इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच मिस्र ने इस वादे पर करवाया संघर्षविराम
इसराइल और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच तीन दिनों से चल रहे टकराव के बाद अब संघर्षविराम लागू हो गया है.
इसराइल और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच तीन दिनों की हिंसा के बाद कल रात संघर्षविराम लागू हो गया है. इस हिंसा में 43 लोगों की मौत हो गई है.
हालाँकि, संघर्षविराम से चंद मिनट पहले और चंद मिनट बाद दोनों पक्षों की ओर से छिटपुट हथियार दागे गए, मगर इसके बावजूद संघर्षविराम नहीं टूटा.
फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) के चरमपंथियों ने कहा है कि संघर्षविराम की शुरुआत स्थानीय समयानुसार रात 11:30 बजे हुई. इसराइल के प्रधानमंत्री येर लेपिड के कार्यालय ने संघर्षविराम की पुष्टि की है.
दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम के लिए बातचीत मिस्र ने कराई है.
फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट इस्लामिक जिहाद ने उनके गुट और इसराइल के बीच मिस्र की मदद से संघर्षविराम समझौता करवाने का स्वागत किया है.
ईरान की राजधानी तेहरान में मौजूद इस्लामिक जिहाद के नेता ज़ियाद अल-नख़ला ने कहा कि इस संघर्षविराम का केंद्र इसराइल का ये संकल्प है कि वो उनके गुट के दो कार्यकर्ताओं को रिहा कर देगा.
समझौते में लिखा गया है कि मिस्र दोनों लोगों को रिहा करनवाने के लिए कोशिश करेगा.
इससे पहले अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने संघर्षविराम समझौते का स्वागता किया और दोनों पक्षों से इसका पालन करने की अपील की.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उनकी सरकार हिंसा में आम नागरिकों के मारे जाने की ख़बरों की गहनता से जाँच का समर्थन करेगी.
फ़लस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि शुक्रवार से शुरू हुई झड़प के बाद से 40 से ज़्यादा आम नागरिक मारे गए हैं. इनके अलावा इस्लामिक जिहाद के भी कई चरमपंथी मारे गए जिनमें उनके दो वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं.
इसराइल और गज़ा के बीच मई 2021 में 11 दिनों तक चली लड़ाई के बाद ये अब तक का सबसे गंभीर संघर्ष है. मई में हुई लड़ाई में 200 फ़लस्तीनियों और इसराइल के दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी.
कैसे हुआ संघर्षविराम
फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार शाम को बताया था कि इसराइल के हमलों में 43 लोगों की मौत हो गई है जिसमें 15 बच्चे भी शामिल हैं.
गज़ा के स्वास्थ्य मंत्री ने फ़लस्तीनियों की मौत और 300 से ज़्यादा लोगों के घायल होने के लिए ''इसराइली आक्रामकता'' को ज़िम्मेदार बताया था.
इससे पहले रविवार को पिछले साल मई के बाद पहली बार गज़ा से दागे गए रॉकेट यरुशलम पहुंचे. इस पूरे दिन मिस्र ने दोनों के बीच समझौता कराने की कोशिश की.
इसराइली हमले के कारण गज़ा पट्टी में पैदा हुए मानवीय संकट के चलते संघर्षविराम किया गया है. गज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया था कि यहां के अस्पताल में जनरेटर चलाने के लिए सिर्फ़ दो दिनों का ईंधन बचा है.
इस्लामिक जिहादी प्रवक्ता तारेक़ सलेमी ने कहा, ''हम मिस्र के प्रयासों की सराहना करते हैं कि उसने हमारे लोगों के ख़िलाफ़ इसराइली आक्रामकता को रोक दिया.''
इसराइल ने कहा कि अगर संघर्षविराम का उल्लंघन होता है तो वो ''मजबूत प्रतिक्रिया का अधिकार बनाए रखता है.''
