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कितना रसूख वाला है मारे गए पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी का ख़ानदान

ख़ाशोज्जी ख़ानदान के एक और शख़्स, और जमाल के कज़न, इमाद ख़ाशोज्जी फ़्रांस के एक बहुत बड़े व्यवसायी हैं. उन्होंने वहां लेंड डेवलपमेंट के कारोबार में काफ़ी नाम कमाया.

जमाल की एक और बुआ, सुहैर ख़ाशोज्जी जो अब अमरीका में रहती हैं. एक प्रसिद्ध उपन्यासकार भी हैं जिनका अंग्रेज़ी का एक उपन्यास 'मीरास' सन 1996 में प्रकाशित हुआ था. इन उपन्यास ने सऊदी समाज की शाही ज़िंदगी और शानो शौकत के पीछे की आज की दुनिया के हरम की ज़िंदगी को बेनक़ाब किया.

By BBC News हिन्दी
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अदनान ख़ाशोज्जी
Getty Images
अदनान ख़ाशोज्जी

सऊदी अरब के हथियारों के सौदागर अदनान ख़ाशोज्जी का नाम लोगों के लिए नया नहीं है. लेकिन ख़ाशोज्जी ख़ानदान अपनी इमारतों, ऊंची शिक्षा और कौशल की वजह से बीते कुछ दशकों में न सिर्फ़ सऊदी अरब में बल्कि पश्चिमी देशों में प्रसिद्ध रहा है.

बात दुनिया की अत्याधुनिक फ़िल्मों की हो या कारोबार की. साहित्य की हो या पत्रकारिता की या फिर राजनीति की ख़ाशोज्जी ख़ानदान के किसी न किसी शख़्स का ज़िक्र इसमें आ जाना कोई हैरानी की बात नहीं होगी.

लेडी डायना के साथ अपनी दोस्ती की वजह से मशहूर डोडी अलफ़याद और लंदन के महंगे और मशहूर शॉपिंग सेंटर हेरड्स के मालिक की मां भी ख़ाशोज्जी ख़ानदान से थीं.

डोडी अलफ़याद और लेडी डायना की तस्वीर
Getty Images
डोडी अलफ़याद और लेडी डायना की तस्वीर

जमाल ख़ाशोज्जी की बुआ और अदनान ख़ाशोज्जी की बहन समीरा ख़ाशोज्जी की शादी मिस्र के मशहूर व्यवसायी मीन मोहम्मद अलफ़याद से हुई थी, और वह लेडी डायना के दोस्त डोडी अलफ़याद की मां थीं.

इस तरह जमाल ख़ाशोज्जी डोडी अलफ़याद के क़रीबी रिश्तेदार भी बनते हैं. समीरा ख़ाशोज्जी एक प्रगतिशील लेखिका और एक पत्रिका की एडिटर भी थीं.

इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में कथित तौर पर मारे गए ख़ाशोज्जी सन 1958 में मदीना में पैदा हुए थे जबकि उनका ख़ानदान तुर्की मूल का है. दो पीढ़ियों पहले उनका परिवार नए मौक़े तलाश करने के लिए सऊदी अरब में आ गया था.

सऊदी अरब उस समय तक तेल की दौलत से फला फूला नहीं था.



डायना अपने बच्चों के साथ
Getty Images
डायना अपने बच्चों के साथ

ख़ाशोज्जी के दादा थे शाही चिकित्सक

जमाल ख़ाशोज्जी के दादा और अदनान ख़ाशोज्जी के पिता मोहम्मद ख़ाशोज्जी एक डॉक्टर थे और सऊदी अरब के पहले किंग अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद के शाही चिकित्सक थे.

जमाल ख़ाशोज्जी सऊदी अरब के अरबपति कारोबारी अदनान ख़ाशोज्जी के भतीजे हैं. अदनान की आर्थिक स्थिति 40 अरब डॉलर के क़रीब बताई जाती है.

मोहम्मद ख़ाशोज्जी ने सऊदी अरब को अपना देश तो बना लिया था लेकिन उनका आना जाना पूरे अरब में था. उनके बच्चे अरब दुनिया के विभिन्न शहरों में पैदा हुए. जैसे अदनान ख़ाशोज्जी मक्का में पैदा हुए तो अदनान की एक बहन सुहैर ख़ाशोज्जी क़ाहिरा में पैदा हुईं, एक और बहन लेबनान में पैदा हुईं.

