मनोरंजन की बदलती दुनिया में कब तक टिक पाएगा टीवी ?
इस प्लेटफार्म की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ कहते हैं कि वो दिन दूर नहीं जब शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर ख़ान और ऋतिक रोशन जैसे बॉलीवुड स्टार भी इससे जल्द जुड़ जाएँ.
डीटीएच और केबल टीवी और ब्रॉडकास्टरज़ के लिए चिंता की बात ये होनी चाहिए कि विज्ञापन देने वाली कंपनियों का झुकाव भी डिजिटल प्लेटफार्म की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है. डिजिटल प्लेटफार्म की कमाई पर एक नज़र डालें.
अपने घर के किचन में कम कपड़ों में एक लड़की फ़ोन पर किसी से बात कर रही है. जैसे ही कैमरा, लाइट और एक्शन की आवाज़ गूंजती है वो पूरे ध्यान के साथ टेक देने में मसरूफ़ हो जाती है
ये दृश्य आने वाले एक नए वेब सीरिज़ से है जिसे मुंबई की विजुअल कंटेट बनाने वाली कंपनी "द वायरल फीवर" यानी टीवीएफ़ अपने यूट्यूब चैनल पर जल्द लांच करने जा रही है जिसे 38 लाख लोग सब्सक्राइब करते हैं.
इसके दर्शक भी युवा हैं और उनके लिए प्रोग्राम बनाने वाले भी उन्हीं की तरह कम उम्र के हैं. ये डिजिटल इंडिया है. ये भारत की नौजवान नस्ल की दुनिया है, जहाँ टीवी आउट और डिजिटल प्लेटफार्म इन हैं.
मुंबई के युवा ग्राफ़िक डिज़ाइनर विजय पिसल और उनकी पत्नी वैशाली पिसल एक कूल कपल हैं. उनके घर में डीटीएच कनेक्शन नहीं है. वो न्यूज़ और अपने पसंदीदा प्रोग्राम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने मोबाइल फ़ोन के स्क्रीन पर देखते हैं.
मोबाइल पर मनोरंजन
विजय कहते हैं, "हम अधिकतर यूट्यूब पर प्रोग्राम देखते हैं. उस पर काफ़ी सारी जानकारी होती है. बच्चों के मनोरंजन के प्रोग्राम भी होते हैं. हम अपने बच्चे को चुनिंदा प्रोग्राम मोबाइल पर ही दिखाते हैं. और अगर पूरे परिवार को कुछ देखना होता है तो कंप्यूटर स्क्रीन पर देख लेते हैं."
पिसल परिवार भारतीय मीडिया में आए एक ऐसे रुझान का हिस्सा हैं जो टीवी ब्रॉडकास्टर्स, केबल और सैटेलाइट (डीटीएच) ऑपरेटर्स के लिए ख़तरे की घंटी की तरह है. ये रुझान तेज़ी से एक क्रांति में बदलता जा रहा है.
पिछले एक साल में लाखों दर्शकों ने टीवी कनेक्शन बंद करके डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म को अपनाया है. मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक समय बिताने वाली युवा पीढ़ी इस डिजिटल क्रांति में सब से आगे है.
एक्साइटमेंट की चाहत
स्मॉल स्क्रीन पर आ रही इस क्रांति को हवा देने वाली कंटेंट कंपनियों में एआईबी और टीवीएफ़ काफ़ी आगे हैं. समीर सक्सेना टीवीएफ़ संस्थापकों में से एक हैं. सक्सेना का कहना है, "एक कहानी को कहने के लिए अलग-अलग माध्यम हैं, एक तो हो गया सिनेमा जो बड़ा पर्दा है, एक हमारा टीवी, अब ये एक माध्यम है जहाँ पर आप सारी चीज़ें अपने मोबाइल पर देख सकते हैं, अपने लैपटॉप पर देख सकते हैं. ये एक नया दौर है."
समीर सक्सेना अपने दफ़्तर के बड़े बॉस हैं लेकिन आव-भाव से ऐसा महसूस नहीं होता. वो काफ़ी इनफॉर्मल हैं. नए मिजाज़ के लोग, नए तरह का कंटेट. टीवीएफ़ का परमानेंट रूममेट्स सिलसिलेवार प्रोग्राम युवाओं में काफ़ी लोकप्रिय साबित हुआ.
