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'सूद वाला सिस्टम हटाओ, इस्लाम के खिलाफ है'... मौलाना की धमकी से तंग हुई शहबाज सरकार

पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है और मौजूदा शासक जब विपक्ष में थे तब भी पीटीआई सरकार पर महंगाई को काबू में नहीं रख पाने का आरोप लगाया जाता रहा है।

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Pakistan News: पाकिस्तान कट्टरपंथियों के हुक्म से चलने वाला एक देश है और ऐसा लग रहा है, कि इस्लाम का हवाला देकर इन कट्टरपंथियों ने देश का बेड़ा गर्ग करने का ठेका ले लिया है। हालांकि, इसके लिए भी पाकिस्तान की अलग अलग सरकारें और सैन्य शासन जिम्मेदार रहा है, जिसमें अलग अलग वक्त पर इस्लामवादियों को अपने मकसद के लिए इस्तेमाल किया और अब यही इस्लामवादी पाकिस्तान के लिए खतरा बन चुके हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन की शनिवार की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के एक रसूखदार मौलाना ने शहबाज सरकार को आदेश दिया है, कि फौरन देश से ब्याज सिस्टम खत्म किया जाए, नहीं तो पूरे देश में प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।

मौलाना की 'खतरनाक' मांग

मौलाना की 'खतरनाक' मांग

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की इस्लामी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के अध्यक्ष सिराजुल हक ने सरकार से ब्याज आधारित अर्थव्यवस्था की व्यवस्था को फौरन खत्म करने की मांग की है और मांग पूरी नहीं होने पर देश भर में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। शुक्रवार को मंसूरा में जेआई कर्मचारियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, सरकार को बैंकों को संघीय शरीयत अदालत के ब्याज के खिलाफ फैसले की अपील वापस लेने के निर्देश देने चाहिए। उन्होंने अपनी इस मांग के पीछे इस्लाम का हवाला दिया और उन्होंने कहा कि, सूद लेना और देना इस्लाम में हराम माना गया है, इसीलिए बैंकों को फौरन सूद वसूली करना बंद करना चाहिए। पहले से ही आर्थिक तंगहाली में फंसे पाकिस्तान के लिए सिराजुल हक की ये चेतावनी काफी भारी पड़ने वाली है।

ब्याज-आधारित अर्थव्यवस्था संविधान का उल्लंघन

ब्याज-आधारित अर्थव्यवस्था संविधान का उल्लंघन

जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के अध्यक्ष सिराजुल हक ने देशभर में भारी प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए कहा कि, "कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान खोला, तो उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को इस्लामी मॉडल अपनाने और इस्लामी मॉडल के साथ चलने का स्पष्ट निर्देश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और ब्याज आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना देश के संविधान का साफ उल्लंघन है।" इसके साथ ही जेआई नेता ने इस बात पर भी असंतोष व्यक्त किया, कि सात दशक बीत चुके हैं और अधिकारी अभी भी इस दिशा में आगे नहीं बढ़े हैं। इसके साथ ही हक ने पाकिस्तान सरकार से रिबा माफी कार्यक्रम को लागू करने और जकात और उशर पर अपनी टैक्स नीतियों को आधार बनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) देश की अर्थव्यवस्था को चलाने की कोशिश कर रहा है और देश में सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम का निर्माण भी पश्चिमी देशों के एनजीओ ने किया है। उन्होंने कहा कि, जब तक देश की अर्थव्यवस्था को इस्लाम का आधार बनाकर नहीं चलाया जाता, तब तक देश की अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।

मौलानाओं से तंग पाकिस्तान

मौलानाओं से तंग पाकिस्तान

आपको बता दें कि, पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है और मौजूदा शासक जब विपक्ष में थे तब भी पीटीआई सरकार पर महंगाई को काबू में नहीं रख पाने का आरोप लगाया जाता रहा है। अविश्वास मत हारने के बाद इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका के ऊपर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया था। वहीं, इमरान खान के शासनकाल के दौरान भी फ्रांसीसी राजदूत को देश से बाहर निकालने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पूरे देश में प्रदर्शन किया था, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा पुलिसवालों की मौत हो गई थी। इसके साथ ही पाकिस्तान लगातार कट्टरपंथियों से बेहाल रहा है और जिस नये आर्मी चीफ आसिम मुनीर की नियुक्ति की गई है, वो भी हाफिज-ए-कुरान हैं और माना जा रहा है, उनके कार्यकाल में पाकिस्तान फौज में कट्टरपंथ का भारी इजाफा होगा।

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English summary
The Shehbaz government has been warned of demonstrations with the demand to end the debt-based economy in Pakistan.
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