रूस से कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन का खून खरीद रहा है भारत, तेल की हर बूंद में हमारा रक्तः यूक्रेन
विदेश मंत्री कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन भारत का एक विश्वसनीय भागीदार रहा है, लेकिन रूस से कच्चा तेल खरीदकर, भारत असल में यूक्रेनी खून खरीद रहा है।
कीव, 17 अगस्तः रूस से तेल खरीदने को लेकर यूक्रेन ने भारत पर जमकर भड़ास निकाली है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन को भारत से "अधिक व्यावहारिक समर्थन" की उम्मीद है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्री कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन भारत का एक विश्वसनीय भागीदार रहा है, लेकिन रूस से कच्चा तेल खरीदकर, भारत असल में यूक्रेनी खून खरीद रहा है। यूक्रेन की ये कठोर टिप्पणी ऐसे वक्त पर हुई जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैंकॉक में रूस से तेल एवं गैस खरीदने को लेकर देश का बचाव किया है।
तेल के हर बैरल में है यूक्रेन का लहू
यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा, "जब भारत छूट पर रूस से कच्चा तेल खरीदता है, तो उसे यह समझना होगा कि इस डिस्काउंट की भरपाई कहीं और से नहीं बल्कि यूक्रेन के खून से होगी। भारत को मिलने वाले रूसी कच्चे तेल के हर बैरल में यूक्रेन का लहू मिला है। हम भारत के लिए मित्रवत रहे हैं। मैंने देश में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में समर्थन किया था। हमें भारत से यूक्रेन के लिए अधिक व्यावहारिक समर्थन की उम्मीद थी।" विदेश मंत्री कुलेबा ने द हिंदू से बात करते हुए भारत और यूक्रेन को दो ऐसे लोकतंत्रों के रूप में संदर्भित किया जिनमें आवश्यक समानताएं हैं और "दो लोकतंत्रों को एक-दूसरे के साथ खड़ा होना है"।
रूस बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता
गौतलतब है कि 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन भारत ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखा। भारत ने यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात बढ़ाया है और उसके साथ व्यापार भी जारी रखा है। भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जून में कहा था कि रूस से भारत द्वारा कच्चे तेल के आयात में अप्रैल से 50 गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है। मई में सऊदी अरब को पीछे छोड़कर रूस भारत को कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया था।
विदेश मंत्री ने किया भारत का बचाव
इससे पहले बैंकॉक में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया भर में ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि पर चर्चा की और कहा कि हम अपने हितों के बारे में बहुत खुले और ईमानदार हैं। मेरे पास एक देश है जिसकी प्रति व्यक्ति आय 2000 अमेरिकी डॉलर है। ये ऐसे लोग नहीं हैं जो उच्च ऊर्जा कीमतों को वहन कर सकते हैं। यह मेरा नैतिक कर्तव्य है कि मैं सबसे अच्छा सौदा सुनिश्चित करूं। एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका सहित बाकि देश भारत की इस स्थिति से अच्छे से वाकिफ हैं और वह इस मामले पर गतिरोध को तवज्जो न देते हुए भारत का साथ देंगे।
नागरिकों के हित में काम कर रहा भारत
विदेश मंत्री ने कहा कि फिलहाल दुनिया भर में कच्चे तेल और गैस की कीमतें बिना किसी ठोस वजह के काफी ऊपरी स्तरों पर हैं। वे यूरोपियन देश जो पहले रूस से तेल गैस खरीदते थे अब वो ऐसे देशों से खरीद कर रहे हैं जो भारत के पारंपरिक सप्लायर थे। यानि हर देश अपने नागरिकों के हितों को देख रहा है। जयशंकर ने कहा कि आने वाले समय में पश्चिमी देश इसे समझेंगे और भारत के कदम का भले ही स्वागत न करें लेकिन वो मानेंगे कि भारत ने अपने नागरिकों के लिए सही कदम उठाया है।
रूस से मिलता है भारत को सस्ता तेल
बतादें कि रूस, भारत का कभी भी प्रमुख तेल सप्लायर नहीं रहा है। रूस यूक्रेन संकट के साथ तेल कीमतों में उछाल के बाद से भारत, रूस से तेल की खरीद कई गुना बढ़ा चुका है। दरअसल रूस भारत को बेहद कम दाम पर और बेहद आसान शर्तों पर तेल की सप्लाई कर रहा है। ये कीमतें बाजार भाव के मुकाबले 15 से 30 डॉलर प्रति बैरल कम ऑफर की जा रही हैं। इसी वजह से भारत ने तेल का आयात बढ़ाया है। हालांकि अमेरिका और यूरोपीय देश भारत पर लगातार दबाव बना रहे हैं कि वो रूस से तेल की खरीद बंद करे, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि फिलहाल उसके लिए सस्ती दरों पर तेल खरीदना प्राथमिकता है।
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