इसी तरह से हॉटस्टार ने एआईबी से कॉमेडी "ऑन एयर एआईबी" दिखाया जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया. समीर कहते हैं, हम लव स्टोरी बनाते हैं तो रियल रखते हैं, टीवी की तरह बढ़ा चढ़ा के नहीं पेश करते. युवा हमारी कहानियों से रिलेट कर सकते हैं."
कितनी अलग है ये दुनिया
समीर के अनुसार दो मंज़िला इस दफ़्तर में 200 लोग काम करते हैं जिनमे 45 स्क्रिप्ट राइटर हैं. माहौल दोस्ताना और अनौपचारिक है. उन्हें ये बखूबी अंदाज़ा है कि वो डिजिटल क्रांति का हिस्सा हैं.
दफ़्तर के एक कमरे में आइडियाज की मीटिंग चल रही है. दूसरे कमरे में अगली वेब सीरीज़ की शूटिंग हो रही है. कोई टेबल पर दोनों पैर ऊपर करके मीटिंग में बैठा है, तो कोई शॉर्ट्स और टीशर्ट पहनकर स्ट्रैटेजी की मीटिंग कर रहा है. यहाँ कोई टाई और सूट वाला नहीं, समीर भी कैज़ुअल पोशाक में दफ़्तर आए हैं. ये ऑफिस कॉर्पोरेट की दुनिया से बिलकुल अलग है लेकिन पैसे कमाने में पीछे नहीं है.
उनकी मीडिया कंपनी पैसे कैसे कमाती है इस पर समीर कहते हैं, "देखिए हम इंडिया के सबसे बड़े ऑडियंस बेस में से एक हैं. अब कम्पनीज़ टीवी छोड़कर मार्केटिंग के लिए डिजिटल प्लेटफार्म्स की ओर देख रही हैं क्योंकि उनको पता है कि इस माध्यम में बहुत ज़्यादा लोग हैं. तो ज़ाहिर है वो हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि हमारे लिए कुछ बनाएँ और इस तरह से सहयोग होता है."
समीर की कंपनी तो केवल कंटेंट बनाती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में देखते ही देखते देश में बीसियों डिजिटल वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म डिजिटल मार्केट में आ चुके हैं, जिनमें स्टार ग्रुप का 'हॉटस्टार' अपने तमाम प्रतियोगियों से कहीं आगे है.
कुछ कामयाब प्लेटफार्म्स में नेटफ़्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो, सोनी लिव और वूट शामिल हैं. कुछ सब्सक्रिप्शन से, कुछ सब्सक्रिप्शन-विज्ञापन से और कुछ मुफ़्त में चल रहे हैं, मुफ़्त वालों को भविष्य में कमाई की उम्मीद है.
देश के हर कोने में आपको आम लोग मोबाइल पर वीडियो कंटेट देखते हुए मिल जाएँगे, ये अधिकतर रिलायंस के जिओ टीवी एप के ज़रिए मुफ़्त में अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखते हैं. ये आम लोगों के बीच सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है.
कैसे बदल रहा है बाज़ार
आखिर ये क्रांति आई कैसे? विशेषज्ञ कहते हैं कि इसके मुख्य कारण कई हैं, मोबाइल डेटा का काफ़ी सस्ता हो जाना, स्मार्टफ़ोन की संख्या में बढ़ोतरी (देश की एक-तिहाई आबादी के पास स्मार्टफोन हैं), ऑनलाइन में सरकारी सेंसर बोर्ड का न होना, टीवी के मनोरंजन और न्यूज़ प्रोग्राम से लोगों का ऊब जाना, दुनिया भर की बेहतरीन फ़िल्में और डाक्युमेंट्रियों का उपलब्ध होना और देश की 60 प्रतिशत युवा आबादी का अधिकतर समय मोबाइल फ़ोन पर गुज़ारना.
