देशों में इन मशरूमों की अच्छी-खासी खेती की जाती है। दोनों देशों का मौसम मशरूम की इन प्रजातियों के लिए काफी बेहतर माना जाता है। वहीं शिकारियों को जंगल में इन मशरूमों की तलाश के काफी समय और एनर्जी लगानी पड़ती है।