जर्मनी में मंदी और चांसलर शोल्ज का चीन दौरा! G7 देश के किसी नेता की तीन साल में पहली बीजिंग यात्रा
यह यात्रा लगभग तीन वर्षों में किसी G7 नेता द्वारा चीन की पहली यात्रा है। यह जर्मनी में गहराती मंदी के बीच हो रही है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जर्मनी के आर्थिक हित अभी भी बीजिंग से बहुत अधिक जुड़े हुए हैं
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज (German Chancellor Olaf Scholz) आज एक दिन की यात्रा पर चीन (China Visit) पहुंचे। विश्व के सात प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह (G7) के किसी नेता की बीते तीनों सालों में चीन की यह पहली यात्रा है। खबर के मुताबिक विपक्षी दल इस यात्रा का विरोध कर रहे हैं। वहीं, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज और उनके शीर्ष अधिकारियों की टीम जब चीन पहुंची तो उन्होंने दुनिया को एक स्पष्ट संदेश दे दिया कि, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार जारी रहना चाहिए। वहीं, घोर आर्थिक मंदी के बीच जर्मनी का चीन से हाथ मिलाना दुनिया के लिए चिंता का विषय हो सकता है। वहीं, शोल्ज की गठबंधन सरकार में से कुछ नेता चीन के साथ देश के गहरे संबंधों को लेकर घबरा रहे हैं।
चीन से जुड़े हैं जर्मनी व यूरोप के आर्थिक हित
बता दें कि, विश्व के सात प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह (G7) के किसी नेता की बीते तीनों सालों में चीन की यह पहली यात्रा है। इसके कई मायने निकल कर सामने आ रहे हैं। जैसे जर्मनी अभी मंदी की दौर से गुजर रहा है ऐसे में दुनिया के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय है। वह इसलिए क्योंकि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी के आर्थिक हित अभी भी बीजिंग के साथ बहुत निकट से जुड़े हुए हैं।
जर्मनी में मंदी और चांसलर का चीन दौरा
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज आज बीजिंग पहुंचे जहां उन्होंने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीनी नेता शी जिनपिंग से मुलाकात की। वहीं, प्रधानमंत्री ली केकियांग ने उनका जोरदार स्वागत किया। जर्मन चांसलर एक दिवसीय दौरे के क्रम में 12 जर्मन उद्योगपतियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन पहुंचे। 12 उद्योगपतियो के इस समूह में वोक्सवैगन (Volkswagen-VLKAF), ड्यूश बैंक (Deutsche Bank-DB), सीमेंस (Siemens -SIEGY) और केमिकल जेंट BASF (BASFY) के सीईओ शामिल हुए। जानकार बताते हैं कि ये सभी बिजनेस मैन के चीनी कंपनियों के साथ व्यापार संबंधी महत्वपूर्ण वार्ता करने की उम्मीद है।
राष्ट्रपति शी और चांसलर शोल्ज की बैठक
चीनी सरकारी मीडियी सीसीटीवी के मुताबिक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए। शी जिनपिंग ने जर्मनी और चीन को अंतरराष्ट्रीय उथल-पुथल और जटिल समस्याओं के बीच मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि ओलाफ शोल्ज की यह यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी समझ और विश्वास को और ज्यादा मजबूती प्रदान करेगा। शी ने आशा व्यक्त की कि दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में व्यवहारिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और नई योजनाएं बनाए जाएंगे।
दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की किल्लत
बता दें कि, शोल्ज की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की किल्लत है। सेमीकंडक्टर निर्यात को लेकर चीन पर लगाए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण यह पूरा उद्योग संकट में है। यह भी सच है कि, अमेरिकी पाबंदी से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। अमेरिका ने यह कदम चीन की तकनीक और सैन्य महत्वकांक्षा पर लगाम लगाने के इरादे से किया था। बता दें कि, सेमी कंडक्टर का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, आटो मोबाइल, अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों में किया जाता है।
चीन ने दिल खोलकर जर्मनी का स्वागत किया
जानकारी के लिए बता दें कि चीन ने यहां जर्मनी का दिल खोलकर स्वागत किया। बीजिंग पहुंचे जर्मन चांसलर और उनके प्रतिनिधिमंडल ने बिना सात दिन क्वारंटाइन में बिताए चीन पहुंचे हैं। हालांकि, जर्मनी से आए प्रतिनिधिमंडल का बीजिंग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर कोविड-19 का परीक्षण किया गया। सभी चिकित्सक दलों ने जर्मन चांसलर का अभिवादन भी करते दिखे। बता दें कि, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिचिएन ने एक नवंबर को बीजिंग में कहा था कि,इस साल चीन और जर्मनी के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ है। मौजूदा यात्रा कोरोना काल के बाद से किसी यूरोपीय नेता द्वारा चीन की पहली यात्रा है। शोल्ज के चांसलर बनने के बाद उनकी यह पहली चीन यात्रा भी है।
अमेरिका की चीन और रूस से बनती नहीं, जर्मनी की चीन के बगैर चलती नहीं!
24
फरवरी
को
रूस
और
यूक्रेन
जंग
के
कारण
जर्मनी
को
रूसी
ऊर्जा
पर
अपनी
निर्भरता
को
छोड़ने
के
लिए
मजबूर
होना
पड़ा।
अब
जर्मन
चांसलर
के
चीन
दौरे
को
लेकर
गठबंधन
सरकार
में
कुछ
नेता
ऐसे
हैं
जो
चीन
के
साथ
जर्मनी
के
संबंधों
को
पचा
नहीं
पा
रहे
हैं।
वे
घबरा
रहे
हैं।
वहीं
बीजिंग
ने
कहा
दिया
था
कि,
रूस
के
साथ
उसकी
दोस्ती
की
कोई
सीमा
नहीं
है।
वहीं,
अमेरिका
के
साथ
चीन
और
रूस
के
संबंध
बिगड़
गए
हैं।
ऐसे
में
जर्मन
चांसलर
के
चीन
दौरे
से
अमेरिका
कितना
प्रभावित
होने
वाला
है
यह
तो
वक्त
ही
तय
करेगा।
फिलहाल
चीन
और
जर्मनी
इस
बनते
रिश्तों
के
बीच
व्यापार
के
नए
कीर्तिमान
स्थापित
करने
की
रेस
में
शामिल
हो
रहे
हैं।