म्यांमार में सेना का आतंक, लोकतंत्र समर्थक चार बड़े नेताओं को फांसी से लटकाया
म्यांमार में पिछले साल फरवरी महीने में देश की सेना, जिसे जुंटा कहा जाता है, उसने लोकतांत्रित सरकार को बर्खास्त कर दिया था और सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
नायपीडॉ, जुलाई 25: म्यांमार की लोकतंत्र विरोधी सेना ने लोकतंत्र समर्थक चार नेताओं को आतंकवादी वारदातों में शामिल रहने का आरोप लगाकर मार दिया है। म्यांमार की सैन्य नियंत्रित सरकारी मीडिया ने कहा है कि, दक्षिण पूर्व एशियाई देश म्यामांर में कई दशकों के बाद फांसी की सजा दी गई है। सरकारी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोकतांत्रित कार्यकर्ताओं को इसी साल जनवरी में एक बंद कमरे में सुनवाई के दौरान फांसी की सजा सुनाई गई थी और इन चारों पर सेना से लड़ने के लिए मिलिशिया की मदद करने का आरोप लगाया गया था।
लोकतंत्र समर्थकों को फांसी
म्यांमार में पिछले साल फरवरी महीने में देश की सेना, जिसे जुंटा कहा जाता है, उसने लोकतांत्रित सरकार को बर्खास्त कर दिया था और सत्ता पर कब्जा कर लिया था। सेना ने राष्ट्रपति के साथ साथ देश के तमाम बड़े नेताओं को गिरफ्तार करके रखा हुआ है और देश की सबसे बड़ी नेता माने जाने वाली आंग सान सू की को भी गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके खिलाफ भी दर्जनों मुकदमे चलाए जा रहे हैं। अब तक आंग सान सू को 6 साल की सजा मिल चुकी है। उनके अलावा बाकी के नेताओं के खिलाफ म्यांमार की सेना खूनी कार्रवाई कर रही है। वहीं, म्यांमार की नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट, जिसे सेना ने गैरकानूनी घोषित कर रखा है, उसने इस हत्याकांड की निंदा की है। एनयूजी के अध्यक्ष कार्यालय के प्रवक्ता क्याव जॉ ने संदेश के माध्यम से रॉयटर्स को बताया कि, "बेहद दुखी ... सख्त शब्दों के साथ जुंटा की क्रूरता की निंदा करते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि, "वैश्विक समुदाय को उनकी क्रूरता को दंडित करना चाहिए।"
किन नेताओं को दी गई है फांसी
ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार अखबार ने कहा है कि, जिन लोगों को फांसी दी गई उनमें लोकतंत्र समर्थक क्याव मिन यू, जिन्हें जिमी के नाम से जाना जाता है, और पूर्व सांसद और हिप-हॉप कलाकार फ्यो जेया थाव शामिल हैं। 53 साल के क्याव मिन यू और 41 वर्षीय सहयोगी फ्यो ज़ेया थाव म्यांमार की अपदस्त नेता आंग सान सू की सहयोगी थे और उन्हें फांसी की सजा दी गई है, और फांसी की सजा के खिलाफ पिछले महीने अदालत में अपील की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। वहीं, इन दोनों के अलावा हला म्यो आंग और आंग थुरा ज़ॉव को भी फांसी दे दी गई है। वहीं, फ्यो ज़ायर थाव की पत्नी थज़िन न्युंट आंग ने कहा कि, उन्हें अपने पति की फांसी के बारे में नहीं बताया गया था। अन्य रिश्तेदारों से तत्काल टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका। अखबार ने बताया कि चारों को आतंकवाद निरोधी कानून और दंड संहिता के तहत आरोपित किया गया था और सजा जेल प्रक्रिया के अनुसार दी गई थी। म्यांमार में पहले भी फांसी दी जा चुकी है।
म्यांमार सेना का आतंक
असिस्टेंस एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स (एएपीपी) नाम के एक कार्यकर्ता समूह ने कहा कि म्यांमार की अंतिम न्यायिक फांसी 1980 के दशक के अंत में हुई थी। एक सैन्य प्रवक्ता ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। वहीं, पिछले महीने सैन्य प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने मौत की सजा का बचाव करते हुए कहा था कि यह उचित है और कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, "उनकी वजह से कम 50 निर्दोष नागरिक मारे गए, जिनमें सुरक्षाबल शामिल नहीं है।" वहीं, यूनाइटेड नेशंस ने के दो विशेषज्ञों ने इसे लोगों के बीच डर पैदा करने का एक प्रयास कहा है। एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के अध्यक्ष, कंबोडियाई प्रधान मंत्री हुन सेन ने जून में एक पत्र में जुंटा नेता मिन आंग ह्लाइंग को फांसी नहीं देने की अपील की थी, लेकिन, सैन्य शासक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
म्यांमार में सरकार का तख्तापलट
आपको बता दें कि, म्यांमार में साल 2020 में आम चुनाव करवाए गये थे, जिसमें आंग सान सू ची की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी और उसके साथ ही देश में सैन्य शासन का अंत हो गया था। लेकिन, सेना के खिलाफ ये संघर्ष लंबा नहीं चल सका और पिछले साल एक फरवरी को सेना ने लोकतांत्रिक सत्ता का तख्तापलट कर दिया। वहीं, आंग सान सू ची समेत उनकी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी' के तमाम बड़े नेताओं को सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद से ही म्यांमार मेंसेना के खिलाफ भारी प्रदर्शन किए जा रहे हैं और अभी तक 2100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।