यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए भारत करेगा मध्यस्थता! जयशंकर से मिलेंगे रूसी डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री
भारत ने अब इराक और सऊदी अरब को पीछा छोड़ते हुए सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीदना शुरू कर दिया है और अक्टूबर महीने में रूस भारत का टॉप तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है।
S. Jaishankar Russia Visit: कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है, कि यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापना करने के लिए भारत मध्यस्थता कर सकता है और भारत के समझाने के बाद रूस यूक्रेन में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए तैयार हो सकता है। वहीं, विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है, कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर का रूस दौरा मध्यस्थता करने के लिए ही हो रहा है, जिसमें आज जयशंकर की मुलाकात रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से होगी।
भारत ने शुरू की मध्यस्थता?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज रूस की राजधानी मास्को में रूसी उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद भारतीय विदेश मंत्री का ये पहला रूस दौरा है और जयशंकर का ये दौरा उस वक्त हो रहा है, जब कई अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है, कि यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए भारत काफी अहम भूमिका निभाने वाला है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि, एस. जयशंकर का ये दौरा यूक्रेन युद्ध के बीच काफी अहम हो सकता है। वहीं, द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी उप-प्रधानमंत्री मंटुरोव, जो व्यापार और उद्योग मंत्री भी हैं, उनके साथ डॉ.जयशंकर की बैठक ऐसे वक्त में हो रही है, जब अमेरिकी प्रेशर के बाद भी रूस और भारत मजबूत व्यापारिक भागीदार बन गये हैं और भारत-रूस के बीच का द्विपक्षीय व्यापार कथित तौर पर तीन गुना हो गया है, और रूसी तेल का भारतीय आयात पिछले साल की तुलना में 20 गुना से ज्यादा हो गया है। इस बैठक के दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग में सुधार पर अहम बातचीत करेंगे।
रूसी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा को लेकर रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि, 'एस. जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष के बीच की बातचीत दोनों देशों के बीच ट्रेड और इन्वेस्टमेंट पर आधारित होगी, जिसमें ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, आपसी व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल, ऊर्जा क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स, खासकर आर्कटिक क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स को लेकर अहम बैठक की जाएगी।' रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि, इस बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच 'भारत-रूस इंटरगवर्नमेंटल कमीशन ऑन ट्रेड, इकोनॉमिक्स, साइंटिफिक, टेक्नोलॉजिकल एंड कल्चरल कॉपरेशन (IRIGC-TEC) पर भी बातचीत होगी।'
भारत-रूस में तेल व्यापार बढ़ा
अक्टूबर के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने अब इराक और सऊदी अरब को पीछा छोड़ते हुए सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीदना शुरू कर दिया है और अक्टूबर महीने में रूस भारत का टॉप तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। अक्टूबर महीने में रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब भारत अपने कुल तेल आयात का 22 प्रतिशत रूस से खरीद रहा है, वहीं इराक, जो सितंबर महीने तक भारत को सबसे ज्यादा तेल बेचता था, उससे भारत ने अपनी कुल जरूरत का 20.5 प्रतिशत तेल खरीदा है और भारत ने सऊदी अरब से 16 प्रतिशत तेल खरीदा है। इसके साथ ही भारतीय और रूसी केंद्रीय बैंक भी पिछले कुछ महीनों में रुपया-रूबल भुगतान तंत्र विकसित करने के बारे में बातचीत कर रहे हैं और इस तंत्र के विकसित होने के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का उल्लंघन किए बगैर दोनों देश व्यापार कर पाएंगे।
अपनी चिंताओं को सामने रखेगा भारत
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर रिजनल मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा यूक्रेन में चल रहे युद्ध और हिंसा को लेकर भारत की चिंताओं को सामने रखेंगे। इसके साथ ही उम्मीद है, कि भारत पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बीच भोजन और ईंधन की कमी की चिंता को भी रूस के सामने रख सकते हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा अटकलें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच मध्यस्थता में भारत की संभावित भूमिका के बारे में है। द न्यूयॉर्क टाइम्स और द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि बाइडेन प्रशासन का मानना है, कि भारत यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थता में काफी अहम भूमिका निभाने जा रहा है। वहीं, बाइडेन प्रशासन की तरफ से यूक्रेन को संकेतों में बातचीत के लिए तैयार होने को कहा गया है। अमेरिका का मानना है, कि भारत दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की दिशा में अहम कड़ी बन सकता है।
मध्यस्थता पर क्या बोला भारत?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मध्यस्थता को लेकर पूछे गये एक सवाल पर कहा कि, "यूक्रेन में संघर्ष पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। हमने हमेशा बातचीत और कूटनीति की दिशा में लौटने की जरूरत पर जोर दिया है। मुझे विश्वास है कि विदेश मंत्री निश्चित रूप से इसे दोहरा रहे होंगे। लेकिन इससे आगे, मैं यह नहीं कह सकता कि वे क्या चर्चा करेंगे या क्या नहीं।" इसके साथ ही हर साल की तरह इस साल भी भारत और रूस के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन होने वाला है, जिसमें हर साल भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति भाग लेते हैं। दोनों देशों के बीच होने वाला ये शिखर सम्मेलन पिछले कई सालों से चला आ रहा है और ये सम्मेलन एक साल भारत में और एक साल रूस में आयोजित होता है। पिछले साल रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत का दौरा किया था और इस साल बारी भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है। हालांकि, इस बार के शिखर सम्मेलन के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन, संभावना है कि, 15 और 16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद इसपर फैसला किया जाएगा। वर्तमान में इस बात की संभावना काफी कम है, कि पुतिन जी-20 में हिस्सा लेंगे या नहीं।
भारत का सबसे मजबूत ट्रेड पार्टनर बना रूस, मोदी सरकार की विदेश नीति को डिगा नहीं पाया अमेरिका