'मेरे धोखेबाज़ बॉयफ़्रेंड ने मुझे एड्स बीमारी दी'
हम चाहते थे कि पुलिस उसे रोके, ताकि वो और महिलाओं को ये वायरस ना दे. पुलिस ने हमारी बात सुनी और समझी. लेकिन उन्होंने कहा कि सिर्फ़ दो महिलाओं के बोलने से उस पर आरोप साबित नहीं होंगे. अगर चार या पांच महिलाएं सामने आकर कोर्ट में बोलती हैं तो कुछ हो सकता है.
मैंने फिर से फिलिप के फ़ोन रिकॉर्ड खंगाले और कॉल करना शुरू किया. पहली ही महिला ने बताया कि उसके फिलिप से संबंध रहे हैं और उसे भी एचआईवी हो गया है.
शादी के 18 साल बाद जब डाएन रीव का तलाक़ हुआ तो उन्हें दोबारा प्यार मिलने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन 50 साल की रीव को 2002 में फिलिप पाड्यू का साथ मिला.
रीव अपने बॉयफ्रेंड फिलिप के साथ काफ़ी ख़ुश थीं, लेकिन एक दिन रीव की ज़िंदगी में तूफान आ गया. उन्हें पता चला कि फिलिप पाड्यू के कई और महिलाओं के साथ संबंध हैं और जानलेवा एचआईवी भी दे दिया है. सुनिए रीव की कहनी उन्हीं की ज़ुबानी.
मैंने प्यार मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन फिर मेरे कई दोस्तों ने मुझे समझाया और ऑनलाइन डेटिंग करने का सुझाव दिया.
ऑनलाइन डेटिंग ऐप के ज़रिए मेरी मुलाक़ात फिलिप पाड्यू से हुई. कुछ देर बातचीत के बाद हमने मिलने का फ़ैसला किया.
हम अपने मार्शल आर्ट स्कूल में मिले. उसे भी इसमें दिलचस्पी थी. पहली मुलाक़ात में ही हम एक दूसरे को पसंद करने लगे.
फिलिप एक कंपनी में सुरक्षा विश्लेषक के तौर पर काम करता था, लेकिन एक साल बाद ही उसने नौकरी छोड़ दी. मैंने उसे कहा कि जब तक तुम्हें दूसरी नौकरी नहीं मिलती, तुम मेरे साथ मेरे मार्शल आर्ट सकूल में काम कर सकते हो. वो मेरे साथ काम करने लगा.
शाम को जब हम स्कूल से निकलते तो अक्सर रात में साथ रुक जाया करते. हम अपने रिश्ते को आगे ले जाने की बात करने लगे. मैं उसके साथ भविष्य के सपने संजोने लगी.
2006 में मेरी बेटी की शादी हुई. शादी में फिलिप भी साथ रहा.
कुछ दिन बाद हमने एक फैमिली डिनर की योजना बनाई. मैंने फिलिप को भी आने को कहा. लेकिन उसने मना कर दिया. उसने कहा कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है.
उसने वो फ़ोन घर से नहीं किया था तो मुझे शक हुआ. मैं उसके घर चली गई. वो घर पर नहीं था. उस दिन मैं बहुत रोई. मुझे बहुत ग़ुस्सा आ रहा था.
उसके फ़ोन का बिल मैं भरती थी, इसलिए मैं उसके वॉइसमेल चेक कर सकती थी. मैंने पाया कि दो महिलाओं ने उसके लिए वॉइसमेल छोड़े थे और फिलिप उनसे ही मिलने गया था.
फिलिप जब वापस लौटा तो मेरा उससे खूब झगड़ा हुआ. उस दिन मेरा और उसका ब्रेकअप हो गया.
शनिवार को हमारा ब्रेकअप हुआ और सोमवार को मैंने स्त्री विशेषज्ञ से अपनी जांच करवाई. उन्होंने मुझे बताया कि मुझे एचपीवी है. इसकी वजह से मेरे गर्भाशय में इन्फेक्शन हो गया. डॉक्टर ने बताया कि ये सेक्शुअल पार्टनर से होता है.
मैं समझ गई कि ये रोग मुझे फिलिप से हुआ है. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. मैंने उन दूसरी महिलाओं को आगाह करने के बारे में सोचा जो फिलिप के साथ सेक्शुअली एक्टिव थीं.
मैंने फिलिप के पिछले नौ महीने के फ़ोन कॉल डिटेल निकाले और कॉल करना शुरू कर दिया. जैसे ही कोई महिला फ़ोन उठाती तो मैं उससे पूछती कि क्या वो फिलिप के साथ डेट कर रही है. जो हां कहती मैं उसे आगाह करती और अपने बारे में बताती.
मुझे नौ ऐसी औरतें मिलीं जो फिलिप को डेट कर रही थीं. उनमें से कुछ ग़ुस्सा हुईं, कुछ ने मुझे ध्यान से सुना और कुछ ने शुक्रिया अदा किया. उनमें से कुछ से मैं मिली, हमने मिलकर फिलिप को डेट कर रही कुछ और महिलाओं से संपर्क करने की कोशिश की.
उनमें से एक महिला ने मुझे बताया कि उसे एचआईवी हो गया है. मैं डर गई, पिछले छह महीने से मेरी सेहत भी बहुत ख़राब चल रही थी. मेरे गर्भाशय में दिक्क़त हो रही थी.
अगले दिन मैं अपनी डॉक्टर से मिली. उन्होंने मेरे ख़ून का नमूना लिया और टेस्ट किया. उन्होंने बताया कि मुझे भी एचआईवी है.
