म्यांमार की नेता आंग सान सू ची को जिंदगी भर जेल में रखने की तैयारी? वॉकी-टॉकी रखने पर 4 साल जेल
आंग सान सू ची ने ही 90 के दशक में संघर्ष करना शुरू किया था और फिर उन्होंने देश को सेना के शासन से आजादी दिलाई थी और देश में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की थी, जिसके लिए उन्हें नोबल अवार्ड भी मिल चुका है।
नेपीटाव, जनवरी 10: पिछले साल फरवरी में म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर सेना ने देश की सत्ता पर कब्जा कर रखा है और लगातार देश के लोकतांत्रिक नेताओं को अलग अलग मामलों में सजा दी जा रही है। खासकर न्यांमार की सेना, जिसे जुंटा कहा जाता है, वो देश की सबसे बड़ी नेता माने जाने वाली आंग सान सू ची के खिलाफ और ज्यादा सख्ती दिखा रही है, ताकि देश में विरोध की किसी भी आवाज को दबाया जा सके। म्यांमार की सेना ने आंग सान सू ची को एक और मामले में और चार साल की सजा सुनाई है। इससे पहले उन्हें एक मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई थी। यानि, उनकी सजा अब 6 साल की हो गई है।
अवैध वॉकी-टॉकी रखने पर सजा
म्यांमार की अदालत से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, आंग सान सू ची को बिना लाइसेंस के वॉकी-टॉकी रखने समेत 3 अलग अलग मामलों में चार साल की सजा सुनाई गई है। सेना की अदालत ने आंग सान सू ची को हैंजहेल्ड रेडियो रखने के लिए आयात-निर्यात कानून का उल्लंघन करने का दोषी पाया है और इस मामले में उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई है, जबकि सिग्नल जैमर का एक सेट रखने के लिए एक साज की सजा सुनाई गई है। इससे पहले आंग सान सू ची को कोरोना काल में देश में चुनाव प्रचार करने के आरोप में 2 साल की सजा सुनाई गई थी।
चल रहे हैं दर्जनों मामले
आंग सान सू ची ने ही 90 के दशक में संघर्ष करना शुरू किया था और फिर उन्होंने देश को सेना के शासन से आजादी दिलाई थी और देश में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की थी, जिसके लिए उन्हें नोबल अवार्ड भी मिल चुका है, लेकिन 76 साल की हो चुकी आंग सान सू ची के खिलाफ अब म्यांमार की तानाशाह सेना बर्बरता कर रही है। आंग सान सू ची के खिलाफ म्यांमार की सेना दर्जनों मामलों में सुनवाई कर रही है और विश्लेषकों का कहना है कि, सेना नहीं चाहती है कि, वो जेल से कभी बाहर आ सकें, क्योंकि सेना को सिर्फ आंग सान सू ची से ही सबसे बड़ा खतरा है। म्यांमार के पत्रकारों के मुताबिक, म्यांमार की सेना आंग सान सू ची को कम से कम 100 से ज्यादा की सजा सुना सकती है। हालांकि, आंग सान सू ची सेना द्वारा लगाए गये सभी आरोपों से इनकार कर चुकी हैं।
अदालत में शांत थीं आंग सान सू ची
समाचार एजेंसी रॉइटर्स की खबर के मुताबिक, कोर्ट की कार्रवाई से जुड़े एक दूसरे सूत्र ने बताया कि, सैन्य अदालत में कार्रवाई के दौरान आंग सान सू ची पूरी तरह से शांत थीं और जब उन्हें सजा सुनाई गई, उस वक्त भी वो स्थिर थीं। आपको बता दें कि, आंग सान सू ची को पिछले साल एक फरवरी को सेना ने हिरासत में लिया था और पुलिस ने कहा कि, उनके घर की तलाशी के दौरान अवैध रूप से आयातित छह वॉकी-टॉकी मिलीं थीं। अदालत ने उन्हें हाथ में वॉकी-टॉकी रखने के लिए निर्यात-आयात कानून का उल्लंघन करने के लिए दो साल और सिग्नल जैमर का एक सेट रखने के लिए एक साल की सजा सुनाई है। सूत्र ने कहा कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
