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'लोकतंत्र के बारे में हमें सिखाने की जरूरत नहीं', UN में किस बात पर बरस पड़ा भारत? जानिए

लोकतंत्र और मानवाधिकार को लेकर भारत पहले भी अमेरिका के दावे को खारिज करता रहा है और इसी साल मानवाधिकर उल्लंघन को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट को 'द्वेषपूर्ण' बता चुका है।

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India at UN: यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में दिसंबर महीने का अध्यक्ष बनने के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कांबोज ने जोर देकर कहा कि, नई दिल्ली को यह बताने की जरूरत नहीं है, कि लोकतंत्र पर क्या करना है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि, लोकतंत्र को लेकर हमें सिखाने की जरूरत नहीं है। आपको बता दें कि, भारत इस वक्त यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल के 15 सदस्यीय देशों में शामिल एक अस्थाई राष्ट्र है और इस महीने अध्यक्षता के साथ भारत का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। इससे पहले पिछले साल अगस्त महीने में भी भारत ने यूएनएससी की अध्यक्षता की थी, जब तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए जंग लड़ रहा था।

यूएन में भारत का सख्त बयान

यूएन में भारत का सख्त बयान

यूएनएसी का अध्यक्ष बनने के बाद भारत ने कहा है कि, उसकी प्राथमिकता आतंकवाद के खिलाख लड़ाई है और बहुपक्षवाद को हमें बढ़ावा देना होगा। आपको बता दें कि, यूएनएससी का दिसंबर महीने का अध्यक्ष बनने के बाद भारतीय राजदूत रूचिरा कंबोज ने पत्रकारों का संबोधित किया था। आपको बता दें कि, पश्चिमी देशों की तरफ से अकसर भारतीय लोकतंत्र को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं और पिछले कुछ महीनों से भारत ऐसी आवाजों के खिलाफ काफी आक्रामक रहा है। वहीं, भारत में मीडिया की स्वतंत्रता और भारतीय लोकतंत्र को लेकर पूछे गये एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए रूचिरा कंबोज ने कहा कि, 'मैं यही कहना चाहती हूं, कि लोकतंत्र पर क्या करना है, ये हमें सिखाने की जरूरत नहीं है।' आपको बता दें कि, यूएनएससी के स्थायी पांच सदस्य देशों में अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन शामिल हैं, जबकि भारत को शामिल करने की मांग लंबे अर्से से हो रही है।

एंबेसडर रूचिरा ने क्या कहा?

एंबेसडर रूचिरा ने क्या कहा?

भारतीय लोगतंत्र और प्रेस की आजादी को लेकर पूछे गये सवाल पर जवाब देते हुए रूचिरा कंबोज ने कहा कि, ""मैं यह कहना चाहूंगी, कि हमें यह बताने की आवश्यकता नहीं है, कि लोकतंत्र पर क्या करना है। भारत शायद दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है, जैसा कि आप सभी जानते हैं। भारत में लोकतंत्र की जड़ें 2500 साल पुरानी है और हम हमेशा से एक लोकतंत्र रहे हैं"। उन्होंने आगे कहा कि, "हालिया समय में भी देखें, तो हमारे पास लोकतंत्र के सभी स्तंभ, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चौथा स्तंभ मीडिया मजबूती के साथ अपना काम कर रहा है। हमारे पास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी हैं, इसीलिए हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक है।"

हर पांच साल में लोकतांत्रिक अभ्यास

हर पांच साल में लोकतांत्रिक अभ्यास

यूएन में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रूचिरा ने कहा कि, 'हम हर पांच साल में दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रित प्रक्रिया (चुनाव) आयोजित करवाते हैं और हमारे देश में हर किसी को अपनी बात रखने की पूरी इजाजत होती है और हमारा देश इसी तरह से चलता है।' उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा कि, 'हम तेजी से अपना सुधार भी करते हैं और बदलाव भी करते हैं और हमारा ट्रेजेक्टरी काफी प्रभावशाली रहा है।' आपको बता दें कि, इसी साल अमेरिका की एक मानवाधिकार रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाया गया था, जिसे भारत ने खारिज कर दिया था और कहा था, कि अमेरिका में नस्लीय हिंसा होते हैं और उन्हें उस तरह ध्यान देना चाहिए।

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English summary
India's Permanent Representative to the UN Ruchira Kamboj has said that 'we do not need to be taught about democracy'.
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