डिजिटल प्लेटफार्म के आगे बढ़ने का एक और कारण है. अशोक मनसुखानी केबल टीवी इंडस्ट्री के एक स्तम्भ माने जाते हैं और इन दिनों वो हिंदुजा ग्रुप के "इन केबल" के प्रमुख हैं. वो कहते हैं टीवी वालों ने युवा पीढ़ी को नज़रअंदाज़ किया है. "अधिकतर लोग एक्साइटमेंट चाहते हैं. हम ग्राहकों को 800 चैनेल भी देते हैं और वेरायटी भी लेकिन चैनल वाले एक वर्ग को नज़र अंदाज़ कर रहे हैं-- 25 से 35 वर्ष के युवाओं को."
डिजिटल प्लेटफार्म इस वर्ग को उनके मनपसंद प्रोग्राम दे रहे हैं.
मार्केट लीडर 'हॉटस्टार' ने आईपीएल और यूरोपीय फुटबॉल की लाइव कवरेज देकर युवा पीढ़ी को अपने क़ब्ज़े में कर लिया है. ये हर महीने 15 करोड़ दर्शक अपने प्लेटफार्म पर आकर्षित करता है. अगर क्रिकेट सीज़न हो तो आईपीएल के मैच लाइव कवर करने से इस संख्या में कई गुना इज़ाफ़ा हो जाता है.
करोड़ों का निवेश
इसके सीईओ अजित मोहन कहते हैं कि उनके प्लेटफार्म की सफलता का राज़ है, "हम दूसरे प्लेटफार्म्स से अलग हैं. वो इस तरह कि हम एक प्लेटफार्म पर सब कुछ ले आए, फ़िल्म, स्पोर्ट्स, टीवी चैनल और न्यूज़, इसके बावजूद एक दर्शक को ये महसूस होता है कि ये प्रोग्राम उसी के लिए बनाए गए हैं."
हॉटस्टार का आधुनिक दफ़्तर विकसित देश अमेरिका के किसी दफ़्तर से कम नहीं. ये वायरल फीवर के दफ़्तर से बिलकुल अलग है. ये कॉर्पोरेट की एक जगमगाती दुनिया है जहाँ डिजिटल मीडिया मार्केट के विकास के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए जाते हैं और जहाँ एक प्रोग्रम में करोड़ों रुपये का निवेश किया जाता है.
डिजिटल प्लेटफार्म की तेज़-तर्रार प्रगति को देखते हुए बॉलीवुड के चार बड़े डायरेक्टर और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जैसे अभिनेता इस से जुड़ गए हैं. करण जौहर, ज़ोया अख्तर, अनुराग कश्यप और दिबाकर बनर्जी ने कुछ साल पहले चार कहानियों वाली फिल्म बॉम्बे टॉकीज़ बनायीं थी.
बड़े स्टार भी शामिल
अब वो एक बार फिर साथ मिलकर लस्ट स्टोरीज़ नामी फिल्म बना रहे हैं. लेकिन इस बार बॉलीवुड के लिए नहीं बल्कि नेटफ़्लिक्स डिजिटल प्लेटफ़ार्म के लिए. करण जौहर ने डिजिटल प्लेटफार्म की अहमियत को पहचानते हुए एक इंटरव्यू में कहा, "मैं बड़े परदे पर बनायीं फिल्म का भक्त हूँ लेकिन आज की सच्चाई, डिजिटल प्लेटफार्म को, नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता."
इस प्लेटफार्म की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ कहते हैं कि वो दिन दूर नहीं जब शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर ख़ान और ऋतिक रोशन जैसे बॉलीवुड स्टार भी इससे जल्द जुड़ जाएँ.
डीटीएच और केबल टीवी और ब्रॉडकास्टरज़ के लिए चिंता की बात ये होनी चाहिए कि विज्ञापन देने वाली कंपनियों का झुकाव भी डिजिटल प्लेटफार्म की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है. डिजिटल प्लेटफार्म की कमाई पर एक नज़र डालें.
पिछले साल विज्ञापनों से इन्होंने लगभग 115 अरब रुपये कमाए और सब्सक्रिप्शन से लगभग 4 अरब रुपये. साल 2020 में ये कमाई दुगनी होने की उम्मीद है.