कोर्ट में चल रहा है सीक्रेट ट्रायल
आंग सान सू ची के समर्थकों का कहना है कि, उनके खिलाफ सभी मामले निराधार हैं और उनके राजनीतिक करियर को खत्म करने और सेना को किसी भी चुनौती से मुक्त सत्ता चलाने के लिए उन्हें सजा सुनाई जा रही है। रॉइटर्स के मुताबिक, सैन्य परिषद के एक प्रवक्ता से टिप्पणी के लिए तत्काल संपर्क नहीं हो सका है। आपको बता दें कि, आंग सान सू ची के खिलाफ कोर्ट में जो मुकदमे चल रहे हैं, वो सीक्रेट ट्रायल में चलाए जा रहे हैं और मीडिया को रिपोर्टिंग करने की इजाजत नहीं है। इसके साथ ही सू ची के वकीलों को मीडिया और जनता के साथ संवाद करने से रोक दिया गया है।
चुनावी जीत के बाद तख्तापलट
आपको बता दें कि, म्यांमार में साल 2020 में आम चुनाव करवाए गये थे, जिसमें आंग सान सू ची की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी और उसके साथ ही देश में सैन्य शासन का अंत हो गया था। लेकिन, सेना के खिलाफ ये संघर्ष लंबा नहीं चल सका और पिछले साल एक फरवरी को सेना ने लोकतांत्रिक सत्ता का तख्तापलट कर दिया। वहीं, आंग सान सू ची समेत उनकी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी' के तमाम बड़े नेताओं को सेना ने हिरासत में ले लिया था। उसके बाद से ही म्यांमार में सेना के खिलाफ भारी प्रदर्शन किए जा रहे हैं और अभी तक 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
चुनाव को फर्जी बताती है सेना
म्यांमार की सेना आंग सान सू ची की पार्टी को चुनाव में मिली एकतरफा जीत को फर्जी बताती है और सेना का कहना है कि, उसे चुनाव पर विश्वास नहीं है, जबकि म्यांमार में पहली बार लोकतांत्रिक चुनाव कवर करने गये दुनियाभर के पत्रकारों और स्वतंत्र विश्लेषकों का कहना है कि, देश में पूरी तरह से निष्पक्ष चुनाव हुए थे और चुनाव को लेकर देश की जनता में अभूतपूर्व उत्साह था। वहीं, आंग सान सू ची के खिलाफ सेना जितने भी मुकदमे चला रही है, उन सभी आरोपों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय फर्जी करार दे चुका है और सेना को देश में फिर से लोकतांत्रिक सरकार बहाल करने को कह चुका है। वहीं, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और यूरोपीय देश म्यांमार की सेना को प्रतिबंधित कर चुके हैं।
पूरी तरह से अलग-थलग हैं आंग सान सू ची
आंग सान सू ची को पिछले साल एक फरवरी को हिरासत में लिया गया था और उसके बाद से उनके तमाम बाहरी संपर्क काट दिए गये हैं और उन्हें सिर्फ अपने वकीलों से ही मिलने की इजाजत है, वो भी सिर्फ अदालत की कार्रवाई से पहले। अदालती सूत्रों के मुताबिक, पिछली सुनवाईयों के दौरान आंग सान सू ची को सफेद टॉप और भूरी लूंगी पहने हुए देखा गया था और ये ड्रेस म्यांमार में कैदियों का ड्रेस होता है। हालांकि, सैन्य शासक लेंग ने पिछले महीने कहा था कि, आंग सान सू ची और देश के अपदस्त राष्ट्रपति विन मिंट को मुकदमा चलने तक जेल नहीं भेजा जाएगा। आपको बता दें कि, तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार की सेना को हर अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों से बाहर कर दिया गया है और उन्हें किसी भी सम्मेलन में शामिल होने की इजाजत नहीं है।
सुलझ गया किम जोंग उन की पत्नी का रहस्य, जानिए एक चीयरलीडर कैसे बनी तानाशाह की बीवी?