ये सुनते ही मैं घुटनों के बल गिरकर रोने लगी. मुझे लगा अब मैं मर जाऊंगी. मुझे ये तो पता था कि एचआईवी की दवा होती है, लेकिन वो कितनी असरदार होगी, इस बारे में मुझे पता नहीं था.
जनवरी 2007 में मैंने एक और टेस्ट कराया. इसमें मुझे पता चला कि मुझे एड्स है. मेरे पास हेल्थ इंश्योरेंस था, लेकिन उसमें एड्स कवर नहीं था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इतना महंगा इलाज कैसे लूंगी.
मैंने उस महिला से संपर्क किया जिसने मुझे बताया था कि उसे भी एचआईवी हो गया है. हम मिले और साथ बैठकर रोए. उसने बताया कि जैसे ही उसे पता चला कि उसे एचआईवी है उसने फिलिप को फ़ोन किया. लेकिन फिलिप का जवाब चौंकाने वाला था.
फिलिप ने उसे कहा, "इसमें क्या बड़ी बात है. हर इंसान की मौत किसी ना किसी वजह से होती है. तुम मुझे अकेला छोड़ दो और अपनी ज़िंदगी जियो."
हम दोनों को यक़ीन था कि फिलिप ने ही हमें एचआईवी दिया है. हम दोनों ने मिलकर पुलिस में शिकायत की.
हम चाहते थे कि पुलिस उसे रोके, ताकि वो और महिलाओं को ये वायरस ना दे. पुलिस ने हमारी बात सुनी और समझी. लेकिन उन्होंने कहा कि सिर्फ़ दो महिलाओं के बोलने से उस पर आरोप साबित नहीं होंगे. अगर चार या पांच महिलाएं सामने आकर कोर्ट में बोलती हैं तो कुछ हो सकता है.
मैंने फिर से फिलिप के फ़ोन रिकॉर्ड खंगाले और कॉल करना शुरू किया. पहली ही महिला ने बताया कि उसके फिलिप से संबंध रहे हैं और उसे भी एचआईवी हो गया है.
वो फिलिप के घर के पास ही रहती थी. उसकी मदद से हमें फिलिप के घर आने-जाने वाली महिलाओं की जानकारी मिली.
हमने एक-एक कर उन महिलाओं से संपर्क किया. पता चला कि उनमें से 13 महिलाओं को एचआईवी था. मैं ये जानकर हैरान थी.
साल 2002 से मैं फिलिप के साथ थी. लेकिन उनमें से कई महिलाएं उससे भी पहले से उसके साथ रिलेशन में थीं.
हमने देखा कि हर रात फिलिप के घर एक अलग कार आती थी और वो रोज़ एक अलग महिला के साथ होता था.
अब सबसे पहले हमें ये साबित करना था कि फिलिप को जानकारी थी कि उसे एचआईवी है. इसके बावजूद वो अनगिनत महिलाओं से संबंध बना रहा था.
हेल्थ डिपार्टमेंट में एक महिला डॉक्टर हमारी मदद कर रही थीं. मैंने उनसे पूछा कि क्या कभी फिलिप इलाज के लिए उनके पास आया था. उन्होंने कहा नहीं, इस नाम का कोई आदमी नहीं आया.
फिर मुझे याद आया कि फिलिप का एक नाम फिल व्हाइट भी था. डॉक्टर को वो नाम याद था. मुझे याद है कि 2005 में फिलिप किडनी स्टोन का बोलकर कहीं इलाज करा रहा था, लेकिन उसी वक़्त वो एचआईवी के टेस्ट के लिए इस डॉक्टर के पास आया था.
उसके टेस्ट का बिल मैंने भरा था, इसलिए मुझे उसकी मेडिकल रिपोर्ट मिल गई. बिल के बिना वो मुझे रिपोर्ट ना देते, क्योंकि उसमें निजता का मामला आ जाता.
एचआईवी से पीड़ित 13 में से 5 महिलाओं ने ही कोर्ट में गवाही देने पर हामी भरी. वो इस एचआईवी की बीमारी को लेकर सार्वजनिक तौर पर बोलना नहीं चाहती थीं.
हमने मिलकर एक सपोर्ट ग्रुप भी बनाया था. हम अक्सर घर पर मिला करती थीं और हम साथ मिलकर केस लड़ीं.
क्योंकि इस मामले से अपराध जुड़ा था तो हमें टेक्सस की सरकार ने मेडिकल सुविधा दी.
मुझे आज भी एड्स है, लेकिन हमने मिलकर उसे दूसरी महिलाओं को ये बीमारी देने से रोक दिया.
2009 में कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ने हमें कहा कि आप पर भी वो किचड़ उछाल सकता है. क्या आप इसके लिए तैयार हैं? लेकिन मैं घबराई नहीं. मैं वक़ील के हर तरह के सवाल का जवाब दिया.
इसके बाद उसे सज़ा मिली. छह मामलों में वो दोषी साबित हुआ और उसे 45 साल की सज़ा सुनाई गई. ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी का पल था. हालांकि फिलिप ने कभी भी अपनी ग़लती नहीं मानी. उसने कहा कि मैंने सबको वायरस दिया.
हमें एक महिला मिली थी जिसे 1997 में एचआईवी हो गया था. हमने एक मेडिकल टेस्ट भी करवाया था, जिससे पता चलता है कि हम सभी महिलाओं में एचआईवी का एक ही सोर्स था और वो था फिलिप.
मुझे लगता है फिलिप जानते हुए भी बहुत पहले से महिलाओं में एचआईवी फैला रहा था. 2005 से पहले भी उसे ये मालूम था.
एक दूसरे की मदद के बगैर हम पीड़ित महिलाएं न्याय हासिल नहीं कर सकती थीं. हमने एक दूसरे का साथ दिया और एक दूसरे की जान भी बचाई.