भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से समझिए मोदी सरकार की विदेश नीति की ABCD…
मोदी सरकार की विदेश नीति क्या है और भारत चीन संबंध किस मोड़ पर हैं, समझिए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर क्या कहते हैं।
नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मोदी सरकार की विदेश नीति क्या है, वैश्विक रैंकिंग में भारत का स्थान नीचे क्यों आया है, क्वाड और श्रीलंका को लेकर भारत का रूख क्या है, इन तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी है। टीवी चैनल इंडिया टूडे से बात करते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन लोगों को निशाने पर लिया है, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र की आलोचना की है। भारतीय विदेश मंत्री ने हर मुद्दे पर अपनी राय रखी है और मोदी सरकार की विदेश नीति से लेकर भारत-अमेरिका संबंध और भारत-चीन के बीच अब क्या हालात हैं, तमाम मुद्दों पर बात की है।
विदेश नीति के लिए बड़ी उपलब्धि क्या?
एंकर राहुल कंवल ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से पूछा कि विदेश मंत्री बनने के बाद पिछले दो सालों में भारतीय विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही है, इस सवाल के जबाव में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि यह सवाल बहुत पर्सनलाइज करने वाला है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि 'मुझे ये ठीक नहीं लगता है कि यह काम मैंने किया है तो ये मेरी उपलब्धि है, अगर मैं अपने बारे में कहना चाहूं तो मैं कह सकता हूं कि यह मेरी उपलब्धि है। भारतीय विदेश नीति को अगर आप बड़े और व्यापक पैमाने पर परखने की कोशिश करें तो पाएंगे कि हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन पर काम कर रहे हैं। विदेश नीति किसी एक आदमी का नहीं बल्कि ये एक टीमवर्क होता है'। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि राजनीति को मैंने हमेशा बेहद करीब से देखा है और अभी भी मैं राजनीति को करीब से समझने की कोशिश कर रहा हूं।
चीन को लेकर भारत की नीति
एंकर राहुल कंवल ने विदेश मंत्री से पूछा कि क्या आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती चीन को हैंडल करना रहा? चीन के साथ कई महीनों तक तनाव का माहौल बना रहा और दोनों देशों की सेना आमने-सामने रही। ऐसा लग रहा था कि दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनती जा रही है? आप इन सबको कैसे हैंडल कर रह थे? इस सवाल के जबाव में भारतीय विदेश मंत्री ने हंसते हुए कहा कि 'क्या आपको मेरे चेहरे पर तनाव दिख रहा है? वो काफी मुश्किल था। चीन के साथ अभी भी मामलों को सुलझाना बाकी है और अभी भी बातचीत चल रही है। अगर कोई देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने की कोशिश करता है और अगर आप सरकार का हिस्सा हैं तो आपको उसका सामना करना पड़ता है। हम देखने की कोशिश करते हैं कि इसके जबाव में हम क्या कर सकते हैं'।
इन्फ्रास्टक्चर का विकास
एलएसी को लेकर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले पांच सालों में भारत सरकार ने सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास किया है। 2020 में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प हो या चीनी सैनिकों को रोकने की क्षमता, पिछले पांच सालों में किए गये काम की बदौलत ही ये संभव हो पाया है। हमने हर परिस्थिति को आत्मविश्वास के साथ हैंडिल करने की कोशिश की और सरकार के नेतृत्व से मुझे पूरा समर्थन मिला। विदेश मंत्री ने कहा कि जैसे जैसे देश का विकास होता है, देश के सामने नई नई चुनौतियां आती हैं। चावे वो चुनौती पड़ोसी देश से मिले या भी कहीं और से। मुश्किलें आगे भी आएंगी'। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ रिश्ते तभी सामान्य हो सकते हैं जब सीमा रेखा पर तनाव खत्म हो जाए। उन्होंने कहा कि अगर चीन की तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाया जाएगा तो हम भी दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे और अगर चीन बंदूक आगे करेगा तो हम भी उसी तरह से जबाव देंगे।
क्वाड पर विदेश मंत्री का बयान
शुक्रवार को क्वाड देशों की मीटिंग हुई है। जिसमें भारत के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने हिस्सा लिया है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने क्वाड की पहली बैठक को चीन से जोड़े जाने की बात को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि क्वाड समूह किसी भी देश के खिलाफ नहीं है और क्वाड समूह का दृष्टिकोण निगेटिव नहीं बल्कि पॉजिटिव है। उन्होंने कहा कि क्वाड समूह को जब कोरोना वैक्सीन बनाने की जरूरत महसूस हुई तो हमने एक दूसरे के साथ मिलकर वैक्सीन बनाने और उसके डिस्ट्रीब्यूशन की बात की है। इंडो पैसिफिक क्षेत्र हो या तकनीकों का आदान प्रदान, हम कई मुद्दों पर एक साथ काम कर रहे हैं। क्वाड के सभी देश लोकतांत्रिक, बहुसांस्कृतिक और एक जैसी सोच वाली है। लिहाजा हमारा समन्वय काफी अच्छा है।
वैश्विक रैंकिंग में भारत की छवि बिगड़ी?
इंडिया टूडे कॉन्क्लेव में विदेश मंत्री से एंकर राहुल कंवल ने पूछा कि क्या वैश्विक रैंकिंग में आई गिरावट भारत की छवि के लिए एक चुनौती है? इस सवाल के जबाव में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि आप जिन रिपोर्ट की बात कर रहे हैं, ये लोकतंत्र और तानाशाही शासन की बात नहीं है बल्कि ये आरोप लगाने वालों का एक पाखंड है। ये वो लोग हैं जिनके हिसाब से जब चीजें नहीं होती हैं तो उनके पेट में दर्द होने लगता है। चंद लोगों ने खुद को दुनिया का रक्षक साबित कर दिया है और ये लोग अपने अपने हिसाब से रैंकिंग और मानदंड तय करते रहते हैं और ये लोकतांत्रित देशों को लेकर भी फिजूल के फैसले देते रहते हैं। भारतीय विदेश मंत्री ने इंडिया टूडे कॉन्क्लेव में कहा कि जब ये बीजेपी की बात करते हैं तो ये हिन्दू राष्ट्रवादी कहते हैं। हम राष्ट्रवादी हैं और 70 से ज्यादा देशों में भारत ने वैक्सीन पहुंचाने का काम किया है। जो खुद को अंतर्राष्ट्रीय पैरोकार मानते हैं, उन्होंने कितने देशों में वैक्सीन पहुंचाने का काम किया है? भारत ने खुलकर कहा है कि हम अपने लोगों के साथ साथ उन देशों का भी ख्याल रखेंगे जो जरूरतमंद हैं। हां, हमारी अपनी आस्थाएं और अपने मूल्य हैं लेकिन हम धार्मिक पुस्तक लेकर पद की शपथ नहीं लेते हैं। भारत को किसी भी देश का या ऐसे विचारवाले चंद लोगों से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
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