वहीं, गज़ा के दक्षिणी इलाक़े में हुए हमलों में मारे गए लोगों के जनाजे में रविवार को बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए. मरने वालों में पीआईजे के कमांडर और दूसरे नंबर के नेता खालिद मंसूर भी थे.
वेस्ट बैंक में भी गज़ा के समर्थन में प्रदर्शन किया गया.
इसराइल ने पीआईजे चरमपंथियों पर आरोप लगाया है कि उनके हमलों में खुद गज़ा के लोग मारे गए हैं. इसराइल ने शनिवार को दावा किया था गज़ा से दागे गए कुछ रॉकेट वहीं गिर गए जिसमें जबालिया में कई बच्चों की मौत हो गई. बीबीसी इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.
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कब शुरु हुआ टकराव
इसराइल सेना ने कहा था कि इस्लामिक जिहाद के ख़तरे को देखते हुए उसने गज़ा पट्टी पर ये ऑपरेशन शुरू किया था. कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक से पीआईजे के एक वरिष्ठ सदस्य की गिरफ़्तारी के बाद से दोनों में तनाव चल रहा था.
इसराइली अरब और फ़लस्तीनियों के लगातार हमलों के बाद इसराइल ने गिरफ़्तारी अभियान चलाया था. पिछली सोमवार रात बासेम सादी को इस अभियान के तहत जेनिन इलाक़े से गरिफ़्तार किया गया. बासेम को वेस्ट बैंक में पीआईजे का प्रमुख बताया जाता है.
इसराइलियों पर हुए हमलों में इसराइल के 17 और यूक्रेन के दो लोगों की मौत हो गई थी. दो हमलावर ज़ेनिन इलाक़े से आए थे.
कौन है फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद
पीआईजे गज़ा में सक्रिय सबसे मजबूत चरमपंथी समूहों में से एक है. उसे ईरान का समर्थन हासिल है और उसका मुख्यालय सीरिया की राजधानी दमिश्क में है.
इस हथियारबंद समूह पर कई हमले करने का आरोप है जिसमें इसराइल के ख़िलाफ़ रॉकेट दागना और फायरिंग करना भी शामिल है.
नवंबर 2019 में इसराइल और पीआईजे के बीच पांच दिनों तक तनाव हुआ था क्योंकि तब इसराइल ने पीआईजे के कमांडर की हत्या कर दी थी.
इसराइल का कहना था कि पीआईजे कमांडर उन पर हमले की योजना बना रहा था. इस हिंसा में 34 फ़लस्तीनियों की मौत हो गई थी और 111 घायल हो गए थे जबकि 60 इसराइलियों को इलाज की ज़रूरत पड़ी थी.
इसराइल का कहना था कि मारे गए 25 फलस्तीनी चरमपंथी थे जिसमें से कुछ रॉकेट लॉन्च करने की तैयार कर रहे थे.
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इस्लामिक देशों की प्रतिक्रिया
इसराइल की गज़ा में कार्रवाई की इस्लामी देशों ने कड़ी निंदा करते हुए इसराइल को इसके नतीज़े भुगतने की धमकी दी है.
सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, क़तर जैसे इस्लामिक देशों ने इसराइल की कार्रवाई पर फ़लीस्तीनियों के प्रति अपना गहरा समर्थन भी जताया था.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने ट्विटर पर जारी बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ताज़ा संघर्ष को ख़त्म करने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का आह्वान करते हुए कहा था कि वे गज़ा के आम लोगों को सुरक्षा मुहैया कराएं. मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच दशकों से जारी इस विवाद को ख़त्म करने की भी अपील की है.
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम राईसी ने कहा था कि इसराइल ने एक बार फिर दुनिया को अपना प्रभाव जमाने वाला और आक्रामक स्वभाव दुनिया को दिखाया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने ट्वीट में लिखा था कि यह इसराइली चरमपंथ की ताज़ा कार्रवाई है.
उधर मिस्र ने कहा था कि वह दोनों देशों के साथ मिलकर दिन रात काम कर रहा है ताकि हालात और न बिगड़े और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल हो.
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