भारत को घेरने की फिराक में 'ड्रैगन'! नेपाल में सीमा के पास करेगा निर्माण कार्य, चुनाव से पहले डील फाइनल
चीन की विस्ताववादी नीतियों और ताइवान को लेकर उसके आक्रामक रूख को देखते हुए बाइडेन ने कहा था कि चीन नहीं बदल सकता है।
नेपाल (Nepal) और चीन (China) विभिन्न परियोजनाओं के लिए चीनी अनुदान में 15 अरब रुपये ( (800 मिलियन आरएमबी) के उपयोग के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। ये सभी परियोजनाएं नेपाली पक्ष की तरफ से चयन किया गया है। चीन में नेपाली राजदूत बिष्णु पुकार श्रेष्ठ (Bishnu Pukar Shrestha)और चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) के अध्यक्ष लुओ झाओहुई (Luo Zhaohui) ने बीजिंग में अपनी-अपनी सरकारों की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए।
नेपाल को मदद कर रहा चीन
चीन अपने विस्तारवादी नीतियों के तहत पड़ोसी पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किए हुए है। CIDCA चीन की एक विकास एजेंसी है जो नेपाल में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों में अपनी धाक पहले ही जमा चुका है। नेपाल सरकार के अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने पहले ही CIDCA को 13 उत्तरी जिलों में 15 छोटी विकासात्मक परियोजनाओं को निष्पादित करने की मंजूरी दे दी है, जहां जिलों में कुछ स्थानीय निकायों द्वारा सहायता का एक हिस्सा पहले ही प्राप्त कर लिया गया है।
15 अरब रुपये विभिन्न परियजनाओं के लिए दिए
चीन में नेपाली राजदूत बिष्णु पुकार श्रेष्ठ के मुताबिक, नेपाल सरकार और CIDCA के बीच बीजिंग में आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। अब हमारे उपर है कि, हम प्रोजेक्ट्स को कैसे हैंडल करते हैं। अब आगे नेपाल सरकार को इन परियोजनाओं को क्रियान्वित करना होगा। श्रेष्ठ ने आगे कहा कि, अब नेपाल सरकार को परियोजनाओं के काम को आगे बढ़ाने में तेजी दिखानी होगी। उन्होंने बताया कि चीन ने जो सहायता राशि दी है उसे 2022 में ही खर्च किया जाना था, लेकिन समझौते पर हस्ताक्षर में हुई देरी के कारण इस राशि का उपयोग 2023-24 में किया जाएगा।
15 अरब रुपये का अनुदान
चीन ने इस साल नेपाल को 15 अरब रुपये की अनुदान सहायता देने का वादा किया था जिसे विभिन्न परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा। बता दें कि, नेपाल और चीन के संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन गए नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक मुद्दों पर वार्ता की थी। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि, ''दोनों विदेश मंत्रियों ने नेपाल-चीन संबंधों के सभी पहलुओं का जायजा लिया और व्यापार, कनेक्टिविटी, निवेश, स्वास्थ्य, पर्यटन, गरीबी उन्मूलन, कृषि, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति जताई । उस समय के बयान के मुताबिक, बैठक के दौरान खड़का ने 'एक-चीन नीति' के लिए नेपाल की अटूट प्रतिबद्धता को भी दोहराया था और आश्वासन दिया था कि नेपाल के क्षेत्र को किसी भी चीन विरोधी गतिविधि के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
चीन की विस्तारवादी सोच
नया अनुदान 2019 में नेपाल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा घोषित अनुदान के अतिरिक्त है। काठमांडू में अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आधिकारिक स्तर की वार्ता के दौरान, बाद में नेपाल को दो साल के लिए अनुदान के तौर पर 58 बिलियन रुपये (3.5 बिलियन) की घोषणा की थी। हालांकि, कोविड महामारी के मद्देनजर धन का उपयोग कैसे किया जाए इस पर दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी। नेपाल ने अभी तक चीनी राष्ट्रपति द्वारा घोषित अनुदान के तहत वित्तपोषित परियोजनाओं का चयन नहीं किया है। श्रेष्ठ ने कहा कि "नेपाल को दूसरे अनुदान के उपयोग के लिए परियोजनाओं को अंतिम रूप देना चाहिए।
नेपाल में काफी खर्च कर रहा चीन
बता दें कि, वर्तमान में जिन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है उनमें रिंग रोड विस्तार का दूसरा चरण, तोखा-छहारे सुरंग, स्यब्रुबेसी-केरुंग सड़क का विस्तार और भक्तपुर में बीर अस्पताल के एक नए विंग का निर्माण शामिल है। इसके अलावा योजनाओं में बसंतपुर दरबार, नुवाकोट दरबार, नेपाल-चीन सीमा (पंचखाल और अन्य) पर ड्राई पोर्ट का पुनर्निर्माण, कोडारी राजमार्ग के उन्नयन और रखरखाव के साथ-साथ नेपाल-चीन सीमा पार रेलवे परियोजना के लिए व्यवहार्यता अध्ययन शामिल हैं।
चीन का आश्वासन
राजदूत श्रेष्ठ ने आगे कहा, 'चीनी पक्ष ने आश्वासन दिया है कि वह इस साल के अंत तक बहुचर्चित सीमा पार रेलवे के व्यवहार्यता अध्ययन के लिए विशेषज्ञों को भेजना शुरू कर देगा।'इसी तरह, उन्होंने कहा कि नेपाल पक्ष नेपाल-चीन क्रॉस बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइन परियोजना, हुमला जिले में एक पुल के निर्माण और एक रासायनिक उर्वरक कारखाने की स्थापना में चीनी अनुदान का निवेश करना चाहता है। नेपाल अनुदान के तहत पांच साल की अवधि के लिए चीन से एक लाख टन रासायनिक उर्वरक (ज्यादातर यूरिया) आयात करना चाहता है।
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