UN के शांति मिशन पर पिछले 70 वर्षों में सबसे ज्यादा भारतीय सैनिकों ने गंवाई अपनी जान
पिछले 70 वर्षों में यूनाइटेड नेशंस (यूएन) पीसकीपिंग मिशन में ड्यूटी पर शहीद होने वाले सैनिकों में भारतीय सैनिकों की संख्या सबसे ज्यादा है। यूएन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक साल 1948 से अब तक 3,733 पीसकीपर्स यानी शांति सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं।
यूनाइटेड नेशंस। पिछले 70 वर्षों में यूनाइटेड नेशंस (यूएन) पीसकीपिंग मिशन में ड्यूटी पर शहीद होने वाले सैनिकों में भारतीय सैनिकों की संख्या सबसे ज्यादा है। यूएन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक साल 1948 से अब तक 3,733 पीसकीपर्स यानी शांति सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन शहादत के आंकड़ों में भारत का नंबर सबसे ऊपर है। भारत, यूएन पीसकीपिंग मिशन के लिए सबसे ज्यादा मिलिट्री और पुलिस जवान भेजने वाला देश है। भारत के 6,695 पीसकीपर्स इस समय अबेई, साइप्रस, कांगो, हैती, लेबनान, मिडिल ईस्ट, साउथ सूडान और वेस्टर्न सहारा में तैनात हैं।
163 भारतीय सैनिक शहीद
पिछले 70 वर्षों में भारत के 163 मिलिट्री, पुलिस और असैन्य जवानों ने ड्यूटी करते समय अपनी जान गंवा चुके हैं। 30 अप्रैल 2018 तक भारत को 92 बिलियन डॉलर की रकम यूएन की तरफ से ट्रूप्स, पुलिस यूनिट के गठन और उपकरणों के लिए मिलनी है। बुधवार को यूएन का इंटरनेशनल डे ऑफ यूनाइटेड नेशंस पीसकीपर्स डे था। इस मौके पर दुनिया भर में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई और उनके बलिदान को याद किया गया। यूएन के नीले झंडे के नीचे वर्तमान समय में 124 ट्रूप्स के 96,000 जवान और पुलिस कर्मी अलग-अगल देशों में तैनात हैं। इसके अलावा 15,000 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय असैन्य स्टाफ और करीब 1600 वॉलेंटियर्स भी तैनात किए गए हैं।
सैनिकों को किया जाएगा सम्मानित
इस वर्ष यून पीसकीपिंग संस्थान की 70वीं वर्षगांठ है। यूएन महासचिव एंटोनिया गुटारेश ने इसे वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धता के लिए एक बेहतर निवेश करार दिया है। बुधवार को वह माली में थे और यहां पर डन्होंने कहा कि वह एक मिलियन से भी ज्यादा उन तमाम पुरुषों और महिलाओं का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने यूएन फ्लैग के नीचे काम किया गया और अनगित जिंदगियों की रक्षा की है। उन्होंने बताया कि 3,700 पीसकीपर्स को जिन्होंने शांति के लिए एक बड़ी कीमत चुकाई है, सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा 24 घंटे मुस्तैद रहने वाले 14 पीसकीपिंग मिशन को भी उन्होंने सराहा।
माली सबसे खतरनाक देश
नॉर्थ-वेस्ट अफ्रीकी देश माली सबसे खतरनाक देश है और पिछले वर्ष यहां पर 21 ट्रूप्स ने यूएन के लिए सर्व करते समय अपनी जान गंवाई है। इसमें सात नागरिकों की भी मौत हुई। एक जून को गुटारेशे जान गंवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे और साथ ही साल 2017 में ड्यूटी पर जान गंवाने वाले 37 देशों के 132 मिलिट्री, पुलिस और असैन्स कर्मियों को हम्मारस्कजोल्ड मेडल भी प्रदान करेंगे। साल 2017 में भारत का कोई भी सैनिक यूएन मिशन पर शहीद नहीं हुआ था। साल 2016 में दो इंडियन पीसकीपर्स-राइफलमैन ब्रजेश थापा जो कांगों में पोस्टेड थे और असैन्य कर्मी रवि कुमार जो लेबनान में थे, का निधन ड्यूटी पर हुआ था। इन दोनों को ही इस मेडल से नवाज गया था।
कब हुई यूएन पीसकीपिंग मिशन की शुरुआत
साल 2002 में यूएन की जनरल एसेंबली ने इंटरनेशनल डे ऑफ यूनाइटेड नेशंस पीसकीपर्स की शुरुआत की थी। इसका मकसद उन तमाम महिलाओं और पुरुषों को सम्मानित करना था जिन्होंने शांति की रक्षा में अपने प्राण त्याग दिए थे। जनरल एसेंबली ने 29 मई को इस दिन के लिए चुना क्योंकि साल 1948 में इसी दिन यूएन के पहले पीसकीपिंग मिशन ने अपना संचालन मिडिल ईस्ट में शुरू किया था।