युद्धविराम में भी नहीं निकल पाए भारतीय छात्र, सरकार के लिए सिरदर्द बना ‘सूमी’, जानिए क्यों है टेंशन
युद्धविराम जरूर किया गया था, लेकिन इस दौरान भी गोलीबारी की जा रही थी, लिहाजा छात्रों के लिए सुरक्षित तरीके से बाहर निकलना काफी मुश्किल था।
कीव/मॉस्को, मार्च 06: रूस और यूक्रेन ने शनिवार को युद्धविराम की घोषणा की थी, ताकि, युद्ध वाले क्षेत्रों में जो नागरिक फंसे हुए हैं, वो उन क्षेत्रों से बाहर निकल पाएं। नागरिकों के बाहर निकलने के लिए मारियुपोल और वोल्नोवाखा शहरों में मानवीय गलियारे का निर्माण किया गया था, लेकिन पूर्वी यूक्रेन में फंसे भारतीय इन निकास मार्गों का उपयोग करने में असमर्थ रहे। जिसको लेकर यूक्रेन और रूस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है। यूक्रेन ने कहा कि, रूसियों ने समझौते का उल्लंघन किया और चल रही गोलाबारी ने "नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए मानवीय गलियारों को खोलना असंभव" बना दिया था।
अभी भी फंसे हुए हैं भारतीय
रिपोर्ट के मुताबिक, युद्धविराम जरूर किया गया था, लेकिन इस दौरान भी गोलीबारी की जा रही थी, लिहाजा छात्रों के लिए सुरक्षित तरीके से बाहर निकलना काफी मुश्किल था। वहीं, कुछ भारतीय छात्र तो यूक्रेन की पश्चिमी सीमा की तरफ बढ़ने में जरूर कामयाब रहे, लेकिन रूस के साथ लगती पूर्वी सीमा की तरफ छात्र नहीं जा पाए। वहीं, नई दिल्ली में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन में स्थिति और निकासी प्रक्रिया की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, सूमी और पिसोचिन के अलावा यूक्रेन में अब कम ही भारतीय बचे हैं। उन्होंने कहा कि, "लगभग सभी भारतीय खारकीव छोड़ चुके हैं, जो पिछले कुछ दिनों से काफी चिंता का विषय था।"
कई क्षेत्रों से निकाले गये सभी भारतीय
यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने कहा, "पिसोचिन को सभी भारतीय नागरिकों को निकाल लिया गया है। भारतीय मिशन छात्रों की यात्रा के दौरान उनके संपर्क में बना रहेगा। उनकी सुरक्षा हमेशा से हमारी प्राथमिकता रही है।" इससे पहले, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, "पास के पिसोचिन में कुछ घंटों पहले तक 289 से कम छात्र थे, जिन्हें निकाला जाना था। हम आज तक उस काम को पूरा करने की उम्मीद कर रहे हैं। वहां से तीन बसें पहले ही छात्रों को लेकर रवाना हो चुकी हैं। पांच बसों में हम बाकी छात्रों को लेकर निकल जाएंगे। हमें कुछ ही घंटों में सभी को बाहर निकालने में सक्षम होना चाहिए।"
जारी है ‘ऑपरेशन गंगा’ की रफ्तार
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, पिछले 24 घंटों में 15 उड़ानों के जरिए 2,900 लोगों को भारत लाया जा चुका है। ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक 63 उड़ानों से लगभग 13,300 नागरिक भारत लौट चुके हैं। अगले 24 घंटों में, 13 उड़ानें निर्धारित की गई हैं, जिनमें से एक भारतीय वायुसेना का विमान भी है। भारत सरकार ने उत्तर-पूर्वी यूक्रेन के सूमी में छात्रों को फिलहाल रुकने के लिए कहा और क्षेत्र में संघर्ष विराम का आह्वान किया ताकि उन्हें निकाला जा सके। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, "हम सूमी में फंसे भारतीय छात्रों के बारे में बहुत चिंतित हैं। हमारे छात्रों के लिए एक सुरक्षित गलियारा बनाने के लिए तत्काल युद्धविराम के लिए हमने कई चैनलों के माध्यम से रूसी और यूक्रेनी सरकारों पर जोरदार दबाव डाला है। हमने छात्रों को सुरक्षा सावधानी बरतने, आश्रयों के अंदर रहने और अनावश्यक जोखिम से बचने की सलाह दी है। मंत्रालय और हमारे दूतावास छात्रों के नियमित संपर्क में हैं।'
सूमी से छात्रों को निकालना बड़ी चुनौती
यूक्रेन के सूमी क्षेत्र में स्थिति काफी खराब है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, "मुख्य ध्यान अब सूमी पर है, जो रूस के साथ उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित है। हम छात्रों को वहां से निकालने के लिए कई विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। लेकिन मुख्य चुनौती वहां जारी गोलाबारी, हिंसा और परिवहन विकल्पों की कमी बनी हुई है। मुझे लगता है कि परिवहन से भी अधिक, उन्हें बाहर निकालने के लिए सुरक्षित रास्ता होना चाहिए और उन्हें कोई खतरा नहीं होना चाहिए। हम संभावित स्ट्राइक के संबंध में सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में हैं।" भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, "हमारे लिए सबसे अच्छा विकल्प युद्धविराम होगा ... जो हमें अपने छात्रों को बाहर निकालने के लिए सुरक्षित रास्ता देगा और इस संबंध में हम रूसी और यूक्रेनी दोनों पक्षों पर इस तरह के स्थानीय युद्धविराम की अनुमति देने के लिए दृढ़ता से दबाव डाल रहे हैं। यह अभी तक नहीं हुआ है लेकिन हम इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।"