चीन ने अमेरिका को दी चेतावनी, कहा- ऐसा किया तो चाहे जो कीमत लगे, जंग शुरू करने से पहले सोचेंगे भी नहीं
बीजिंग, 10 जूनः अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पदभार संभालने के बाद से पहली बार अपने चीनी समकक्ष के साथ सिंगापुर में मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने रक्षा मंत्री वेई फेनघे के हवाले से कहा कि अगर कोई ताइवान को चीन से अलग करने की हिम्मत करता है तो चीनी सेना निश्चित रूप से युद्ध शुरू करने से नहीं हिचकेगी।
ताइवान, चीन का ताइवान है
चीनी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीनी मंत्री ने कहा कि बीजिंग ताईवान स्वतंत्रता की साजिश को कुचलने और मातृभूमि के एकीकरण को दृढ़ता से कायम रखेगा। मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि ताइवान, चीन का ताइवान है। चीन को नियंत्रित करने के लिए ताइवान का इस्तेमाल कभी सफल नहीं होगा।
अमेरिका ने भी दी थी चेतावनी
वहीं, अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा कि ऑस्टिन ने सिंगापुर में वार्ता के दौरान अपने चीनी समकक्ष से कहा कि ताइवान को किसी प्रकार से अस्थिर करने वाली कोशिशों से चीन को बचना चाहिए। इससे पहले जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड मीटिंग के लिए आए अमेरिकी राष्ट्रपति, जो बाइडन ने कहा था कि अगर चीन ने ताइवान को जोर-जबरदस्ती से हड़पने की कोशिश की तो अमेरिका चीन के खिलाफ सैन्य-बल इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाएगा।
हमले का वीडियो हुआ लीक
बता दें कि ताइवान पर लगातार अमेरिका का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। इस कारण चीन और ताइवान के बीच संबंध और खराब होते जा रहे हैं। इस बीच चीन के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने एक लीक ऑडियो क्लिप जारी किया है। जिसमें दावा किया गया है कि चीन ताइवान पर हमले की योजना बना सकता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा जारी किया गया ऑडियो क्लिप 57 मिनट का है। ऑडियो क्लिप में चीन के शीर्ष युद्ध जनरल इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि ताइवान में युद्ध कैसे छेड़ा जाए और इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए।
खुद को संप्रभु देश मानता है ताइवान
गौरतलब है कि ताइवान, चीन के पूर्वी तट से करीब 130 किलोमीटर स्थित छोटा द्वीप है। अधिकांश देश ताइवान को चीन का हिस्सा मानते हैं, लेकिन ताइवान खुद को एक संप्रभु देश मानता है और वो चीन द्वारा ताइवान पर कब्जे के खिलाफ आवाज भी उठाता रहता है। दुनिया में केवल 15 ऐसे देश हैं जो ताइवान को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश के रूप में मान्यता देते हैं, लेकिन विश्व राजनीति इन देशों की बेहद कम अहमियत है।