डिजिटल प्लेटफार्म टीवी से अब भी मुक़ाबला नहीं कर सकता लेकिन जहाँ इसके दर्शक तेज़ी से बढ़ रहे हैं और भविष्य में इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने वालों की तादाद बहुत अधिक बढ़ सकती है क्योंकि स्मार्टफ़ोन तेज़ी से देश के हर हिस्से में पैठ बना रहे हैं और उन पर इंटरनेट की सुविधा भी आसान और सस्ती हो रही है.
कितना बड़ा है बाज़ार
मीडिया इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2018 के अंत तक भारतीय मीडिया उद्योग डेढ़ खरब रुपये (24 अरब डॉलर) से अधिक का हो जाएगा जिसमें टीवी 734 अरब रुपए के साथ अब भी सब से बड़ा प्लेयर होगा लेकिन पांच साल पुराना डिजिटल मीडिया 151 अरब रुपये का हो चुका होगा.
अगर इसमें एनीमेशन और ऑनलाइन गेमिंग को जोड़ दें तो 120 अरब रुपये का इसमें इज़ाफ़ा हो जाएगा. साल 2020 के प्रोजेक्शन पर नज़र डालें तो डिजिटल मीडिया की विकास दर 25 प्रतिशत होगी जबकि टीवी लगभग 10 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगा.
दिलचस्प बात ये है कि डिजिटल प्लेटफार्म वाले और डिजिटल कंटेंट वाले कहते हैं कि गेम तो अभी शुरू ही हुआ है. समीर सक्सेना कहते हैं, "अभी तो ये इंडिया में स्टार्ट हुआ है, अभी तो बिगनिंग है इस चीज़ का. अभी काफ़ी सारी चीज़ें होनी बाक़ी हैं."
टीवी टिकेगा या नहीं?
डिजिटल प्लेटफार्म्स को रातों-रात मिली सफ़लता को देखते हुए केबल और डीटीएच कंपनियों ने उनसे मुक़ाबला करने की तैयारी कर रहे हैं या फिर उनसे हाथ मिलाने का फ़ैसला कर चुके हैं या इस पर विचार कर रहे हैं.
सबसे बड़ी डीटीएच कंपनियों में से एक, टाटा-स्काई के सीइओ हिरत नागपाल कहते हैं कि भारत जैसे मीडिया मार्केट में दोनों का विकास मुमकिन है, अगर दोनों हाथ मिला लें.
टाटा स्काई ने हाथ मिला लिया है, जैसा कि नागपाल ने कहा, "जल्द ही आप हमारे प्लेटफार्म पर लाइव टीवी चैनलों के अलावा 'नेटफ़्लिक्स' और 'हॉटस्टार' जैसे कई और डिजिटल प्लेटफार्म हासिल कर सकेंगे. आप उन्हें टीवी स्क्रीन पर भी देख सकते हैं. हम आपको नए तरीके का एक स्मार्ट सेटटॉप बॉक्स देंगे जिससे आप टीवी भी देख सकेंगे और डिजिटल प्लेटफार्म भी."
देश के 80 करोड़ लोग टीवी देखते हैं जिसका मतलब ये हुआ कि 50 करोड़ आबादी के पास अब भी टीवी नहीं है यानी टीवी के प्रसार की अब भी गुंजाइश है.
दूसरी तरफ़ देश में 50 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े हैं और 34 करोड़ लोगों के पास स्मार्ट फ़ोन हैं. यानी डिजिटल प्लेटफार्म की प्रगति की भरपूर गुंजाइश है.
उधर टीवी बनाने वाली कंपनियों ने स्मार्ट टीवी सेट बनाना शुरू कर दिया कर दिया है. इसमें एक पेन ड्राइव लगाकर आप इंटरनेट पर किसी भी डिजिटल प्लेटफार्म की वेबसाइट पर डिजिटल वीडियो वाले प्रोग्राम देख सकते हैं.
अगले पांच साल में विकास किसका अधिक होगा? 'हॉटस्टार' के अजित मोहन कहते हैं, "अगले पाँच सालों में हम कई विनर्स देखेंगे", इसका मतलब ये कि टीवी और डिजिटल मीडिया दोनों आगे बढ़ेंगे.