हांगकॉन्ग में तैनात हुई चीनी सेना, सड़कों से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने का जिम्मा!
हांगकॉन्ग। पिछले करीब छह माह से हांगकॉन्ग में विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस प्रदर्शन के बीच ही पहली बार चीनी सेना को तैनात कर दिया गया है। शनिवार को पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक हांगकॉन्ग पहुंचे। चीन के इस कदम को असाधारण करार दिया जा रहा है। हांगकॉन्ग में एक प्रत्यर्पण कानून को लेकर जून से ही बड़े स्तर पर प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। यहां पर सादे कपड़ों में तैनात सैनिक सड़कों से प्रदर्शनकारियों को हटाने का काम कर रहे हैं।
टी-शर्ट में सड़कों पर मौजूद चीनी सैनिक
हांगकॉन्ग के कोउलून मिलिट्री कैंट में चीनी सैनिकों को देखा जा सकता है। हांगकॉन्ग स्थित अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। वहीं पिछले एक वर्ष में यह पहला मौका है जब चीनी सेना का कोई स्थानीय कैंट किसी तरह के कम्युनिटी वर्क के लिए आगे आया है। ज्यादातर चीनी सैनिकों ने हरी टी-शर्ट और ब्लैक शॉर्ट्स पहने हुए थे। उन्हें शनिवार शाम करीब चार बजे कोउलून टोंग बैरक से भागते हुए देखा गया था। यह कैंट एरिया बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी कैंपस के करीब है। एक चीनी सैनिक की मानें तो इसका हांगकॉन्ग सरकार से कोई लेना देना नहीं है। इस सैनिक ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तर्ज पर बात करते हुए कहा, 'हमने इसकी पहल की है। हिंया रोक और अव्यवस्था को पूरी तरह से खत्म करना हमारी जिम्मेदारी है।' दमकल और पुलिस ऑफिसर्स ने भी सैनिकों के साथ जिम्मा संभाला।
चीनी सेना अपने फैसले लेने के लिए आजाद
हांगकॉन्ग के सुरक्षा सचिव जॉन ली का शियू ने कहा कि पीएलए इस बात का फैसला ले लिया है सैनिकों को मिलिट्री कैंट के बाहर वॉलेंटियर्स के तौर पर प्रयोग करना है या नहीं मगर स्थानीय सरकार के पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि कितनी बार ऐसा हुआ है। पिछले वर्ष अक्टूबर में 400 से ज्यादा सैनिकों को हांगकॉन्ग के पार्कों में उस समय भेजा गया था जब तूफान मंगखुत की वजह से जगह-जगह पेड़ गिर गए थे। चीनी सैनिकों का इस तरह से हांगकॉन्ग में दाखिल होना हर किसी को हैरान कर रहा है क्योंकि इससे पहले चीन ने एक कानून का हवाला देते हुए यहां पर सेना को भेजने से इनकार कर दिया था। चीन ने गैरिसन लॉ एंड बेसिक लॉ के आर्टिकल 14 का हवाला देते हुए कहा था कि पीएलए को यहां के स्थानीय मुद्दों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन सेना को उस समय बुलाया जा सकता है जब किसी आपदा के समय स्थानीय सरकार की तरफ से मदद का अनुरोध किया जाए।