जानिए क्यों दुनिया के इन दो देशों के प्रधानमंत्रियों ने अचानक दिया इस्तीफा
न्यूजीलैंड के प्रधाानमंत्री जॉन की ने पारिवारिक वजहों से तो इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेनजी ने असफल जनमत संग्रह के चलते छोड़ा अपना पद।
वेलिंगटन। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की ने आठ वर्ष बाद सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। उनके इस ऐलान ने सभी को चौंका दिया है। की के मुताबिक वह कुछ पारिवारिक वजहों के चलते इस्तीफा दे रहे हैं। वहीं एक असफलइ जनमत संग्रह ने इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेनजी से उनकी सत्ता छीन ली है।
पारिवारिक वजहों के आगे मजबूर की
की ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला उनके लिए काफी मुश्किल है।
पारिवारिक कारणों के अलावा कुछ और भी वजहें जो उन्हें राजनीति छोड़ने के लिए मजबूर कर रही हैं। उनका मानना है कि राजनीति छोड़ने के लिए अभी सही समय है।
की के मुताबिक वह अब नए लोगों को मौका देना चाहते हैं और इसलिए अपना पद छोड़ रहे हैं। वह बतौर सांसद अगले चुनावों तक काम करते रहेंगे।
अब कौन होगा अगला पीएम
अब न्यूजीलैंड में सतारूढ़ नेशनल पार्टी की मीटिंग 12 दिसंबर को होगी। इस मीटिंग में पार्टी के नए नेता और प्रधानमंत्री के नाम का चुनाव किया जाएगा।
की के इस्तीफे के बाद अब बिल इंग्लिश को नए पीएम के रूप में प्रबल दावेदार माना जा रहा है। वह जॉन की के डिप्टी पीएम हैं। की ने भी इंग्लिश के समर्थन का ऐलान किया है।
अक्टूबर में आए थे भारत
55 वर्ष के जॉन की 19 नवंबर 2008 को न्यूजीलैंड के 38वें पीएम चुने गए थे। इस वर्ष 25 अक्टूबर को वह तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए थे। भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और की के बीच एनएसजी में भारत की एंट्री पर चर्चा हुई थी।
इटैलियन पीएम ने भी दिया इस्तीफा
की से अलग इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेनजी ने भी इस्तीफा दे दिया है। रेनजी ने देश के संविधान में सुधार के लिए जनमत संग्रह कराया था।
रविवार को हुआ यह जनमत संग्रह फेल हो गया और इसके नतीजे के तहत ही रेनजी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
जनमत संग्रह में रेनजी के प्रस्ताव के खिलाफ करीब 60 और पक्ष में 40 प्रतिशत वोट डाले गए। वोटिंग के बाद उन्होंने अपनी हार मान ली।रेनजी सोमवार को दोपहर को कैबिनेट मीटिंग के बाद अपने इस्तीफे का ऐलान करेंगे।
इसके बाद वह राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। रेनजी ने 21 महीने तक कार्यभार संभालने के बाद इस्तीफा दिया है।
क्यों बदलना चाहते थे संविधान
इटली का संविधान वर्ष 1948 में बना था। रेनजी इस 68 वर्ष पुराने संविधान में बदलाव को समय की जरूरत बता रहे थे।
रेनजी संविधान में बदलाव कर ऊपरी सदन सीनेट की शक्तियां कम कर, इसके सदस्यों की संख्या 315 से 100 करना चाहते थे।
वहीं, विपक्षियों का कहना था कि सीनेट की शक्तियां कम होने की स्थिति में सारी ताकत प्रधानमंत्री के हाथों में आ जाएगी।