जमाल ख़ाशोज्जी
PA
जमाल ख़ाशोज्जी

ख़ाशोज्जी ख़ानदान के तमाम लोग काफ़ी पढ़े लिखे थे. इस ख़ानदान के तक़रीबन हर शख़्स ने पश्चिम देशों के बड़े संस्थानों से ऊंची डिग्रियां हासिल की थीं. इस ख़ानदान ने ऊंची शिक्षा हासिल करने के लिए लड़कों और लड़कियों में कोई फ़र्क़ नहीं किया.

इस ख़ानदान की लड़कियां भी पश्चिमी देशों में शिक्षा हासिल करने गई थीं.

जमाल ख़ाशोज्जी की एक कज़न और अदनान ख़ाशोज्जी की बेटी नबीला इस वक़्त अमरीका में एक कामयाब महिला कारोबारी हैं जो अभिनेत्री भी रही हैं और कल्याणकारी कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं.

नबीला ने जेम्स बॉन्ड फ़िल्म की सीरीज़ 'नेवर से नेवर अगेन' में भी सहायक अभिनेत्री की भूमिका निभाई थी. नबीला बेरूत में पैदा हुई थीं.



नबीला
Getty Images
नबीला

बदलाव की कोशिश करता ख़ाशोज्जी ख़ानदान

ख़ाशोज्जी ख़ानदान के एक और शख़्स, और जमाल के कज़न, इमाद ख़ाशोज्जी फ़्रांस के एक बहुत बड़े व्यवसायी हैं. उन्होंने वहां लेंड डेवलपमेंट के कारोबार में काफ़ी नाम कमाया.

जमाल की एक और बुआ, सुहैर ख़ाशोज्जी जो अब अमरीका में रहती हैं. एक प्रसिद्ध उपन्यासकार भी हैं जिनका अंग्रेज़ी का एक उपन्यास 'मीरास' सन 1996 में प्रकाशित हुआ था. इन उपन्यास ने सऊदी समाज की शाही ज़िंदगी और शानो शौकत के पीछे की आज की दुनिया के हरम की ज़िंदगी को बेनक़ाब किया.

सुहैर ने इस उपन्यास के ज़रिए आज की सऊदी महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए जद्दोजहद को भी उजागर किया. शायद यही वजह है कि जमाल ख़ाशोज्जी के नज़रिए में महिलाओं के हक़ों के छाप बहुत ज़्यादा नज़र आती थी.



सुहैर ख़ाशोज्जी
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सुहैर ख़ाशोज्जी

ख़ाशोज्जी ख़ानदान ने व्यवसाय के मैदान में तो बहुत प्रसिद्धी हासिल की. साथ ही शिक्षा, मीडिया और बौद्धिकता के मैदान में भी अपना लोहा मनवा चुका है. इस लिहाज़ से ख़ाशोज्जी ख़ानदान सऊदी शाही राजनीति और क़बायली समुदाय में बदलाव के लिए एक मील का पत्थर रहा है.

विश्लेषकों के मुताबिक़, ख़ाशोज्जी ख़ानदान जैसे कई और विदेशी विश्वविद्यालयों से पढ़े-लिखे युवा सऊदी साम्राज्य में अपने प्रतिनिधित्व का हिस्सा मांग रहे हैं. ये सऊदी समाज का वह वर्ग है जो एक रूढ़िवादी, धार्मिक और क़बायली समुदाय को आधुनिक दुनिया के मूल्यों के बराबर लाना चाहता है.

मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसी वर्ग को संतुष्ट करने के लिए कई सुधार किए और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की शुरुआत की.

लेकिन जमाल ख़ाशोज्जी की रहस्यमय गुमशुदगी के बाद उन सुधारों को उसी रुढ़िवादी, धार्मिक और क़बायली समुदाय के साथ एक समझौता माना जा रहा है.


BBC Hindi
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English summary
How much of a rash is the reporter of the journalist Jamal Khashojji
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