कतर विश्वकप में ईरानी फुटबॉल खिलाड़ियों ने अपने ही सरकार से ले लिया पंगा, नहीं गाया राष्ट्रगान, जानें क्यों?
ईरान के खिलाड़ियों ने अपने देश में हिजाब के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए नेशनल एंथम गाने से इंकार कर दिया। ईरान टीम के खिलाड़ियों ने मैच से पहले राष्ट्रीय गान के समय मौन साधे रखा।
कतर में इस बार फीफा विश्वकप का आयोजन हो रहा है। पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी मध्यपूर्व देश में इस प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। इस विश्व कप के दूसरे मैच में सोमवार को इंग्लैंड और ईरान की टीमें आमने-सामने हुई। इस दौरान ईरान के खिलाड़ियों ने अपने देश में हिजाब के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए नेशनल एंथम गाने से इंकार कर दिया। ईरान टीम के खिलाड़ियों ने मैच से पहले राष्ट्रीय गान के समय मौन साधे रखा। टीम के खिलाड़ियों ने राष्ट्रगान नहीं गाया।
Image- Fifa World Cup Twitte
राष्ट्रगान के समय चुप थे सभी-11 खिलाड़ी
किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच की शुरुआत से पहले दोनों देशों की टीमें एक साथ मैदान पर लाइन अप करती हैं और फिर एक-एक कर दोनों टीमों के राष्ट्रीय गान बजाए जाते हैं। लेकिन खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम में जब ईरान के राष्ट्रगान को बजाया गया तो सभी 11 खिलाड़ी चुप थे। इस दौरान स्टैंड्स में ईरान के फैंस भी थे और उन्होंने अपनी टीम के खिलाड़ियों की इस हरकत पर नाराजगी जाहिर की। इससे पहले ईरान फुटबॉल टीम के कप्तान अलीरेजा जहानबख्श ने कहा था कि सभी खिलाड़ी तय करेंगे कि वह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के समर्थन में राष्ट्रगान गाने से मना करेंगे या नहीं।
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ईरान की स्टेट टीवी ने नहीं किया मैच का प्रसारण
वहीं, ईरान के स्टेट टीवी ने इस मैच के लाइव प्रसारण के दौरान खिलाड़ियों की लाइन-अप की फुटेज को सेंसर कर दिया था। फुटबॉल में ईरान का प्रदर्शन अच्छा रहा है। यह टीम एशिया की सबसे अच्छी टीमों में गिनी जाती है। ऐसे में विश्व कप से पहले सभी की निगाहें इस बात पर थी कि क्या टीम के खिलाड़ी फुटबॉल के इस बड़े टूर्नामेंट का उपयोग आंदोलनकारियों के साथ अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए करेंगे या नहीं? हालांकि कप्तान एहसान हाजसाफी ने साफ कर दिया था कि वह आंदोलन कर रहे लोगों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा था, "हम उनके साथ हैं। हम उनका समर्थन करते हैं और हमारी उनके साथ सहानुभूति है।"
एल्नाज रेकाबी ने भी जताया था विरोध
फुटबॉल खिलाड़ियों द्वारा विरोध प्रदर्शन के समर्थन को फीफा विश्व कप में और विवाद को जन्म दे दिया है। यह पहली बार नहीं है जब खिलाड़ियों का यूं हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं को समर्थन मिला है। इससे पहले 33 वर्षीय एल्नाज रेकाबी 10 से 16 अक्टूबर तक साउथ कोरिया में हुई एशियन रॉक क्लाइम्बिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने गईं थीं। इस दौरान एल्नाज ने रॉक क्लाइम्बिंग करते समय ईरान के सख्त नियमों की अवहेलना करते हुए हिजाब नहीं पहना था। इसके बाद से उनके लापता होने की बातें चलने लगीं।
एल्नाज रेकाबी का लोगों ने किया भव्य स्वागत
हालांकि एल्नाज रेकाबी ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए एक वीडियो में बताया कि उनका हिजाब 'गलती' से गिर गया था। इसके बाद जब वह एयरपोर्ट पर पहुंची तो मीडिया को इंटरव्यू देते वक्त भी एल्नाज ने यही बात दोहराई। रेकाबी ने कहा कि इसके पीछे कोई मोटिव या एजेंडा नहीं था। हालांकि एलनाज जब अपने देश पहुंची तो हजारों की संख्या में लोगों ने एयरपोर्ट पर पहुंचकर एल्नाज का स्वागत किया और उनके कदम के लिए तालियां बजाईं। लोगों का कहना है कि एल्नाज ने दबाव में आकर माफी मांगी है।
महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन
ईरान में प्रदर्शन की शुरुआत 16 सितंबर को पुलिस कस्टडी में 22 साल की महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुई थी। 13 सितंबर को महसा अपने परिवार से मिलने तेहरान आई थी। उसने हिजाब नहीं पहना था। पुलिस ने तुरंत महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद उसकी मौत हो गई। अमिनी की मौत का कारण सिर पर चोट लगने से बताया जा रहा था, लेकिन उनके परिजनों का दावा था कि उन्हें पहले से कोई बिमारी नहीं थी।
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