इजरायल में सियासी ड्रामा फिर शुरू, सांसद के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आई नेफ्ताली बेनेट की सरकार
दक्षिणपंथी विचारधारा वाले प्रधानमंत्री नफ़ताली बेनेट के नेतृत्व में इजरायल की आठ राजनीतिक पार्टियों ने पिछले साल एक साथ गठबंधन किया था और सरकार बनाने का ऐलान किया था।
तेल अवीव, मई 20: इजरायल की नेफ्ताली बेनेट की सरकार पर संकट के बादल आ गये हैं और एक सांसद के इस्तीफे के बाद नेफ्ताली बेनेट की सरकार के अल्पमत में आने की आशंका है। जिससे इजरायल की सरकार का भविष्य अनिश्चितता में डूब गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की केन्द्रीय सरकार को अहम समर्थन देने वाली अरब समुदाय की सांसद सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है।
अल्पमत में नेफ्ताली बेनेट की सरकार
प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट के नेतृत्व में बनी सरकार से अरब समुदाय की सांसद सदस्य ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया है, कि वो अपने समाज में अपने वर्ग के प्रति अपने नेताओं के "दक्षिणपंथी रुख" को बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। सांसद के अचानक इस्तीफा देने का मतलब ये हुआ कि, सरकार में शामिल गठबंधन दलों के पास सिर्फ 59 सीटें ही बची हैं, जबकि इजरायली संसद में 120 सीटें हैं और सरकार चलाने के लिए कम से कम 60 सीटें होनी ही चाहिए। यानि, इजरायल की राजनीति में नेफ्ताली बेनेट ने अलग अलग दलों को साथ लाकर गठबंधन सरकार बनाने का जो प्रयोग किया था, वो फेल हो गया है और एक साल से कम वक्त में ही नेफ्ताली बेनेट की सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है।
आठ दलों ने मिलकर बनाई थी सरकार
दक्षिणपंथी विचारधारा वाले प्रधानमंत्री नफ़ताली बेनेट के नेतृत्व में इजरायल की आठ राजनीतिक पार्टियों ने एक साथ गठबंधन किया था और सरकार बनाने का ऐलान किया था। हालांकि, इन राजनीतिक पार्टियों के बीच विचारधारा के स्तर पर इतने मतभेद थे, कि विश्लेषकों ने उसी वक्त संभावना जताई थी, कि इस सरकार का भविष्य ज्यादा दिनों के लिए नहीं हो सकता है और हुआ भी यही है। गौरतलब है कि 1948 में राज्य की स्थापना के बाद पहली बार सरकार ने एक स्वतंत्र 'अरब पार्टी' को शामिल किया था।
इजरायल में 20% अरब आबादी
आपको बता दें कि, इज़राइल की कुल जनसंख्या में करीब 20% आबादी अरब मूल के लोगों की है। हालांकि उन्हें कानून के तहत समान अधिकार हैं, लेकिन वो अक्सर भेदभाव की शिकायत करते रहते हैं। वहीं, अपने फैसले की घोषणा करते हुए एक पत्र में, वामपंथी मेरेत्ज़ पार्टी की ग़ैदा रिनावी ज़ोबी ने कहा कि, 'सरकार के नेता ने बार बार अरब समुदाय के प्रति बुनियादी मुद्दों को लेकर भी काफी सख्त और दक्षिणपंथी रूख अपनाया है।' उन्होंने कहा कि, 'वह हाल की घटनाओं से प्रभावित हुई थी, जिसमें अल जज़ीरा रिपोर्टर शेरीन को गोली मारकर हत्या करने का आरोप इजरायली सैनिकों पर लगा था और उनकी अंतिम संस्कार के वक्त भी लाठीचार्ज की गई थी। वहीं, इजरायली पुलिस ने कहा कि, उन्होंने "दंगाइयों द्वारा हिंसा शुरू करने" के बाद कार्रवाई की थी।
इस्तीफा देने वाली सांसद ने क्या कहा
वहीं, सरकार से समर्थन वापस लेने वाली सांसद ज़ोबी ने कहा कि, 'मैं एक ऐसे गठबंधन के अस्तित्व का समर्थन करना जारी नहीं रख सकती जो मेरे समुदाय को इस शर्मनाक तरीके से परेशान करता है।" उनके जाने से गठबंधन की स्थिति खराब हो गई है और सरकार के लिए अब आगे काम करना काफी मुश्किल हो गया है और अब प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट को संसद में बहुमत साबित करना होगा, जो उनके लिए काफी मुश्किल होगा। इससे पहले, प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट की अपनी दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के एक सदस्य ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था, कि प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट अपनी कुर्सी बचाने के लिए "यहूदी पहचान को नुकसान पहुंचा रहा है"। वहीं, उनके इस्तीफा देने के एक ही हफ्ते के बाद गठबंधन की एक और सांसद ने इस्तीफा दे दिया है।
फिर पीएम बनेंगे बेंजामिन नेतन्याहू?
आपको बता दें कि, पिछले साल इजरायल में लोकसभा चुनाव हुए थे और पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई थीं, लेकिन उनकी पार्टी बहुमत से दूर रह गई थीं, जिसके बाद नेफ्ताली बेनेट ने आठ राजनीतिक पार्टियों के साथ गठबंधन कर सरकार का गठन किया था। उसके बाद से बेंजामिन नेतन्याहू संसद में विपक्ष के नेता हैं और उन्होंने कसम खा रखी है, कि वो फिर से इजरायल के प्रधानमंत्री बनेंगे और अब जब नेफ्ताली बेनेट की सरकार अल्पमत में आ चुकी है, तो माना जा रहा है, कि बेंजामिन नेतन्याहू फिर से अपना पत्ता फेंक सकते हैं।
इजरायली संसद का गणित समझिए
इजरायल की सरकार में आठ अलग अलग पार्टियां शामिल हैं और सबसे दिलचस्प ये है कि धूर दक्षिणपंथी नेता नेफ्ताली बेनेट ने वामपंथी पार्टी और मुस्लिम पार्टी तक से समर्थन लिया हुआ है। इजरायल की संसद में 120 सीटे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा सीटें 12 साल तक प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी की है। लिकुड पार्टी के पास संसद में 39 सीटे हैं। लेकिन वो बहुमत से काफी दूर हैं। दूसरे नंबर पर मध्यमार्गी पार्टी येर लेपिड की येश एडिट पार्टी है जिनके पास 17 सांसद हैं। ऐसे में देश में सरकार बनाने के लिए 61 सीटों की जरूरत है। देश के प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट की पार्टी के पास सिर्फ 7 सीटें हैं। वहीं, मुस्लिमों की रा'म पार्टी के नेता मंसूर अब्बास ने भी सरकार बनाने में अपना समर्थन दिया हुआ है। नई सरकार बनाने के लिए जो समझौता हुआ था, उसके अनुसार सितंबर 2023 तक नेफ्ताली बेनेट प्रधानमंत्री रहेंगे और उसके बाद नवंबर 2025 तक लेपिड प्रधानमंत्री बनेंगे।
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