क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

चीनी QBZ-191 के कैसे छक्के छुड़ाएगा भारत का नया AK-203, आतंकियों पर होगा ट्रायल! जानें ताकत

भारतीय सेना अपने मौजूदा स्टैंडर्ड इश्यू राइफल INSAS को AK-203 से बदलने के रास्ते पर है, जिसका मुकाबला भविष्य के युद्ध में चीन के QBZ-191 के खिलाफ होने वाली है।

Google Oneindia News

Indian AK-203 Vs China's QBZ-191: इंडियन आर्मी की ताकत में आने वाले महीनों में जबरदस्त इजाफा होने वाला है और आतंकियों का काल माने जाना वाला AK-203 जल्द ही भारतीय सैनिकों के हाथों में होगा। सबसे खास बात ये है, कि AK-203 का उत्पादन भी भारत के अमेठी में कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में ही शुरू हो रहा है। AK-203 रूसी कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल मूल का है, जो अत्यंत खतरनाक श्रेणी का है। पिछले साल जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत का दौरा किया था, उस वक्त दोनों देशों के बीच 5100 करोड़ रुपये का डिफेंस डील किया गया था और भारत में बनने वाला एके-203, एक-47 का ही लेटेस्ट रूप है, जिसकी मारक क्षमता को अत्यधिक बढ़ा दिया गया है। वहीं, चीनी सेना के पास भी QBZ-191 बंदूक है, ऐसे में आइये जानते हैं, दोनों बंदूकों में कौन सा ज्यादा ताकतवर और घातक है।

इंडियन आर्मी के पास अब होगा AK-203

इंडियन आर्मी के पास अब होगा AK-203

भारतीय सेना अपने मौजूदा स्टैंडर्ड इश्यू राइफल INSAS को AK-203 से बदलने के रास्ते पर है, जिसका मुकाबला भविष्य के युद्ध में चीन के QBZ-191 के खिलाफ होने वाली है। हालांकि, फिलहाल चीन के खिलाफ तो बंदूक का इस्तेमाल नहीं होता है, लेकिन एक-203 का टेस्ट करने के लिए इसे कश्मीर घाटियों में सैनिकों को दिया जाएगा, जिसके निशाने पर आतंकी होंगे। आतंकियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल कर इसका ट्रायल किया जाएगा। वहीं, पाकिस्तान के साथ लगती सीमा रेखा के पास भी अकसर तनाव रहता है और अकसर सीज फायर का उल्लंघन पाकिस्तानी सेना करती रहती है, लिहाजा भारतीय सेना एक-203 का इस्तेमाल पाकिस्तान सेना के खिलाफ भी कर सकती है। दूसरी तरफ चीन ने अपने रायफल QBZ-191 को अभी तक मुकाबले में नहीं उतारा है और अभी तक उसके गोलीबारी नहीं की गई है। लिहाजा, आइए हम दोनों राइफलों की विभिन्न विशेषताओं पर एक नजर डालते हैं और जानने की कोशिश करते हैं, कि कौन सा रायफल ज्यादा ताकतवर है।

कैलिबर और फायरिंग सिस्टम

कैलिबर और फायरिंग सिस्टम

AK-203 रायफल 7.62×39mm की गोली का इस्तेमाल करता है और यह तीन फायर मोड के साथ गैस से संचालित होने वाला मैगजीन-फेड रायफल है।

QBZ-191 गैस से चलने वाले शॉर्ट-स्ट्रोक पिस्टन का इस्तेमाल करता है और 5.8×42 मिमी की गोली चलाता है।

दोनों रायफल की रेंज

दोनों रायफल की रेंज

AK-203: कलाश्निकोव राइफल का लेटेस्ट मॉडल AK-203 रायफल की 400 मीटर की प्रभावी फायरिंग रेंज है, हालांकि इसे बढ़ाया जा सकता है।

QBZ-191: चीनी हथियार की मारक क्षमता 400 मीटर है।

दोनों हथियारों का फीड सिस्टम

दोनों हथियारों का फीड सिस्टम

AK-203: इस राइफल में 30 राउंड की डिटैचेबल बॉक्स मैगजीन का इस्तेमाल होता है। इसे 50 क्वाड कॉलम मैग्जीन से भी लैस किया जा सकता है।

QBZ-191: चीनी बंदूक को 30 राउंड डिटेचेबल बॉक्स मैग्जीन या 75 राउंड ड्रम मैग्जीन के साथ लगाया जा सकता है।

फायरिंग की सीमा

फायरिंग की सीमा

एके-203 रायफल से 700 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से गोली निकलती है।

QBZ-191 रायफल से 750 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से गोली निकलती है।

बैरल की लंबाई

बैरल की लंबाई

एके-203: 415 मिमी (16.3 इंच)

QBZ-191: 368.3 मिमी (14.5 इंच)

चीन के QBZ-191 रायफल को जानिए

चीन के QBZ-191 रायफल को जानिए

QBZ-191 राइफल को पहली बार साल 2019 में चीन में प्रदर्शित किया गया था। उस समय इसके नाम का खुलासा नहीं हुआ था और ऐसी अटकलें थीं, कि यह QBZ-19 है। यह हथियार QBZ-95 असॉल्ट राइफल को पीएलए से बदलने के लिए विकसित किया गया था, जिसका इस्तेमाल चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और मरीन कॉर्प्स द्वारा मानक मुद्दा हथियार के रूप में किया जा रहा है। QBZ-95 को बनाने वाले रिसर्च सेंटर No.208 ने QBZ-191 भी बनाया है। QBZ-191 का डेवलपमेंट प्रोग्राम 2014 या संभवतः उससे पहले ही शुरू हो गया था और डिजाइन का काम 2017 में पूरा हुआ था। इसे 2019 में PLA सेवा में शामिल कर लिया गया था।

AK-203 को जानिए

AK-203 को जानिए

AK-200 सीरिज का प्रोटोटाइप डेवलपमेंट का ही परिणाम AK-203 है, जिसपर काम साल 2007 में शुरू हो गया था। पहला AK-200 प्रोटोटाइप साल 2010 में विकसित और परीक्षण किया गया था। फिर आगे चलकर एके-200 को ट्रांसफॉर्म किया गया और साल 2013 में रत्निक कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एके-103-3 के रूप में नया नाम दिया गया। AK-200 प्रोजेक्ट को 2016 में पुनर्जीवित किया गया था और AK-103-3 असॉल्ट राइफल प्रोटोटाइप को KM-AK किट के साथ मिलाकर अपग्रेड किया गया था, जिसे Obves प्रोग्राम के हिस्से के रूप में डेवलप किया गया था। एडवांस असॉल्ट राइफल प्रोटोटाइप को शुरूआत में AK-300 नाम दिया गया था, लेकिन बाद में जाकर पहले AK-100M नाम दिया गया और फिर अंत में साल 2019 में इसका नाम AK-203 कर दिया गया।

'जितना मर्जी चाहे, रूस से उतना तेल खरीद सकता है भारत', मोदी सरकार के तेवर के सामने झुका US!'जितना मर्जी चाहे, रूस से उतना तेल खरीद सकता है भारत', मोदी सरकार के तेवर के सामने झुका US!

Comments
English summary
How will Indian AK-203 get rid of China's QBZ-191 sixes? Know the power of both guns.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X