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अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो मारे जा सकते हैं ढाई लाख लोग

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नई दिल्ली। क्या अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है ? अगर अमेरिका ने ईरान पर B-61-12 एटम बम गिराया तो एक अनुमान के मुताबिक करीब ढाई लाख लोग मारे जा सकते हैं। अमेरिका ने ईरान को धमकी ही है कि उसने अरबों-खरबों डालर आधुनिक हथियारों पर यूं ही नहीं खर्च किये हैं। अगर ईरान ने उसके एक भी नागरिक को नुकसान पहुंचाया तो वह नये हथियारों का बेधड़क इस्तेमाल करेगा। ईरान को ऐसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता। दूसरी तरफ ईरान ने अमेरिका के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। उसने भी अपने परमाणु विकल्प की तैयारी तेज कर दी है।

कौन किसके साथ ?

कौन किसके साथ ?

मध्यपूर्व में बढ़ते तनाव के बीच इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कासिम सुलेमानी की हत्या को सेल्फ डिफेंस में लिया गया अमेरिकी एक्शन बताया है। इंग्लैंड ने मध्य पूर्व में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हार्मुज जलडमरुमध्य में दो युद्धपोत भेजने की बात कही है। इस बीच चीन ने अमेरिका को सैनिक ताकत के दुरुपयोग नहीं करने की सलाह दी है। इस मामले में चीन ने रूस से बात की है और अमेरिकी के शक्ति प्रदर्शन को अनुचित करार दिया है। सऊदी अरब ने अमेरिकी कार्रवाई का विरोध किया है। इराक की संसद ने अमेरिकी सैनिकों को वहां से निकालने का प्रस्ताव पास किया है। दूसरी तरफ अमेरिका ने इस संबंध में पाकिस्तान और भारत से बात की है। तो क्या ईरान-अमेरिका विवाद के बीच दुनिया फिर दो खेमों में बंटने वाली है ? क्या तीसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है ?

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क्या तीसरा विश्व युद्ध मुमकिन है ?

क्या तीसरा विश्व युद्ध मुमकिन है ?

दूसरे विश्वयुद्ध ( 1939-1945) और अब के समय में बहुत फर्क आ गया है। उस समय केवल अमेरिका ही ऐसा देश था जिसके पास परमाणु ताकत थी। अब नौ से अधिक देशों के पास एटम बम है। माना जाता है कि ईरान ने भी चोरी छिपे एटम बम बना लिया है। अब एटम बम से भी घातक हथियार विकसित हो चुके हैं। अगर तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो परमाणु युद्ध भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो मानव सभ्यता का विनाश तय है। इसकी विभिषिका से शायद ही कोई देश बचेगा। दूसरे विश्वयुद्ध के समय चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहयोगी थे। रूस (सोविय संघ) भी अमेरिका के साथ था। अभी जो स्थिति है उसके मुताबिक रूस और चीन अमेरिका के खिलाफ बोल रहे हैं। ऐसे में तब और अब में बहुत अंतर आ गया है। बैलैंस ऑफ पावर की वजह से शायद ही कोई देश परमाणु युद्ध शुरू करने की हिम्मत दिखाये। लेकिन जिद्दी और जुनूनी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुछ भी कर सकते हैं। ट्रंप पर महाभियोग की तलवार लटकी हुई है। फिर भी उन्हें किसी बात का डर नहीं। वे धड़ाधड़ कठोर फैसले ले रहे हैं। कासिम सुलेमानी को मारने के पहले भी ट्रंप ने चौंकाया था। अक्टूबर 2019 में आइएस सरगना अबु बकर बगदादी को जिस तरह अमेरिका ने मारा गया उससे ट्रंप के जोखिम लेने के स्वभाव को समझा जा सकता है।

परमाणु हथियारों में कौन आगे ?

परमाणु हथियारों में कौन आगे ?

परमाणु हथियारों के मामले में सबसे आगे रूस है। रूस के पास 6500 तो अमेरिका के पास 6185 परमाणु हथियार हैं। जब कि चीन के पास केवल 290 परमाणु हथियार हैं। अगर रूस और चीन मिल गये तो उनका पलड़ा भारी हो जाएगा। लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि क्या युद्ध की स्थिति में रूस, चीन का साथ देगा ? मध्यपूर्व में अमेरिका के बाद रूस की सबसे मजबूत स्थिति है। वह चीन को कभी यहां पांव नहीं जमाने देगा। अमेरिका ने जब बगदादी को मारने का कवर्ड ऑपरेशन लॉन्च किया था तब रूस ने अमेरिका का साथ दिया था।

....तो मारे जा सकते हैं ढाई लाख लोग

....तो मारे जा सकते हैं ढाई लाख लोग

सैनिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि B-61-12 अमेरिका का सबसे अचूक परमाणु हथियार है। अगर यह एटम बम 50 किलोटन का हुआ और अमेरिका ने ईरान की राजधानी तेहरान पर इसका इस्तेमाल किया तो इसका प्रभाव करीब 50 किलोमीटर के दायरे में होगा। इस बम को विकसित करने पर पहले से काम चल रहा था लेकिन ट्रंप ने 2017 में इसके मूर्त रूप देने पर पूरा जोर लगाया। विस्फोट के 24 घंटे के अंदर करीब 2 लाख 43 हजार लोग मारे जा सकते हैं। इसके रेडिएशन से करीब 5 लाख 88 हजार लोग अपंग या घायल हो सकते हैं। ईरान की मृत्यु दर में 50 से 60 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है। अमेरिका ने 1945 में जापान के हिरोशिमा पर जो एटम बम गिराया था उसका वजन 15 किलोटन था और उससे करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई थी।

इसे भी पढ़ें:- टॉप कमांडर की मौत से अमेरिका पर भड़के ईरान का बड़ा ऐलान- 'ट्रंप का सिर लाओ 560 करोड़ ले जाओ'

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English summary
If America attacks Iran, Two and a half million people can be killed
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